मज़दूर मोर्चा ब्यूरो पलवल के निकट सत्य साईं नामक एक धार्मिक संस्था ने बच्चों की हृदय शल्य चिकित्सा हेतु एक अस्पताल खोला हुआ है। यह शल्य चिकित्सा अति महीन एवं कठिन सर्जरी समझी जाती है, संपूर्ण उत्तर भारत में यह चिकित्सा यहां के अतिरिक्त केवल अपोलो जैसे व्यापारिक अस्पताल में ही हो सकती है। जाहिर है ऐसे में यहां मरीजों का अच्छा खासा आवागमन रहता है, इसके बावजूद यहां कोई फीस काउंटर नहीं है। कोई अपनी खुशी से कुछ देना भी चाहता है तो यह लोग लेने से साफ इनकार कर देते हैं और कहते हैं कि यदि कुछ देना ही है तो संस्था के पते पर स्वत: अपनी इच्छा एवं श्रद्धा अनुसार कुछ भिजवा देना।
इसी तरह का एक डायलिसिस संस्थान दिल्ली स्थित सराय कालेखां के निकट गुरुद्वारे में सिक्खों ने भी खोला हुआ है। वहां भी कोई फीस लेने का काउंटर नहीं बनाया गया है। कोई भी मरीज आए, लंगर खाए, अपना डायलिसिस कराए राजी खुशी अपने घर को जाए।
इसी तरह ईसाई मिशनरीज़ दूरदराज के उपेक्षित क्षेत्रों में शिक्षा और चिकित्सा की सेवाएं गरीब लोगों को देते हैं तो हिंदू धर्म के ठेकेदारों के पेट में दर्द होने लगता है। उन्हें लगता है कि ये मिशनरीज़ अपनी सेवाओं के बदले अपने धर्म का प्रचार करते हैं। यदि अम्मा को भी धर्म के नाम पर ही काम करना था तो लूट का धंधा नहीं करना चाहिए था।
अम्मा के कमर्शियल इरादे 133 एकड़ जमीन केवल अस्पताल और मेडिकल कॉलेज नहीं बल्कि शॉपिंग सेंटर और मॉल इत्यादि बनाने के लिए ली गई है। गत सप्ताह यहां खट्टर के आगमन को इसी उद्देश्य से जोड़ कर देखा जा रहा है। जल्द ही इससे संबंधित सच्चाई सामने आएगी जब यहां कमर्शियल प्लॉटों की बिक्री खोल दी जाएगी।