फरीदाबाद (म.मो.) बीते बीसियों वर्ष से बिजली महकमें में नियमित भर्ती न करके सरकार ठेकेदारी में कर्मचारियों को लगाकर जैसे-तैसे काम को घसीट रही है। कहने की जरूरत नहीं कि इस तरह के कच्चेकर्मचारी अपने काम में कभी भी पूरा दिल लगा कर तन्मयता से काम नहीं कर सकते, क्योंकि उन्हें सदैव अपनी भविष्य की चिन्ता लगी रहती है। इसलिये वे सदैव बेहतर नौकरी की तलाश में रहते हैं।
लेकिन खट्टर यहां भी उन्हें चैन से काम नहीं करने देना चाहते। बैठे बिठाये उन्हें कौशल रोजगार निगम की सूझ गई। कोई पूछे खट्टर महाशय से कि क्या है इसका कौशल और क्या है इसका निगम और क्या है इसका रोजगार? जो लोग बीसियों वर्ष से एक सेवा देते आ रहे हैं उन्हें कहा जा रहा है कि अपने नाम इस निगम में दर्ज करायें।
इस निगम के द्वारा ही उन्हें कहीं न कहीं काम पर लगाया जायेगा। मतलब करना-धरना कुछ नहीं केवल जनता को घुमनघेरी में घुमाते रहो। अच्छे-भले काम में लगे लोगों को काम से हटा कर इस निगम में भेजने का क्या तात्पर्य है? यदि यह निगम इतना ही बढिया है तथा बेरोजगारों को रोजगार देने में सक्षम है तो राज्य में बेरोजगारों की कोई कमी नहीं है। ऐसे लोगों को दर्ज करके निगम रोजगार क्यों नहीं दिलाता?
दूसरी ओर सुसंगठित एवं संघर्षशील बिजली कर्मचारियों के संगठन ने साफ-साफ घोषणा कर दी है कि वे किसी निगम में दर्ज होने नहीं जायेंगे और यदि किसी अधिकारी ने जबरन उन्हें काम से हटा कर निगम की ओर भेजना चाहा तो वे संघर्ष और हड़ताल के लिये पूरी तरह से तैयार हैं। इसे लेकर बिजली कर्मचारियों ने एक बड़ी जनसभा का आयोजन भी किया। कर्मचारी यूनियन की चेतावनी का संज्ञान लेते हुए सुपरिंटेंडिंग इंजीनियर (एसई)नरेश कक्कड़ ने यूनियन प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त किया है कि किसी को भी न तो काम से हटाया जायेगा और न ही किसी निगम की ओर भेजा जायेगा।