फरीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) बीते करीब तीन साल से छायंसा स्थित अटल बिहारी मेडिकल कॉलेज का सत्यानाश कराने के बाद हरियाणा सरकार को यह समझ में आ गया कि डॉ. गौतम गोला महा निकृष्ट होने के चलते इस संस्थान के सत्यानाश की जड़ है। चलो शुक्र है कि खट्टर को यह बात, भले ही देर से, समझ तो आई। इस मेडिकल कॉलेज को गोले के चंगुल से मुक्त करा कर डॉ. बृजमोहन वशिष्ठ को यहां का डायरेक्टर नियुक्त किया गया है।
वास्तव में डॉ. गोला नूह स्थित मेवात मेडिकल कॉलेज मे सर्जरी के प्रोफेसर थे। सर्जरी-वर्जरी तो उन्हें कुछ आती नहीं थी इसके बावजूद जुगाड़बाजी करके अपनी प्रोफेसरी के साथ-साथ इस संस्थान के डायरेक्टर का पद भी अतिरिक्त रूप से हथिया लिया था। इसके चलते वे प्रति दिन मेवात मेडिकल कॉलेज में तथाकथित प्रोफेसरी करने के बाद यहां पर डायरेक्टरी का नाटक खेलने करीब 11-12 बजे आ जाते थे और शाम के चार बजे यहां से फूट लेते थे। जाहिर है ऐसे में क्या तो मेडिकल कॉलेज चलना था और क्या अस्पताल।
इस निकृष्ट व्यक्ति को पहचानने में खट्टर सरकार ने जो इतना लम्बा समय बर्बाद कर दिया उसका जिम्मेदार कौन होगा? डॉक्टरी पढऩे आये छात्रों की पढ़ाई और इलाज से वंचित रहे क्षेत्र के लोगों की भरपाई खट्टर जी कैसे कर पाएंगे? सुधी पाठक भूले नहीं होंगे जब 2021 में उन्होंने इस मेडिकल कॉलेज अस्पताल को दो दिन में चला देने की घोषणा की थी। जनता का भरोसा जीतने के लिये यहां पर हवन आदि करके फौजी मेडिकल स्टाफ को भी तैनात कर दिया था।
नवनियुक्त डायरेक्टर रोहतक मेडिकल कॉलेज में बतौर प्रोफेसर कम्युनिटी मेडिसन थे। वहां से चयनित होकर यहां पहुंचे हैं। अब देखना है कि वे इस संस्थान के लिये कैसे और क्या कुछ कर पायेंगे?