फरीदाबाद (म.मो.) सरकारी मेडिकल कॉलेज होने के नाते एवं केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव के आश्वासन के आधार पर, तमाम कमियां होने के बावजूद नेशनल मेडिकल कमिशन (एनएमसी) ने यहां एमबीबीएस के लिये 100 छात्रों के दाखिले की अनुमति दे दी है।
उपलब्ध जानकारी के अनुसार छात्रों को पढ़ाने के लिये यहां जरूरत के हिसाब से केवल एक चौथाई फेकल्टी ही मौजूद है। कुछ माह पूर्व सरकार ने साक्षात्कार के आधार पर करीब 100 डॉक्टरों को भर्ती किया था। लेकिन यहां की सेवा शर्तें व खस्ता हाल माहौल को देख कर चंद डॉक्टरों ने ही यहां नौकरी करना स्वीकार किया। आज के जमाने में जिस अस्पताल एवं मेडिकल कॉलेज में वातानूकूलन की व्यवस्था ही न हो तो वहां भला कौन डॉक्टर नौकरी करना चाहेगा? आज के जमाने में जब पुलिस चौकी तक में एसी लगा हो और मेडिकल कॉलेज में इसे न पाकर तो डॉक्टर का माथा ठनकेगा ही।
बिजली आपूर्ति की भी कोई उचित व्यवस्था नहीं है। ग्रामीण क्षेत्र में बने इस अस्पताल की सप्लाई जिस फीडर से होती है, उस पर अत्यधिक कट लगते रहते हैं। शहर में चल रहे बीके जैसे अस्पताल को भी विशेष हॉट लाईन से बिजली दी जाने के बावजूद अक्सर वहां इसका संकट बना रहता है। मेडिकल कॉलेज होने के बावजूद यहां डीजल जनरेटर सेट की कोई पर्याप्त व्यवस्था नहीं है।
बेशक इस मेडिकल कॉलेज अस्पताल ने 16 जुलाई को ओपीडी सेवायें देनी शुरू कर दी थी, परन्तु वहां के डायरेक्टर गौतम गोले यह नहीं बताते कि गांव-गांव में प्रचार करने के बावजूद उनकी ओपीडी में कितने मरीज अब तक आये। जानकार बताते हैं कि दिन भर में बमुश्किल 10-20 भूले-भटके मरीज यहां आ जाते हैं। इनमें से भी अधिकांश को बीके अस्पताल का रास्ता दिखा दिया जाता है, जो इन्हें पहले से ही मालूम होता है। किसी भी अस्पताल में सर्वप्रथम सेवा कैजुअल्टी तथा प्रसव की होती है जो अब तक यहां नहीं है।
राज्य भर के तमाम सरकारी मेडिकल कॉलेजों की फेकल्टी के तबादलों पर हाईकोर्ट ने रोक लगा कर खट्टर सरकार की मुसीबत को और बढा दिया है। विदित है कि जब नूंह का मेडिकल कॉलेज खुला था तो रोहतक मेडिकल कॉलेज तथा जि़लों में तैनात विशेषज्ञ डॉक्टरों को फेकल्टी बना कर वहां भेज दिया गया था। फरीदाबाद के मौजूदा सिविल सर्जन डॉ. विनय गुप्ता भी दो-तीन साल वहां फेकल्टी रह चुके हैं। सरकार की इस नीति के विरुद्ध डॉक्टर अदालत चले गये और इस तरह के तबादलों पर रोक लगवा दी। जाहिर है यहां के लिये अब फेकल्टी भर्ती करनी ही पड़ेगी।
जो भी हो, जैसे भी हो 100 छात्र तो इस वर्ष यहां दाखिला ले ही लेंगे। वे क्या पढ़ेंगे और कौन पढ़ायेगा यह सब श्री रामजी के भरोसे है। ऐसे में कैसे डॉक्टर बनकर यहां से निकलेंगे, समय ही बतायेगा।