अग्निपथ की आग में जल गए मोदी

अग्निपथ की आग में जल गए मोदी
June 25 22:27 2022

मज़दूर मोर्चा ब्यूरो
नये-नये आकर्षक नाम गढऩे में माहिर मोदी गिरोह ने देश की युवाओं को रोजगार देने के नाम पर अग्निपथ नाम से एक जाल फैलाया है। इसमें फंसने वालों को अग्निवीर का नाम दिया गया है। लेकिन देश के युवा इतने मूर्ख नहीं रह गये हैं जो मोदी गिरोह की इस चाल को न समझ सकें। इसलिये इसके विरोध में तेलांगना, कर्नाटक, बिहार, बंगाल, उड़ीसा, यूपी, मध्यप्रदेश, राजस्थान, हरियाणा आदि तमाम राज्यों में युवा सडक़ों पर उतर आये हैं।

बीते करीब तीन वर्षों से सेना में कोई भर्ती नहीं हो रही है। इसके चलते देश की थल सेना में 92 हजार सैनिकों तथा 13 हजार अफसरों के पद खाली पड़े हैं। विदित है कि देश के गरीब एवं साधनों से वंचित युवाओं के लिए फौज की नौकरी ही एकमात्र बाइज्जत रोजगार बचा है। इसके लिए इन वर्गो के युवक कड़ी मेहनत करके अपने आपको शारीरिक एवम् मानसिक रूप से सेना के लिए तैयार करते हैं। बीते तीन वर्ष से भर्ती न होने के कारण अनेकों युवक अपनी आयु सीमा भी पार कर चुके हैं।

इन युवाओं को बहलाने के लिए मोदी सरकार ने अग्रिपथ नाम से योजना पेश की है। इसके द्वारा 17.5 साल की आयु 23 साल के युवाओं को मात्र चार वर्ष के लिए भर्ती किया जायेगा। इनमें से मात्र 25 प्रतिशत को स्थायी रूप से सेना में रखा गया जायेगा शेष को सेवानिवृत्त कर दिया जायेगा जिन्हें कोई पेंशन अथवा सेवा लाभ नहीं मिलेगा। कहने की जरूरत नहीं कि जो 25 प्रतिशत नियमिति सैनिक बन पायेंगे वे भी भरकम भ्रष्टाचार के शिकार हुआ करेंगे।

चार वर्ष के सेवाकाल में कोई भी युवक पूरी तरह टे्रंड सैनिक भी नहीं बन पायेगा और इससे पहले ही वह रिटायर हो जायेगा। इस योजना के तहत मात्र छह महीने की टे्रनिंग देकर, बंदूक पकड़ाकर उसे कश्मीर तथा उत्तर पूर्वी क्षेत्रों में मरने के लिए झोंक दिया जायेगा। समझा जा सकता है कि यह नौसिखिये जवान जो अब ढंग से हथियार पकडऩा भी न जानते होंगे बेमौत मारे जायेंगे। सरकार उनकी मौत पर एक पीपनी बजाकर तथा मगरमच्छ के आंसू बहाकर श्रद्धाजंलि का ढोंग कर देंगे।

लेकिन युवाओं ने इसे सिरे से नकार दिया। विरोध प्रकट करने के लिए युवाओं ने जो रास्ता अख्तियार किया है उसे गैरकानूनी एवम् हिंसक बताया गया है। कहा जा रहा है कि उन्हें अपनी राष्ट्रीय सम्पत्ति को क्षति नहीं पहुंचानी चाहिए। बात काफी हद तक सही भी है लेकिन प्रदर्शनकारियों का इसे देखने का नजरिया कुछ दूसरा है। वे रेलें, बसे एवम् अन्य सरकारी सम्पत्तियों को क्षतिग्रस्त करके सरकार की प्रभुसत्ता को चैलेंज कर रहे हैं। उनके हाथ शासक वर्ग के किसी बड़े नेता के गले तक पहुंचने में तो समर्थ है नहीं इसलिए वे इस तरह के हिंसक आंदोलन का सहारा लेने को मजबूर है। उनका मानना है कि सरकार इसके अलावा कोई और भाषा समझती भी नहीं है। जब पीडि़त का अपने से जाबर पर वश नहीं चलता तो वे अपने को ही मारकर अपना रोष प्रकट करता है। यही सब कुछ आज का आक्रोषित युवा कर रहा है।

फौज की भर्ती के नए नियमों के विरुद्ध पुलिस की बेवकूफी से पलवल में चार घंटे चला उत्पात ।

केंद्र सरकार की अग्निपथ योजना से गुस्साए युवाओं ने बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय राजमार्ग-19 जाम कर जमकर उपद्रव मचाया। युवाओं ने पुलिसकर्मियों पर जमकर पत्थर बरसाए और जिला उपायुक्त निवास स्थान स्थित गार्ड रूम में आग लगा दी। उपद्रव में एक दर्जन से अधिक पुलिसकर्मियों को चोटें आईं। भडक़े युवाओं ने पुलिस की पांच गाडिय़ों को भी जला दिया। करीब तीन घंटे बाद दूसरे जिलों से आई पुलिस ने मोर्चा संभाला और प्रदर्शनकारियों पर काबू पाया।

