अमेरिका में दिए अपने भाषण में राहुल गांधी ने भाजपा की चूलें हिला कर रख दीं। उन्होंने भारत में विपक्षी दलों के राजनीतिक रास्ते में भाजपा द्वारा लगाए रोड़ों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि भाजपा ने पुलिस प्रशासन से लेकर अन्य सरकारी एजेंसियों का दुरुपयोग विपक्षी पार्टियों की राजनीति को ध्वस्त करने के लिए किया। इससे पार पाने के लिए कांग्रेस पार्टी ने भारत जोड़ो यात्रा का फैसला लिया और वह फैसला एक सफल फैसले के रूप में बदला।
राहुल गांधी ने आगे संघ और भाजपा पर तंज़ कसते हुए कहा कि “भारत में एक ग्रुप है जो यह समझता है कि वह दुनिया का सारा ज्ञान जानता है। ऐसे गु्रप और ऐसे लोगों को वह बीमार कहते हैं। वह मानते हैं कि वह मानसिक रूप से बीमार हैं और उन्हें इलाज की जरूरत है। राहुल ने कहा कि इस ग्रुप के लोग मानते हैं कि उन्हें भगवान से भी ज्यादा ज्ञान है। प्रधानमंत्री मोदी का नाम लेते हुए उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी उस ग्रुप लीडर हैं और अगर भगवान को भी उनके सामने बैठा दिया जाए तो वह भगवान को यह बताएंगे कि यूनिवर्स कैसे काम करता है, जिसे देखकर शायद भगवान भी कंफ्यूज हो जाए कि मैंने क्या चीज बना दी है। इस ग्रुप के लोग साइंटिस्ट को साइंस कैसे काम करती है वह बताते हैं, हिस्टोरियन को इतिहास क्या है वह बताते हैं, आर्मी, एयरफोर्स, नेवी को कैसे युद्ध करना चाहिए, कैसे हवाई जहाज उड़ान चाहिए यह बताते हैं, नासा को यह बताते हैं कि उनको अंतरिक्ष में कैसे रॉकेट दागने चाहिए। जबकि असलियत यह है कि इस ग्रुप के लोगों को कुछ भी नहीं पता है। ये बिल्कुल अनपढ़ लोग हैं।
राहुल गांधी की बात एकदम सही है क्योंकि भाजपा की आदत कुछ न सुनने की है। आप देख सकते हैं कि भाजपा ने न कभी किसानों की सुनी न कभी सिपाहियों व जवानों की सुनी और आजकल धरने पर बैठे पहलवानों को भी नहीं सुन रही जिनके साथ कभी कैमरा पर अपने रिश्ते निकलते हुए मोदी जी नाश्ता कर रहे थे।
राहुल गांधी ने कहा कि न सुनने की संस्कृति भारत की संस्कृति नहीं है जबकि भारत की संस्कृति दूसरे देशों की दूसरी संस्कृतियों को, दूसरे मजहबों के, दूसरे लोगों के आइडियाज को आत्मसात करने के लिए जानी जाती है। जबकि भाजपा की आइडियोलॉजी दूसरे लोगों को खारिज करने में माइनॉरिटी को दबाने और लोगों को डराने की रही है।
अमेरिका में दिए अपने भाषण में राहुल गांधी ने हॉल में आए दर्शकों को धन्यवाद देते हुए कहा कि मैं मानता हूं कि आप सभी प्रेम और बंधुत्व की भावना से जुड़े हुए हैं इसीलिए आप मुझे सुनने यहां आए अगर ऐसा न होता और आप घृणा और नफरत के पैरोकार होते तो पक्का भाजपा की मीटिंग में होते और किसी के मन की बात सुन रहे होते।
राहुल गांधी के भाषणों से तिलमिलाई भाजपा को समझ में नहीं आ रहा है कि क्या जवाब दिया जाए। क्योंकि 2 से 3 हफ्तों बाद खुद प्रधानमंत्री मोदी अमेरिका यात्रा पर होंगे और राहुल गांधी के द्वारा रखे गए इन मापदंडों पर उन्हें कसा जाएगा। जाहिर सी बात है प्रधानमंत्री को न सवाल सुनने की आदत है और न जवाब देने की अक्ल है उन्हें सिर्फ मन की बात करने की आदत है पर यह सारी लफ्फाजियां हिंदुस्तान में चल जाती हैं। अमेरिका में इसका चलना लगभग असंभव है। मोदी बेशक वहां प्रेस कॉन्फ्रेंस न करें पर प्रेस वाले तो उनके बारे में कॉन्फ्रेंस करेंगे और उनकी चीर फाड़ करके पहले पेज पर उसको पेश करेंगे।
राहुल गांधी के भाषण से बौखलाई भाजपा अपने आईटी सेल के माध्यम से यह साबित करने में लगी है कि राहुल गांधी को भारत को बदनाम करने की आदत सी पड़ गई है। न जाने मोदी को कब से भारत मान लिया गया। भाजपा के आईटी सेल और भाजपाई संघी ही मोदी को भारत समझते हैं। संघियों को शायद मालूम नहीं कि भारत इतना बड़ा है कि मोदी जैसे लोग उसमें कब आते हैं और कब चले जाते हैं पता भी नहीं चलता। कुल जमा भाजपा को अब समझ में नहीं आ रहा है इस भाषण का जवाब कैसे दें, तो इसको अब वह भारत की अस्मिता से जोडक़र प्रचारित करने का प्रयास कर रहे हैं जो कि सफल नहीं होगा। क्योंकि सच्चाई तो यह है कि तमिल, कन्नड़, हिंदी, पंजाबी सबका जिक्र करके और भारतीय संस्कृति में गुरुनानक, आदि शंकराचार्य का जिक्र करके राहुल गांधी ने भारत के मान को बढ़ाया ही है। हां, अगर इसमें मोदी को जोड़ देते तो शायद भारत का अपमान हो जाता।