औद्योगिक मज़दूर कल्याण के नाम पर सात करोड़ के भवन निर्माण की तैयारी

औद्योगिक मज़दूर कल्याण के नाम पर सात करोड़ के भवन निर्माण की तैयारी
March 26 15:36 2023

बल्लबगढ़ (मज़दूर मोर्चा) राजनेताओं की ये खूबी रही है कि वे हर काम गरीब जनता के कल्याण हेतु करने का दावा करते हैं। चुनाव में वोट मांगते वक्त भी तमाम राजनेता गरीबों की भलाई के बड़े-बड़े वायदे करते हैं जो हमेशा खोखले साबित होते आये हैं। ऐसा ही एक दावा सेक्टर 62 में मज़दूर शेल्टर होम बनाने का किया जा रहा है। करीब एक एकड़ के भू-खंड पर सात करोड़ की लागत से दो मंजिला भवन बनाया जायेगा।

‘हूडा’ के अधीक्षण अभियंता संदीप दहिया के हवाले से मीडिया में आये बयान के अनुसार इस भवन निर्माण का नक्शा एवं प्रस्ताव बना कर मुख्यालय को भेज दिया गया है। निर्माण स्थल परिवहनमंत्री मूलचंद शर्मा के विधानसभा क्षेत्र में पड़ता है, इसलिये दहिया के बयान में उन्हें भी श्रेय दिया गया है। अब क्योंकि मंत्री महोदय का नाम भी इससे जुड़ गया है तो मुख्यालय से स्वीकृति आने में देर नहीं लगेगी। बयान में कहने को तो कहा गया है कि यह भवन औद्योगिक मज़दूरों के लिये बनाया जा रहा है, साथ ही यह भी कहा गया है कि मज़दूर काम पर ले जाने वालों का खुले में, सर्दी, गर्मी, बरसात झेलते हुए इंतजार करते रहते हैं। विदित है कि इस तरह से काम का इंतजार करने वाले दिहाड़ीदार मज़दूर शहर के अनेक ठिकानों पर एकत्रित होते रहते हैं। यदि सरकार को वास्तव में ही ऐसे दिहाड़ीदार मज़दूरों की कोई चिंता है तो उसे ऐसे उन तमाम स्थानों पर शेल्टर बनाने चाहिये, जहां ये काम पर ले जाने वाले का इंतजार करते हैं। इन्हें किसी भी तरह से औद्योगिक मज़दूर नहीं कहा जा सकता। बयान में बताया गया है कि बनने वाले भवन में डिस्पेंसरी, यूनियन ऑफिस, दो शौचालय, एक रसोई घर आदि-आदि बनाये जायेंगे। इसमें एक सेवादार भी तैनात किया जायेगा ताकि मज़दूरों को विश्राम करने में कोई असुविधा न हो। बयान में यह नहीं बताया गया कि डिस्पेंसरी में डॉक्टर एवं पैरामेडिकल स्टाफ की भर्ती करके उसे चलाने का काम खुद ‘हूडा’ करेगा अथवा जि़ला स्वास्थ्य विभाग से करवायेगा? सर्वविदित है कि जि़ला स्वास्थ विभाग में, पहले से ही बने अस्पताल व अन्य स्वास्थ्य केन्द्रों में स्टाफ की तैनाती नगण्य है।

संदर्भवश सेक्टर 55 में दो एकड़ के भूखंड पर बने तीन मंजिला अस्पताल में स्टाफ के अभाव में कौवे बोल रहे हैं। लगभग यही स्थिति सेक्टर तीन तथा सेक्टर 30 के एफआरयू अस्पतालों की भी है। ऐसे में समझा जा सकता है कि जनता को बेवकूफ बनाने तथा अपनी जेबों में कमीशन भरने के लिये ऐसे भवनों का निर्माण करना जरूरी होता है।

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Mazdoor Morcha
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