फरीदाबाद (म.मो.) बीते सप्ताह आम आदमी पार्टी के जि़ला अध्यक्ष धर्मबीर भड़ाना के नेतृत्व में पाली पुलिस चौकी पर प्रदर्शन किया गया। उनकी मुख्य मांग थी कि चौकी के निकट स्थित अवैध पार्किंग को वहां से हटाया जाय। इसके लिये उनके दो तर्क थे। पहला यह कि उक्त जगह पाली गांव की है जिस पर नगर निगम द्वारा अवैध कब्जे को लेकर हाई कोर्ट में केस चल रहा है। दूसरे तर्क में भी कहते हैं कि जंगलात की ज़मीन में वृक्ष लगाने की बजाय पार्किंग नहीं बनाई जा सकती।
प्रदर्शन के दौरान अपने भाषण में धर्मबीर यह नहीं बताते कि पार्किंग कौन कर रहा है और क्यों कर रहा है? ले-दे कर उनका सारा गुस्सा चौकी इंचार्ज सब इंस्पेक्टर सुरेन्द्र सिंह फौगाट पर उतरता है। इस पार्किंग के लिये वे फौगाट को ही उत्तरदायी ठहराते हैं। इस दौरान वे पुलिस अधिकारी को उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला का रिश्तेदार बताते हुए मामले को जाट बनाम गूजर का रूप देने में कोई कसर नहीं छोड़ते। ऐसे में वे चौकी इंचार्य के तबादले की मांग भी करते हैं।
इसके जवाब में चौकी इंचार्ज, मौके पर मौजूद पत्रकारों को बताते हैं कि उनकी कोई पावर नहीं है कि वे इस तरह की कोई पार्किंग बना सकें। उक्त पार्किंग डीसी साहब के आदेश पर बनाई गई है। यदि भड़ाना को इससे कोई तकलीफ है तो वे जाकर डीसी से मिलें। चौकी इंचार्ज होने के नाते उसका यह कत्र्तव्य बन जाता है कि डीसी द्वारा घोषित इस पार्किंग में आकर गुंडागर्दी व छीना-झपटी करने वालो के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई करें। अपने इसी कत्र्तव्य का पालन करते हुए उन्होंने, उन पांच-छ: युवकों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर रखा है जो पार्किंग से जबरन गाड़ी छुड़ा कर ले गये थे। इतना ही नहीं चोरी से लाये गये पत्थर व पिसाई के लिये आने वाले लेंटर आदि पर भी उनकी सख्त रोक से भी धर्मबीर भड़ाना परेशान हैं।
मामले की पूरी तहकीकात करने पर ‘मज़दूर मोर्चा’ ने पाया कि सडक़ों पर वाहनों की चेकिंग के दौरान जब अधिकारी किसी वाहन को कब्जे में लेते हैं तो उसे इस पार्किंग में खड़ा करा देते हैं। यह चेकिंग अधिकतर आरटीए तथा जीएसटी विभाग द्वारा की जाती है। पकड़े जाने वाले वाहनों में प्राय: ट्रक तथा ट्राले आदि ही होते हैं। अदालत अथवा सम्बन्धित अधिकारी द्वारा केस के निपटारे के बाद वाहन को छोड़ दिये जाने का आदेश जारी होता है। इसके बाद पार्किंग फीस हजार-दो हजार, या इससे अधिक कुछ भी हो सकती है, पार्किंग वाला वसूल कर वाहन को छोड़ देता है।दरअसल इस तरह की पार्किंग एक प्रकार से लूट कमाई का ठेका होता है, जो राजनेताओं के इशारे पर, रेडक्रॉस की आड़ में डीसी द्वारा दिया जाता है। कानून में इस तरह की किसी पार्किंग का कोई प्रावधान नहीं है। कानूनन जब भी कोई अधिकारी किसी वाहन को कब्जे में लेता है तो उसे छोड़ते वक्त किसी प्रकार की पार्किंग फीस नहीं ली जा सकती। हां, वाहन द्वारा किये गये गुनाह की सजा के तौर पर विधि सम्मत जुर्माना वसूला जा सकता है जो सीधे सरकारी खजाने में जाता है, जबकि वसूली गई पार्किग फीस ठेकेदार व रेड क्रॉस वालों में बंट जाती है।
समझने वाली बात यह है कि ‘आप’ नेता धर्मबीर भड़ाना असल मुद्दे को लेकर लडऩे की बजाय एक चौकी इंचार्ज के गले पडक़र स्थानीय लोगों के बीच अपनी नेतागिरी चमकाने का असफल प्रयास करते नज़र आ रहे हैं। उनकी ऐसी ही सोच को देखते हुए जिले में आम आदमी पार्टी के भविष्य को आसानी से समझा जा सकता है।