फरीदाबाद वासियों को बहलाने के लिए 1300 करोड़ का नया झुनझुना

फरीदाबाद वासियों को बहलाने के लिए 1300 करोड़ का नया झुनझुना
December 12 02:21 2023

फरीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) बीते 9 साल में फरीदाबाद को स्मार्ट सिटी बनाने के नाम पर पांच हजार करोड़ रुपये डकारे जा चुकने के बाद अब एक के बाद एक नया झुनझुना पेश किया जा रहा है। फऱीदाबाद से गुडग़ांव तथा पलवल के लिये मेट्रो रेल ‘सरपट दौड़ा’ चुकने के बाद, मिनटों में नोएडा पहुंचने के लिये पॉड टैक्सी चलाने का झुनझुना भी शायद खट्टर सरकार को कुछ हल्का महसूस हो रहा था, इसलिये अब 1300 करोड़ का एक नया झुनझुना पेश किया है। इसके द्वारा एनआईटी व ग्रेटर फऱीदाबाद को जोडऩे के लिये ऐसे हवाई रास्ते बनाये जाएंगे जिनसे लोग बिना किसी रुकावट के, मिनटों में आ-जा सकेंगे। इतना ही नहीं इसके द्वारा गुडग़ांव से नोएडा तक की भी राह आसान हो जायेगी।

खट्टर हो या मोदी एक ही बात जानते हैं धरातल पर कोई काम करने की जरूरत नहीं, गोदी मीडिया द्वारा सुर्खियां बटोरकर केवल प्रोपेगंडा करके जनता को बेवकूफ़ बना कर वोट बटोरते रहो। अपनी इसी नीति के सहारे जहां एक ओर मोदी राष्ट्रीय स्तर पर घोषणाओं की झड़ी लगाते आ रहे हैंं, वहीं खट्टर भी इस मुकाबले में पीछे रहने को तैयार नहीं हैं। उक्त घोषणाओं से पहले खट्टर सरकार ने एफएनजी (फरीदाबाद-नोएडा-गाजिय़ाबाद) का गुब्बारा फुलाते हुए गुडग़ांव से फऱीदाबाद-नोएडा व गाजियाबाद तक के आवागमन को सरल बनाने की घोषणा की थी।

इन सब घोषणाओं से पहले 15 अगस्त 2014 को मंझावली स्थित यमुना पुल बनाने की आधारशिला रखते हुए दो केन्द्रीय मंत्रियों नितिन गडकरी व कृष्णपाल गूजर ने घोषणा की थी कि दो साल में इस पुल को चालू कर दिया जाएगा। अधबने इस पुल पर ‘चल रहे’ काम को देखते हुए लगता नहीं कि आगामी दो साल में भी यह चालू हो पाएगा। अपने तमाम प्रोजेक्टों की घोषणा करते वक्त ये संघी घोषणावीर यह ढिंढोरा पीटना नहीं भूलते कि इनके पूरा हो जाने पर जनता का कितना समय व तेल बचेगा तथा जाम से मुक्ति तो मिलेगी ही। लेकिन यह कभी नहीं बताते कि इन प्रोजेक्टों के पूरा न हो पाने से जनता की कितनी भारी ऐसी-तैसी हो रही है।

ताज़ातरीण 1300 करोड़ के उक्त झुनझुने के बारे में यह बताया जा रहा है कि हरियाणा सरकार ने तो मंंजूरी दे दी है, लेकिन केन्द्र सरकार की मंजूरी के लिये स्थानीय विधायक, केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी को मनाने में जुटे हैं। अब कोई पूछे झूठ बेचने वाले इन सौदागरों से कि खट्टर को मंजूरी देने में क्या दिक्कत हो सकती है? कोई दिक्कत नहीं हो सकती, हां, दिक्कत तो केवल पैसे देने में हो सकती है क्योंकि पैसा तो सारा इन्होंने अट्टे-बट्टे लगा छोड़ा है। मामले को लटकाए रखने के लिये केन्द्रीय मंत्री की आड़ ली जा रही है। यदि नीयत दोनों सरकारों की सा$फ है तो फिर इस डबल इंजन की सरकार में दिक्कत क्या है, काम क्यों नहीं शुरू करते? जनता का भरोसा कायम रखने के लिये पीडब्ल्यूडी एक्सईएन के हवाले से यह भी कहा जा रहा है कि फीजिबिलिटी व डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनवा ली गई है। यदि यह सच है तो देर काहे की ? भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक अभी तक न तो कोई फीजिबिलिटी रिपोर्ट और न ही डीपीआर बनी है झूठमेव जयते। विदित है कि शहरी इलाके में कोई भी निर्माण कार्य नगर निगम एफएमडीए स्मार्ट सिटी व हूडा विभाग ही करते हैं, लिहाजा पीडब्ल्यूडी का इस निर्माण कार्य से कोई ताल्लुक नहीं हो सकता, हां, अम्मा अस्पताल के बाद नोएडा जाने के लिए अगर कुछ करना हो तो वो पीडब्ल्यूडी कर सकेगा।

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Mazdoor Morcha
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