कोरोना के नाम पर, बीते दो सालों में व्यापारिक अस्पतालों, फार्मास्यूटिकल कम्पनियों व इनसे जुड़े तमाम लोगों ने जनता को जी भर कर लूटा है। इस दौरान, धंधे से जुड़े लोग लखपति से करोड़पति व करोड़पति से अरबोंपति हो गये। इनके लिये कोरोना बीमारी न होकर नोट छापने की मशीन बन गया। लूट के इस कारोबार में भयभीत जनता तो मजबूरन दवाओं आदि की खरीदारी करती ही है, लेकिन सबसे बड़ी खरीदार तो भारत सरकार एवं राज्य सरकारें हैं।
लूट दौड़ में, मुनाफे की हवस का मारा रिलायंस इंडस्ट्रीज का मालिक मुकेश अम्बानी भला क्यों पीछे रहता, खास कर जब सबसे बड़ा खरीदार एवं मुनाफा देने वाला प्रधानमंत्री मोदी उसका खास जोड़ीदार हो।मीडिया में प्रकाशित समाचारों के अनुसार रिलायंस कंपनी ने भी कोरोना वैक्सीन तैयार कर लिया है। उसे पहले मानव परीक्षण की अनुमति भी तुर्त-फुर्त दे दी गई है।
यह वैक्सीन प्रोटीन सब यूनिट तकनीक पर आधारित है। जल्द ही इसके लिये ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इन्डिया से भी यह मंजूरी मोदी जी दिला ही देंगे क्योंकि वहां के अफसरों ने नौकरी तो मोदी जी की ही करनी है। मुनाफे की लूट में हिस्सा पाने की जल्दबाज़ी में मुकेश अम्बानी ने यह वैक्सीन मैदान में उतार तो दिया है लेकिन इसके परिणाम क्या होंगे यह समय ही बतायेगा।
अम्बानी के इस मिशन को प्रेरणा मिलने के पीछे एक नया रहस्योद्घाटन भी है कि वैक्सीनेशन की मात्र दो डोज ही पर्याप्त नहीं हैं, समय-समय पर बूस्टर डोज भी लगवाते रहना पड़ेगा, जाहिर है इससे वैक्सीन का बाजार एवं मुनाफा दिन दुनी-रात चौगुणी बढता ही जायेगा।