फरीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) हिन्दू संस्कृति के स्वयंभू रक्षक बजरंगी गुंडों ने वेलेंटाइन-डे यानी 14 फरवरी को शहर भर में गुंडागर्दी की योजना बनाई थी। इसके तहत उन्होंने एनएच तीन स्थित चिमनीबाई धर्मशाला के निकट एक पार्क में बैठे उस दम्पति को घेर लिया जिन्हें वेलेंटाइन का कोई ज्ञान ही नहीं था। गुंडों ने जब पति को घेर कर पीटना शुरू किया तो उसने बार-बार पूछा कि क्या बात है? गुंडों की बकवास सुन कर बिहार के उस मूल निवासी ने कहा कि उसके साथ वाली महिला उसकी पत्नी है। लेकिन गुंडागर्दी पर उतारू कुछ भी सुनने को तैयार नहीं थे। पुरुष ने जब पुलिस को फोन किया तो गुंडे भाग गये।
इसके बाद यह गुंडा-गिरोह तीन नम्बर में स्थित डीएवी कॉलेज के सामने लाठी-डंडे लेकर खड़े हो गये। कॉलेज में आने-जाने वाले छात्र-छात्राओं पर नज़र रखते हुए जब उन्होंने किसी छात्र-छात्रा को साथ-साथ चलते व बतियाते देखा तो ये गुंडे उन पर पिल पड़े। इन्हें गुंडों द्वारा पिटता देख अनेकों छात्र वहां तुरन्त जुट गये। पूरी बात समझ कर छात्रों ने गुंडों के लाठी-डंडे छीन कर जब उन्हें पीटना शुरू किया तो ‘हिन्दू संस्कृति’ को छोडक़र बजरंगी जान बचा कर भागे। छात्रों ने उन्हें काफी दूर तक दौड़ा-दौड़ा कर पीटा।
इस भाग-दौड़ में वे गुंडे अपनी कार भी वहीं छोड़ गये। शुक्र यह रहा कि छात्रों को यह पता नहीं चल पाया कि वहां खड़ी कार उन गुंडों की ही थी वरना कार की भी शक्ल-सूरत अच्छी तरह संवार देते। डर के मारे बजरंगियों की हिम्मत न हुई कि वहां से कार को ले जा सके। बाद में मामला ठंडा होने के बाद पुलिस की सहायता से चुपचाप कार को ले जा पाये।
पुलिस की बेशर्मी का आलम यह रहा कि उसने न तो इन गुंडों के स्वछंद विचरण पर कोई रोक लगाई और न ही सूचना मिलने के बाद उन गुंडों के खिलाफ कोई कार्रवाइ की। क्षेत्र के पुलिस चौकी प्रभारी सब इंस्पेक्टर सोहनपाल का कहना है कि उनके पास इस सम्बन्ध में कोई शिकायत नहीं आई है, शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जायेगी। दूसरी ओर पुलिस प्रवक्ता सूबे सिंह ने तो और भी कमाल का बयान दिया। वे फरमाते हैं कि यदि कोई अश्लील हरकत नहीं कर रहा हो तो उसके साथ किसी प्रकार का दुर्व्यवहार यानी मार-पीट आदि नहीं करनी चाहिये। गजब की सोच है। मतलब यह निकला कि अगर कोई तथाकथित अश्लीलता कर रहा हो तो इन गुंडों को उन्हें पीटने का अधिकार है।
दरअसल इसमें सूबे सिंह अथवा पुलिस चौकी इंचार्ज का कोई बड़ा दोष नहीं है। ये बेचारे तो संघी सरकार की नौकरी कर रहे हैं। ये वही सब करेंगे जो कुछ करने के निर्देश ऊपर से आयेंगे। शुक्र यह रहा कि बजरंगी गुंडों के संरक्षण के लिये उनके साथ पुलिस को नहीं लगाया गया था।
अक्सर देखने को मिलता है कि बिना पुलिस संरक्षण के ये लोग गुंडागर्दी करने से घबराते हैं। यह सच्चाई इस मामले में जनता द्वारा इन्हें दौड़ा-दौड़ा कर पीटने से साबित भी हो चुकी है। जनता के लिये सबक यह निकलता है कि इन भगवा गुंडों से निपटने के लिये पुलिस के भरोसे रहने की बजाय, अपना हाथ जगन्नाथ फार्मूले का इस्तेमाल करें।