अधिकारियों की मिलीभगत से चल रहा है नगर निगम में रिश्वतखोरी का धंधा

अधिकारियों की मिलीभगत से चल रहा है नगर निगम में रिश्वतखोरी का धंधा
March 03 16:17 2024

फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) नगर निगम के एक कच्चे कर्मचारी अरुण को एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने दस हजार रुपये रिश्वते लेते सोमवार को रंगेहाथ गिरफ्तार किया। उसने ये रुपये जवाहर कॉलोनी निवासी संजीव से जन्म प्रमाणपत्र की दूसरी प्रति निकलवाने के एवज में लिए थे। अरुण अकाउंट शाखा में तैनात है लेकिन वह रिश्वत लेकर किसी भी विभाग में कोई भी काम करवा लेता है। समझा जा सकता है कि नगर निगम में सभी विभागों के बीच भ्रष्टाचार का नेटवर्क इसी तरह काम करता है।

कोई भी तृतीय-चतुर्थ श्रेणी का कर्मचारी दस-बीस हज़ार रुपये रिश्वत मांगने और अकेले डकारने की हिम्मत नहीं कर सकता। संभव नहीं कि आला अधिकारियों को इस खेल की जानकारी न हो, कि उनकी नाक के नीचे छोटे कर्मचारी दस्तावेजों में खेल कर मनमाने प्रमाणपत्र, रसीदें बना दें और इतनी मोटी रक़म अकेले डकार जाएं। माना जा सकता है कि ये आला अधिकारी ही इन छोटे कर्मचारियों को कलेक्शन एजेंट के रूप में छोड़े हुए हैं, क्योंकि इनकी नौकरी कच्ची होती है, ये कर्मचारी शिकार फंसा कर उससे मोटा सुविधा शुल्क वसूल कर बड़ा हिस्सा ऊपर बैठे अधिकारियों को पहुंचाते हैं जिसके एवज में उन्हें भी काली कमाई का एक टुकड़ा डाला जाता है। निगमायुक्त मोना ए श्रीनिवास को भी निगम में चल रहे इस भ्रष्टाचार की जानकारी न हो ऐसा मुमकिन नहीं है बावजूद इसके उनका कोई कार्रवाई न करना उनकी कार्यशैली पर भी प्रश्नचिह्न लगाता है। लगता है कि भ्रष्ट कर्मचारियों पर कार्रवाई करने की उनकी नीयत नहीं है, यदि नीयत होती तो वो निजी सचिव की तरह कार्य करने वाले भ्रष्टाचारी प्रेम को सख्ती से क्लर्क के पद पर भेजतीं लेकिन केवल अपने कार्यालय से हटाने की औपचारिकता ही की। इसी का नतीजा है कि प्रेम आज भी निगमायुक्त कार्यालय के आसपास ही मंडराता रहता है और ठेकेदारों, कर्मचारियों की मिलीभगत से उसी तरह काम कर रहा है जैसे पहले कर रहा था। कहने को तो निगमायुक्त ने रवि को अपनी पीए बनाया है लेकिन दफ्तर में प्रेम ही नजर आता है। यदि निगमायुक्त की नीयत सही होती तो उसे बल्लभगढ़ या ओल्ड फरीदाबाद ज़ोन में क्लर्क के पद पर भेजा जाता। माना जा सकता है कि नगर निगम में हो रही रिश्वतखोरी में निगमायुक्त की भी मूक सहमति होती है।

नगर निगम में रिश्वतखोरी चरम पर है, यहां आने वाले अधिकतर व्यक्ति अपना काम कराने के लिए सुविधा शुल्क चुकाने को मजबूर होते हैं। शिकायत करने के बजाय कौन झंझट में पड़े, पैसा फेको काम कराओ वाली सोच से जकड़े इन लोगों के कारण ही रिश्वतखोर कर्मचारी व अधिकारी खूब ऊपरी कमाई कर रहे हैं। इस सबमें सबसे सुरक्षित अधिकारी होते हैं, ऊपरी आय भी होती है और सीधे भ्रष्टाचार में शामिल भी नहीं होते, शिकायत होने पर पीडि़त के सामने आरोपी कर्मचारी को इस तरह धमकाया जाता है कि शिकायतकर्ता को लगता है कि साहब तो नौकरी से हटा कर ही मानेंगे। शिकायतकर्ता का काम करवा कर अधिकारी ईमानदार होने और मातहतों पर सख्त होने का संदेश देते हैं, इसके बाद वही ढर्रा।

कई हज़ार व्यक्तियों में से कोई एक ही संजीव कुमार जैसा व्यक्ति आता है जो एसीबी में शिकायत दर्ज कराने पहुंचता है तब कहीं भ्रष्टाचार का एक केस सामने आता है। एसीबी ने 11 महीने पहले 24 मार्च 2023 को इसी नगर निगम में प्रॉपटी आईडी दर्ज कराने के एवज में तीस हज़ार रुपये रिश्वत लेने वाले क्लर्क अजय और चौकीदार विनोद को रंगेहाथ गिरफ्तार किया था। ये तो छोटे कर्मचारी हैं, ठेकेदार सतबीर से मिलीभगत कर चीफ इंजीनियर डीआर भास्कर से लेकर आईएस सोनल गोयल, एम शाईन और अनीता यादव ने दो सौ करोड़ रुपये का गबन कर डाला। छोटे कर्मचारी तो रंगेहाथ पकड़ लिए जाते हैं लेकिन बेखौफ आईएएस अधिकारी ऊंचे पदों पर बैठा दिए जाते है, इन अधिकारियों को ये बड़े पद भी ज़ीरो टॉलरेंस का ढिंढोरा पीटने वाले सीएम खट्टर ने ही दिया है।

ये भ्रष्टाचार सिर्फ नगर निगम में व्याप्त है, ऐसा नहीं है। राजस्व विभाग और हूडा में तो अधिकारियों ने वसूली करने के लिए बाकायदा अपने नीचे निजी कर्मचारी तैनात कर रखे हैं। बल्लभगढ़ तहसील में कार्यरत हल्का पटवारी सहदेव ने नवीन कुमार नाम के युवक को निजी सचिव बना कर अपनी कुर्सी पर बैठा रखा था। नवीन ही इंतकाल दर्ज करने या अन्य सेवाएं देने के नाम पर सहदेव की जगह रिश्वत लेता था। 21 नवंबर 2023 को नवीन को एसीबी ने पकड़ा, बाद में सहदेव पर भी केस दर्ज किया गया। इसी तरह हूडा में तैनात एसडीओ ने निजी खर्च पर कार्यालय में दो लड़कियों को अपनी कुर्सी पर बैठा रखा था, ये लड़कियां ही ऊपरी लेन देन करती थीं। सीएम फ्लाइंग स्क्वाड ने इन युवतियों को पकड़ा लेकिन आगे की जांच ठंडे बस्ते में चली गई। सरकारी कार्यालयों में खुलेआम रिश्वतखोरी इंगित करती है कि भ्रष्टाचार को राज्य के मुखिया यानी सीएम खट्टर की मूक सहमति प्राप्त है। खट्टर भी जानते हैं कि धर्म की अफीम चाटने वाली जनता भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज नहीं उठाएगी, अगर कुछ हो तो ज़ीरो टॉलरेंस का जुमला फेंक गुमराह जनता को अंधभक्त बना डालो, रही बात भ्रष्टाचार की वो तो फलता फूलता रहेगा।

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Mazdoor Morcha
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