बृहस्पतिवार की सुबह साढ़े नौ बजे सैंकड़ों की संख्या में युवा सबसे पहले शहर के बस स्टैंड पर जाकर एकत्रित हुए और नारेबाजी करते हुए लघु सचिवालय की तरफ चल दिए। शहर के ताऊ देवीलाल पार्क के समीप जाकर युवा अचानक राष्ट्रीय राजमार्ग-19 पर बैठ गए और आसपास लगी ग्रिलों व खंबों को उखाडक़र राष्ट्रीय राजमार्ग-19 जाम कर दिया। मौके पर पहुंचे डीएसपी मुख्यालय अनिल कुमार, डीएसपी यशपाल खटाना, डीएसपी विजय पाल, डीएसपी सत्येंद्र ने प्रदर्शनकारी युवाओं को समझाने बुझाने का प्रयास किया, मगर कोई बात नहीं बन सकी। इसके बाद करीब दोपहर 12 बजे पुलिस ने पर्याप्त संख्याबल नही होने बावजूद युवाओं को खदेडऩे की कोशिश की तो युवा उग्र हो गए। युवाओं ने चारों डीएसपी समेत अन्य पुलिसकर्मियों पर पथराव शुरू कर दिया। पुलिसकर्मी पास ही बने जिला उपायुक्त के निवास स्थान में घुस गए। इसके बाद गुस्साए युवाओं ने जिला उपायुक्त के निवास स्थान में पत्थर बरसाने शुरू कर दिए। वहीं ताऊ देवीलाल पार्क के समीप खड़ी पुलिस की पांच गाडिय़ों में तोडफ़ोड़ कर आग के हवाले कर दिया गया। करीब डेढ़ घंटे तक युवा उपद्रव करते रहे। इसके बाद करीब डेढ़ बजे फरीदाबाद, नूंह से आये पुलिस बल और पलवल जिले की पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और हवा फायरिंग कर युवाओं पर काबू पाया। पुलिस को हावी होता देख प्रदर्शनकारी युवा कैंप मार्किट की तरफ भाग निकले। इसी बीच पुलिस ने सडक़ पर आने जाने वाले अनेक बेकसूर लोगों को भी हिरासत में ले लिया।

प्रशासन ने हालातों को देखते हुए शहर में धारा 144 लागू कर दी और इंटरनेट को भी बंद करने के आदेश दे दिए। मौके पर पहुंचे जिला उपायुक्त कृष्ण कुमार और कार्यवाहक पुलिस अधीक्षक मुकेश मल्होत्रा ने शहर भर में फ्लैग मार्च निकाला। इसके बाद पुलिस ने शहर के फौज की भर्ती की तैयारी करवाने वाले कोचिंग सेंटरों में जाकर वहां पहुंचे युवाओं को हिरासत में ले लिया तथा वहां से कोचिंग लेने वाले छात्रों के नाम व पते लेकर रात को ही अनेक युवाओं को हिरासत में ले लिया। कैम्प थाना में दो अलग अलग एफआईआर दर्ज की गई हैं। सूचना के अनुसार लगभग 72 युवाओं को हिरासत में लिया गया है।

इस उत्पात की सूचना गुप्तचर विभाग समय रहते दे देता और आंदोलन कारी युवाओं को यदि बस अड्डे पर ही रोक लिया जाता और उसी समय पर्याप्त पुलिस बल बुला लिया जाता तो पलवल के ये हालत नही बनते।

हर काम का सेहरा अपने सिर बांधने वाले मोदी ने अग्रिपथ राजनाथ के सिर मढा।

आज तक चाहे कोरोना की वैक्सीन लगनी हो, चाहे गैस का सिलैण्डर बांटना हो, चाहे पांच किलो अनाज देना हो, चाहे पेट्रोल के दाम पांच रूपए घटाने हो, हर चीज के लिए ‘मोदी जी थैंक्यू’ के नारे हवा में उछाले जाते रहे हैं। लेकिन इस बार मोदी को काफी हद तक एहसास रहा होगा कि यह अग्रिपथ उनके अग्रि परीक्षा बन सकता है। इसलिए इसकी घोषणा उन्होंने रक्षामंत्री राजनाथ सिंह से करवाई। राजनाथ सिंह ने भी यह घोषणा करते समय थोड़ी चतुराई दिखाते हुए अपने दांये-बांये तीनों सेना प्रमुख बिठा लिए। लानत है उन तीनों सेना अध्यक्षों को जिन्होंने सब कुछ जानते बूझते भी इस सेना विरोधी कदम को अपनी मूक स्वीकृत्ति देकर जनता को भ्रमित करने का प्रयास किया। कहने की जरूरत नहीं इन तीनों ने अपना सेवाकाल का उच्चतम पद हासिल कर लिया है और सेवानिवृत्ति के मुहाने पर बैठे हैं। इसके बावजूद भी उन्होंने इस राष्ट्र विरोधी षडयंत्र में अपने आपको लिप्त कर लिया।

गौरतलब है कि पूर्व सेनाध्यक्ष एवम् मौजूदा केन्द्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह की आत्मा शायद अभी पूरी तरह मरी नहीं है। वे मोदी भक्त तो जरूर है लेकिन इस मुद्दे पर उन्होंने अंधभक्त बनने से इंकार कर दिया। जब पत्रकारों ने इस योजना बाबत पूछा तो उन्होंने साफ कह दिया कि इस बारे में मुझे कुछ ज्यादा ज्ञान है नहीं। अभी तो मैंने इसके बाबत सुना है जब योजना धरातल पर आयेगी तब उसे देखा व समझा जा सकेगा। मामला स्पष्ट है जब एयर चीफ मार्शल व अन्य सरकारी भोंपू इस योजना की खुलकर वकालत एवम् तारीफ कर रहे हैं तो ऐसे में जनरल वीके सिंह क्यों पीछे रह गये? अर्थ स्पष्ट है कि वह अपनी सेना व देश के साथ, मोदी के कहने पर गददारी नहीं कर सकते।

 

 

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