मजदूर मोर्चा ब्यूरो फरीदाबाद। फरीदाबाद एनआई टी के विधायक ने विधानसभा में भ्रष्टाचार के मुद्दों को खूब जोर शोर से उठाया बल्कि भ्रष्टाचार पर और अधिक ध्यान आकर्षित करने के लिए सिले हुए कपड़ों का और जूतों का त्याग कर दिया। बहुत तकलीफ होती है यह सुनकर कि मुख्यमंत्री भ्रष्टाचार के मामले में लोगों को धोखा देने का प्रयास कर रहे हैं और झूठ बोल रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने भ्रष्टाचार विरोधी मंच के 55 दिन की सत्याग्रह जो मई से जुलाई 2017 में चली थी और जिस में 42 आरोपों की चार्ज शीट सरकार को सौंपी थी जिस पर मुख्यमंत्री के निर्देश पर तत्कालीन स्थानीय निकाय मंत्री विपुल गोयल ने वायदा किया था कि इन आरोपों की जांच 1 महीने में पूरी कर दी जाएगी और भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी बहुत ही निंदनीय है और शर्म की बात है कि तकरीबन 5 वर्ष बीत जाने पर भी सरकार ने इन आरोपों पर आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई।
इस संबंध में सरकार को सैकड़ों पत्र मंच ने लिखे लेकिन किसी का जवाब नहीं दिया। मज़बूर होकर मंच ने आरटीआई के द्वारा जानकारी मांगी है। 42 आरोपों के बारे में ही नहीं बल्कि निगम की अकाउंट्स ब्रांच में जो आग लगा दी गई, जो 50 करोड़ का घपला पार्षदों ने उजागर किया और बाद में तकरीबन 400 करोड़ के और मामले नोटिस में आ गए हैं, सरकार मानो इन भ्रष्टाचार के मामलों में नाकारापन दिखा रही है। लगता है भ्रष्ट अधिकारियों तथा ठेकेदारों की भ्रष्टाचार से कमाई में से हिस्सा स्थानीय नेताओं एवं मंत्रियों को भी ऊपर तक जाता है।
क्योंकि फरीदाबाद का प्रत्येक नागरिक निगम के भ्रष्टाचार से परेशान है । उसे नागरिक सेवाएं या तो मिलती ही नहीं या बहुत ही निम्न स्तर की मिलती हैं। बरगलाने को तो ये शहर स्मार्ट सिटी का दर्जा हासिल किए है पर हकीकत कुछ और ही है। यहां पानी आवश्यकता अनुसार और साफ नहीं मिलता, सारे शहर की सडक़ें पटरियां बुरी तरह टूटी-फूटी हैं। चारों ओर धूल उड़ती रह्ती है। निर्माण कार्यों व मरम्मत करने में बहुत बड़ा गोलमाल है, सारे सीवर गन्दगी व कचरे से अटे पड़े हैं।
यहां अतिक्रमण की तरफ निगम आंख बूंदें रहता है, गैरकानूनी निर्माण तेजी से बढ़ रहे हैं, अरावली पर्वत में 500 के करीब अतिक्रमण हो चुके हैं लेकिन निगम आंखें मूंद कर बैठा है बल्कि स्थानीय वन विभाग से मिलीभगत कर अतिक्रमण करने वालों से करोड़ों करोड़ों रुपया ऐंठ रहा है।
अवैध निर्माण के नाम पर गरीब लोगों के आशियाने तोड़ कर अपने कत्र्तव्य की इति श्री समझ लेते हैं निगम अधिकारी। मुख्यमंत्री जो भ्रष्ट लोगों का बचाव करते रहते हैं, खट्टर स्वंय भ्रष्टाचार के प्रतीक बने हुए हैं। उनकी नाक के नीचे उनके अपने निवास पर और कार्यालय जो भ्रष्टाचार में कोयले की खान बना हुआ है। इनके कार्यालय से कोई भी फाईल बिना मोटे चढ़ावा के और साथ में किसी संघ के नेता की बिना मोटी सिफारिश के एक ईंच भी नहीं हिलती? इनका अपना विधान सभा क्षेत्र व सीएम सिटी का खिताब हासिल किए करनाल भ्रष्टाचार की खान बन ख्याति हासिल कर रहा है।
खट्टर महाशय आप ने सही सोच कर ही कहा होगा जो वास्तव में घट रहा है, बिना पर्ची बिना खर्ची कोई भी काम होता ही नहीं? अभी तक यही कुछ देखा और परखा गया है। ये हैं खट्टर मियाँ, ऐसे मौकों पर बिल्ली को देख कबूतर की तरह आँख बन्द कर स्वांग रचने में माहिर ही चले हैं जैसे उसने कुछ देखा ही नहीं है।
कभी भ्रष्टाचारियों तथा नेताओं के विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं कर सके और आगे क्या कर पाएंगे? क्या खट्टर से अपेक्षा की जा सकती है कि नगर निगम के भ्रष्टाचार के मामलों में सख्त कार्यवाही कर सकेंगे, शीघ्रतम कुछ कर पाएँगे? ऐसा कमजोर नेतृत्व पहले कभी सुनने व देखने को नहीं मिला? वैसे तो सरकार की छवि पहले ही अधिक खराब है। और इस में निरंतर चार चाँद लगाए जा रहे हैं।