फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा)। जिस समय प्रदूषण की रोकथाम के लिए शहर में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (ग्रेप) एक से लेकर चार तक लागू था, उसी दौरान संरक्षित अरावली वन क्षेत्र की पहाडिय़ों में अवैध खनन और पौधों को काट कर बड़े हॉल का निर्माण कराया जा रहा था। सत्ताधारी नेताओं के चहेतों द्वारा किए जा रहे अवैध क्रियाकलाप की शिकायत के बावजूद किसी भी विभाग ने कार्रवाई नहीं की। संरक्षित वन क्षेत्र में अवैध खनन, भू माफिया और लकड़ी माफिया की मोटी कमाई में नेता अफसरों तक का हिस्सा होने के कारण शिकायतों पर खानापूर्ति की जाती है।
पूर्व मेयर देवेंद्र भड़ाना के अनुसार अरावली के अनंगपुर इलाके में कृषि भूमि छोड़ कर बाकी सारी पहाड़ी जमीन पीएलपीए के तहत संरक्षित है। यानी यहां न तो खनन हो सकता है और न ही पेड़ पौधे काटे जा सकते हैँ। उनका आरोप है कि अनंगपुर स्थित महिपाल ग्रीन वैली अब बैंकट लॉन के आसपास बीते लगभग एक माह से जेसीबी लगा कर अवैध खनन किया जा रहा था। जमीन समतल करने के लिए पत्थर खोदे और काटे गए तथा संरक्षित पेड़ भी काट कर जड़ से उखाड़ डाले गए।
वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर तक बढ़ा होने के कारण ग्रेप एक से चार तक लागू था लेकिन इस जगह जहां जेसीबी लगाकर अवैध खनन किया जा रहा था वहीं, बहुत बड़े हॉल का निर्माण भी किया जा रहा था। देवेंद्र भड़ाना के अनुसार पीएलपीए संरक्षित क्षेत्र होने के कारण न तो यहां खनन हो सकता है न निर्माण। आरोप है कि यहां से एक माह में करोड़ों रुपये कीमत के पत्थर-बजरी का अवैध खनन कर बेच डाला गया। जमीन समतल करने के लिए कई दर्जन पेड़ काट कर उनकी भी लकड़ी बेच डाली गई। उन्होंने करीब दो सप्ताह पहले इसकी शिकायत खनन विभाग और वन विभाग से की। आरोप है कि दोनों विभागों ने खनन व निर्माण माफिया को फायदा पहुंचाने के लिए न तो गंभीरता से जांच की और न ही कोई कार्रवाई की। शिकायत करने के तीन दिन बाद उन्होंने अधिकारियों से संपर्क किया। ख्रनन अधिकारी ने उन्हें बताया कि मौके पर अंकित जैन नाम का व्यक्ति मिला था, अंकित का कहना था कि यह कृषि भूमि है, जमीन की सफाई की जा रही है। देवेंद्र का आरोप है कि खनन अधिकारी अंकित जैन की बातों पर यकीन कर लौट गए, उन्होंने पटवारी बुलवाकर जमीन का सत्यापन नहीं किया कि यह पहाड़ है या कृषि भूमि। इसी तरह वन अधिकारी राजकुमार यादव ने भी पेड़ काटे जाने से इनकार करते हुए बताया कि उन्हें मालिक ने सूचना दी थी कि केवल झाडिय़ां साफ की गई हैं। आरोप है कि पेड़ और पत्थर-बजरी बेचने से जो कमाई हुई उससे इस जगह एक बड़े हॉल का निर्माण करवाया गया।
महिपाल ग्रीन वैली बैंकट लान के मालिक ज्ञानेंद्र भड़ाना हैं जबकि इसका कारोबार अंकित जैन नाम का व्यक्ति संभालता है। देवेंद्र का यह भी आरोप है के अंकित जैन खुलेआम दावा करता है कि चाहे जहां शिकायत कर लो मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते, मुझे मंत्री-विधायक का संरक्षण मिला हुआ है। यही कारण है कि जब सारे शहर में निर्माण भी बंद था उस समय अनंगपुर में इस जगह खनन और निर्माण दोनों धड़ल्ले से जारी थे।
खनन और वन विभाग ही नही नगर निगम के ‘मुस्तैद’ अधिकारियों ने भी कार्रवाई नहीं की। केंद्रीय मंत्री किशनपाल गूजर के रहमोकरम के जरिए नगर निगम में तोडफ़ोड़ दस्ता चला रहे जेई प्रवीण बैंसला ने भी इस अवैध निर्माण की अनदेखी की। जाहिर है कि उन्होंने यह अनदेखी मुफ्त में तो नहीं की होगी। निगम कर्मियों में यह आम चर्चा है कि अवैध निर्माण की अनदेखी करने का सुविधा शुल्क कम से कम एक लाख रुपये से शुरू होता है, फिर यह निर्माण तो संरक्षित इलाके में, ग्रेप चार लागू होने के दौरान किया जा रहा था, तो समझा जा सकता है कि इसके लिए कितना मोटा सुविधा शुल्क वसूला गया होगा।
देवेंद्र भड़ाना भी आरोप लगाते हैं के खनन, वन विभाग के अधिकारियों ने पैसा लेकर जानबूझ कर कार्रवाई नहीं की। भाजपा को संस्कारी और भ्रष्टाचार मुक्त पार्टी बताने वाले मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर इस तरह के अवैध खनन और निर्माण की जानकारी होनेे के बावजूद कार्रवाई करना तो दूर अधिकारियों से जानकारी मांगने की भी जहमत नहीं उठाते। जानकारी भी क्यों मांगे जब उन्हें मालूम है उनकी पार्टी के मंत्री-विधायकों की छत्रछाया में ही ये काम हो रहे हैं, और इन मंत्री-विधायकों को भी सूबा प्रमुख होने के नाते खट्टर का ही संरक्षण प्राप्त है।
रात में करवाया जाता है अवैध खनन पूर्व मेयर देवेंद्र भड़ाना का आरोप है कि खनन और वन विभाग की मिलीभगत से अरावली संरक्षित वन क्षेत्र और प्रतिबंधित क्षेत्र में रात को अवैध खनन कराया जाता है। बताते चलें कि सरकार ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल (एनजीटी) में शपथपत्र देकर जानकारी दी थी कि फरीदाबाद में 80 स्टोन क्रशर चल रहे हैं। देवेंद्र भड़ाना के आरोप में दम नजर आता है कि इन क्रशरों को पत्थर उपलब्ध कराने के लिए अवैध खनन किया जा रहा है। वह बताते हैं कि रातों रात अवैध खनन कर पत्थर चोरी से ट्रकों पर लाद कर भेजा जाता है, मोटा सुविधा शुल्क मिलने के कारण खनन विभाग इन्हें नहीं पकड़ता। ऊपर से कार्रवाई का बहुत अधिक दबाव आने पर खनन माफिया से अपना एक आध ट्रक पकड़वाने को कहा जाता है। ट्रक को जब्त कर हल्की धाराओं में केस दर्ज कर औपचारिकता पूरी की जाती हैं और माफिया दो दिन बाद ही कोर्ट से जमानत कराके ट्रक छुड़वा लेता है। करोड़ों रुपये महीने का यह खेल इसीलिए चुपचाप धड़ल्ले से खेला जाता है, इसमें सत्ता-नेता, अफसर, पार्टी कार्यकर्ता सभी का लंबा चौड़ा गठजोड़ है, यही कारण है कि आम आदमी चाहे जितना शिकायत करे, कार्रवाई नहीं होती।