अवैध नशे के व्यापार का गहरा असर पड़ रहा सामाजिक रिश्तों पर

अवैध नशे के व्यापार का गहरा असर पड़ रहा सामाजिक रिश्तों पर
August 21 10:06 2022

श्याम लाल, एसजीएम नगर
फरीदाबाद। 12 अगस्त को करीब एक से डेढ बजे रात के समय घर के बाहर कुछ हल्ला हुआ। उस वक्त मैं सोया नहीं था, अपने घर पर कुछ काम कर रहा था। अचानक हल्ला सुनकर मैने बाहर जाकर देखा तो मेरे घर से कुछ दूरी पर एक राशन की दुकान है और उनका घर भी वहींं है। उस समय दुकान और उनका घर दोनों बंद थे। वहां एक व्यक्ति नीचे से दुकानदार को बहुत ही अभद्र भाषा में गाली-ग्लौज कर रहा था और उनके बच्चे उससे पूछ रहे थे कि गालियां क्यों दे रहा है? $िफर भी वो आदमी लगातार गालियां देते ही जा रहा था और आक्रोश में कह रहा था कि नीचे नहीं आयेगा तो पत्थर उठाकर मारुंगा।

यह सिलसिला करीब आधा-पौन घंटा तक चलता रहा। कुछ देर बाद उस गुंडे के और भी दोस्त वहां आ गये। दोस्तों द्वारा पूछने पर कहा कि यार इन लोगों ने मेरे खिला$फ पुलिस में शिकायत किया है और इससे मेरा का$फी नुक्सान हुआ है। यह सुनते ही सारा मामला मेरे समझ में आ गया।

बात ये थी कि जो व्यक्ति नीचे से गाली दे रहा था वो अवैध शराब का धंधा करता है। कुछ दिन पहले पुलिस ने उसके घर दिखावटी छापेमारी की थी जिसके कारण वह का$फी गुस्से में था। वो बोले जा रहा था कि मैं बहुत बड़ा गुंडा हूं, मेरा न तो पुलिस वाले कुछ बिगाड़ सकते न ही तुम लोग। पुलिस वाले को तो में खिला-पिला कर सेट कर लूंगा और बात रही उस मुखबर की, जिस दिन मुझे उसका नाम मालूम हो गया उसी दिन उसे जान से मार दूंगा। इसके अलावा जो लोग उसके साथ मिले हुए हैं उनकी भी खैर नहीं।

जिस तरह से वो आदमी गुंडागर्र्दी की भाषा बोल रहा था उससे यही अस्पष्ट होता है कि उसके लिये किसी आदमी को मार-पीट कर हाथ-पैर तोड़ देना आम बात है। कारण यह है कि इन लोगों को पुलिस के अलावा विधायकों व उद्योगपतियों का भी सहयोग है। जिसके बदौलत लड़ाई-झगड़े करके निपट लेते है, ऐसे इन लोगों में इतनी हिम्मत न होती। आम आदमी तो बिना किसी गलती के पुलिस के नाम से घबड़ा जाता है और गुनाह करने की बात तो दूर।

जिन दुकान वाले अंकल को वो व्यक्ति गालियां दे रहा था उनसे मेरी अच्छी जान-पहचान है। उनके सामने ही मेरा जन्म हुआ है और वो अंकल मेरे पिता के समान हैं। मैं बराबर उनकी दुकान पर जाकर बैठता हूं और का$फी देर तक बातें करता हूं। मेरा स्वभाव ऐसा है कि मैं किसी गलत बात को बर्दाश्त नहीं करता।

मैं चाहता हूं कि अपनी कॉलोनी में इस तरह से नशे का व्यापार बंद हो, क्योंकि जो लोग यहां शराब लेने आते हैं वो खुले में ही बैठकर पीने लगते हैं। यहां शराब के कारण लड़ाई-झगड़े के अलावा और भी कई तरह की समस्यायें होती रहती हैं जो किसी भी सभ्य समाज के लिये अच्छी बात नहीं है। चाहे वो समाज गरीब तबके का क्यों न हो?

मेरी सोच और स्वभाव के बारे में उन लोगों को पता है। पुलिस ने जो इनके घर छापेमारी की है इसके बारे में इन्हें मेरे ऊपर शक है। ऐसा किसी परिचित ने मुझसे बताया। जिस दिन उसके घर पुलिस ने छापा मारी की थी उस दिन पुलिस वालों ने दुकान वाले अंकल से पूछा था कि यहां शराब की अवैध बिक्री होती है? इन पुलिस वालों को लोग भली-भांति जानते हैं कि ये किसी के सगे नहीं होते। एक जानकारी लेकर छापा तो मार देते हैं और जानकारी किसने दी ऐसा बता कर अपनी जेब गर्म कर लेते हैं। इसलिये इनके चक्कर में कोई फंसना नहीं
चाहता।

इस घटना से पहले मैं जब कभी दुकानदार अंकल के पास से गुजरता था तो मुझे रोक कर अपने पास बैठने को बोलते थे। इससे मुझे अपनापन सा लगता था। उस रात के बाद अगले दिन शाम को जब मैं उनके पास जाकर नमस्ते किया और कुर्सी पर बैठने लगा तो उन्होंने कहा, कि यहां मत बैठो और यहां से जाओ। मैने पूछा क्यों? तो उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। मैं वहां से वापस आ गया। मुझे लगता है कि ऐसा सिर्फ मेरे साथ ही नहीं हुआ है, न जाने ऐसे अनेकों रिश्तों खराब होते हैं इन अवैध नशे के व्यापार के कारण।

  Article "tagged" as:
  Categories:
view more articles

About Article Author

Mazdoor Morcha
Mazdoor Morcha

View More Articles