असली मुल्जिम गिरफ्त से बाहर

असली मुल्जिम गिरफ्त से बाहर
July 18 00:57 2022

करनाल। भ्रष्टाचार मुक्त सीएम सिटी करनाल में बीजेपी नेता और कष्ट निवारण समिति के सदस्य से भी अगर कोई महिला एएसआई झूठी दर्ज एफआईआर को कमजोर करने के नाम पर 8 लाख रुपये रिश्वत मांग ले और 4 लाख की पहली किश्त भी ले ले तो समझ लीजिए करनाल और हरियाणा में भ्रष्टाचार किस कदर हावी है। करप्ट अफसरों के हौंसले की दाद देनी होगी। आम आदमी की इन अफसरों के सामने क्या हैसियत और क्या औकात होगी?

करनाल में सेक्टर 32-33 थाना की महिला एएसआई सरिता को विजिलेंस ने रंगे हाथों 4 लाख रुपए रिश्वत लेते पकड़ा। आरोपी महिला एएसआई ने रेप की धारा हटाने और कुछ युवकों के नाम केस से हटाने के नाम 8 लाख मांगे थे। मामले में डीएसपी और एसएचओ पर भी गंभीर आरोप लगे हैं।

विजिलेंस इंस्पेक्टर सचिन ने बताया कि नवजोत सिंह सिंधू ने उनको दी शिकायत में बताया कि एक महिला ने उनके खिलाफ झूठा मुकदमा दर्ज करवाया हुआ है। जिसमें उसने आरोप लगाया कि उसके साथ रेप किया है। मामले की जांच डीएसपी को सौंपी गई।

इसी मामले को लेकर कई बार पंचायत भी हुई। इसके बाद सेक्टर-32 थाने से उसका फोन आया और मिलने बुलाया। जब वह महिला एएसाई सरिता से मिले तो उसने रेप की धारा हटाने और कुछ युवकों के नाम हटाने के लिए 10 लाख रुपए की डिमांड की। इस पर उसने कहा कि वह 10 लाख रुपए कहां से देगा। इसके बाद सरिता ने उसे 8 लाख रुपए मांगे और कहा कि 4 लाख रुपए पहले देने हैं और 4 लाख काम होने के बाद।

इस शिकायत के बाद टीम गठित की और शिकायतकर्ता को 4 लाख रुपए केमिकल लगे हुए दिए। जैसे ही उन्होंने एएसआई सरिता को 4 लाख रुपए दिए तभी टीम ने छापा मार दिया और सरिता को रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया। शिकायतकर्ता ने विजिलेंस को बताया कि महिला एएसआई ने कहा था कि इनमें से 4 लाख रुपए डीएसपी को देने हैं और 3 लाख एसएचओ को। उसे तो केवल एक लाख ही मिलेगा। साथ ही महिला पुलिसकर्मी ने कहा कि यह सारे पैसे उसके हाथों में देने है। मामले में शिकायकर्ता का आरोप है कि यह मामला दूसरे थाने का है, जबकि जानबूझ कर इसे सेक्टर 32-33 थाने में लाया जा रहा है। वहीं विजिलेंस इंस्पेक्टर सचिन का कहना है कि शिकायकर्ता के सभी आरोपों की जांच की जाएगी। उसके बाद आगे की कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

महिला पुलिसकर्मी द्वारा डीएसपी और थाना प्रभारी के हिस्सा भेजने की ऑडियो विजिलेंस के पास पहुंची है। शिकायतकर्ता का दावा है कि इस ऑडियों में एएसआई रिश्वत लेने, डीएसपी व थाना प्रभारी को उनका हिस्सा भेजने की बात कहती साफ सुनाई दे रही है। विजिलेंस इंस्पेक्टर ने कहा कि शिकायकर्ता ने उन्हें ऑडियों उपलब्ध करवाई है। इस मामले में डीएसपी व थाना प्रभारी को भी जांच में शामिल किया जाएगा। यदि जांच में आरोप सही साबित हुए तो इन दोनों के खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।

आठ-दस लाख रुपये की रिश्वत मांगने व हजम करने की क्षमता सरिता जैसी एएसआई की नहीं हो सकती। इसके पीछे असली व बड़े रिश्वतखोर सम्बन्धित थाने के एसएचओ व डीएसपी हैं। उपलब्ध जानकारी के अनुसार यही बात सरिता ने पकड़े जाने के बाद विजिलेंस इन्स्पेक्टर को बता भी दी है।

जब सरिता सा$फ-सा$फ कह रही है कि मांगी जाने वाली आठ लाख की रिश्वत में से चार लाख तो सीधे-सीधे डीएसपी मुकेश कुमार तथा तीन लाख एसएचओ राजीव के लिये तय थे। उसके पल्ले तो प्रोजेक्ट पूरा होने पर मात्र एक लाख पडऩे वाले थे। अपने बयान की पुष्टि में सरिता ने वह आडियो भी पेश किया है जिसमें रिश्वत के बंटवारे बावत डीएसपी व एसएचओ से बात-चीत हुई थी।

दरअसल पुलिस महकमे में रिश्वतखोरी का यह कोई अनोखा मामला नहीं है। राज्य भर में शायद ही कोई थाना-चौकी बचा हो जहां इस तरह का करोबार न होता हो। जिस थाने चौकी में यह कारोबार जितना बड़ा होता है वहां तैनाती पाने के लिये उतनी ही मोटी रकम पुलिकर्मियों को अपने आकाओं पर खर्चनी पड़ती है।

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Mazdoor Morcha
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