अनाथालय के नाम पर भारी घोटाला, उच्चाधिकारी भी शामिल

अनाथालय के नाम पर भारी घोटाला,  उच्चाधिकारी भी शामिल
October 15 15:59 2021

                               एडीसी होते है इसके चेयरमैन

फरीदाबाद (म.मो.) दो नम्बर तिकोना पार्क स्थित सीनियर सेकेंड्री स्कूल परिसर में हरियाणा सरकार का एक अनाथालय चलाया जा रहा है। सरकारी खजाने से इस पर करीब 38 लाख रुपये बीते सात वर्षों से वार्षिक खर्च किये जाते हैं। इस 38 लाख की कुल रकम में से बमुश्किल 4 लाख तो बच्चों पर खर्च किये जाते हैं, शेष 34 लाख अधिकारियों द्वारा डकार लिये जाते हैं।

अनाथालय के इस पूरे घोटाले का संचालन दीपक कपूर करता है। यह वही कपूर है जो नकली डिग्री के आधार पर शिक्षा विभाग पलवल में बतौर ठेकेदारी कर्मचारी आया था। अपनी जुगाड़बाज़ी व भ्रष्टाचार की बदौलत विभाग में न केवल पक्का कर्मचारी हो गया बल्कि डीईओ कार्यालय में डिप्टी सुपरिंटेंडेंट हो गया था। इस पद पर आने के बाद तो विभाग में लूट के नये-नये कीर्तिमान स्थापित करा दिये थे। भ्रष्ट अफसरों को लूट के नये-नये तरीके सुझाना और फिर उन्हें ब्लैकमेलिंग की धमकी देकर अपनी लूट के दायरे को बढाता जाता था। इसी वर्ष बड़ी मुश्किल से उसकी फर्जी डिग्री का पर्दाफाश होने पर उसे नौकरी से तो निकाल दिया गया परन्तु शिक्षा निदेशक गणेशन के आदेश के बावजूद उसके खिलाफ धोखाधड़ी की एफआईआर दर्ज नहीं हो पाई जिसके द्वारा बहुत से घोटालों के राज़ खुलने वाले हैं।

अनाथालय के 38 लाख का पूरा बजट इसी कपूर के हाथों में रहता आया है। अनाथालय में बावर्ची के तौर पर इसने अपनी बहन को दिखा रखा है। वार्डन, चौकीदार आदि के पदों पर अपने ही परिजनों को नियुक्त कर रखा है। तमाम तरह के फर्जी बिलों के द्वारा पैसा हड़प लिया जाता है। सबसे हास्यास्पद बिल तो उस प्राइवेट कार के हैं जिसे बतौर टैक्सी दिखा कर हर महीने एक बिल, बच्चों को सेक्टर 12 के खेल परिसर तक लाने ले जाने के लिये बनवाये गये, जबकि बच्चों ने कभी उस खेल परिसर की शक्ल तक नहीं देखी। जिस ढंग से बिल बनवाये गये हैं, वह स्वयं स्पष्ट कर रहा है कि बिल पूरी तरह से फर्जी हैं।

सरकार की ओर से इन बच्चों के रहने-खाने पहनने से लेकर नहाने-धोने तक का खर्च दिया जाता है। लेकिन सारा पैसा डकार लिये जाने के चलते बच्चों की यहां भयंकर दुर्दशा है। इनकी मार-पिटाई यहां इतनी होती है कि दहशत के मारे बच्चे अपना मुंह तक नहीं खोल पाते। अनाथालय पर सरकारी ठप्पा लगा होने के चलते दानदाता भी यहां पुण्य कमाने के लिये काफी कुछ दान करने आते रहते हैं जिसका कोई बही-खाता नहीं होता। भोजन का खर्च अनाथालय में दिखाया जाता है लेकिन खाना अधिकतर स्कूलों में मिलने वाला मिड-डे-मील होता है।

                                                                                                     एडीसी भी हिस्सेदार
जानकार, सबसे आश्चर्यजनक तथ्य यह भी बताते हैं कि अव्वल तो कपूर जि़ला शिक्षा अधिकारियों को फिट रखता है, फिर भी यदि कोई उसकी नकेल कस कर घोटाले को रोकना चाहे तो एडीसी सतबीर मान उसे फोन कर यह कहने में देर नहीं लगाते कि इसके काम में दखल मत दो। जाहिर है अनाथालय संचालक के प्रति एडीसी का यह प्यार-प्रेम मुफ्त में तो नहीं हो सकता। वैसे तो इसके चेयरमैन होने के नाते एडीसी को खुद से इस घोटाले की रोक-थाम करनी चाहिये, परन्तु इसके बजाय वे रोक-थाम करने वाले अन्य अधिकारियों को धमकाते हैं।

इससे भी आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि नौकरी से बर्खास्त होने के बावजूद अनाथालय पर दीपक कपूर द्वारा नियुक्त किये गये वार्डन व बावर्ची बहन के माध्यम से उसका दखल आज भी कायम है।

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Mazdoor Morcha
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