आज़ाद नगर की महिलाएं, शौचालय की नहीं, सम्मान की लड़ाई लड़ रही हैं

आज़ाद नगर की महिलाएं, शौचालय की नहीं, सम्मान की लड़ाई लड़ रही हैं
March 20 02:05 2023

सत्यवीर सिंह
इस साल ‘अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस’ होली के दिन पड़ा। इसलिए क्रांतिकारी मज़दूर मोर्चा की महिला ईकाई द्वारा, महिलाओं के शौर्य, सम्मान और संघर्षों के प्रतीक, इस दिन, तय आक्रोश मार्च और मज़दूर सभा का कार्यक्रम 10 मार्च को संपन्न हुआ। ये एक बहुत दिलचस्प इत्तेफाक़ हुआ, क्योंकि 10 मार्च, हमारे देश में महिला मुक्ति और शिक्षा के लिए समर्पित, वीरांगना सावित्रीबाई फुले का स्मृति दिवस भी है। उनके सम्मान में भी नारे खूब गूंजे।

सभी साथी, सुबह 10 बजे से, दशहरा ग्राउंड तिराहे पर स्थित, नगर निगम वार्ड 15-16 कार्यालय पर जमा होने लगे और 11 बजे, लाल झंडे, बैनर, तख्तियां लिए, नारे लगाते अनुशासित मार्च शुरू हुआ, जो फऱीदाबाद नगर निगम, आयुक्त कार्यालय के ठीक सामने सभा में बदल गया। ऊंघता प्रशासन हड़बड़ा कर जागा और बोला, कम से कम आने-जाने का रास्ता तो छोड़ दो। आक्रोशित महिलाऐं, लेकिन, उस दिन, ऐसी कोई उदारता या विनम्रता दिखाने के मूड में नहीं थीं। बहरे और संवेदनहीन प्रशासन को, उनका वादा जो याद दिलाना था। ये रणनीति बिलकुल ठीक रही, क्योंकि कमिश्नर साहब आ गए तो उन्हें क्या जवाब देंगे, सोचकर, उनसे नीचे के सारे अमले ने, सभा के सामने उपस्थित होने में कोई देर नहीं लगाई। चीफ इंजिनियर, ओमबीर सिंह ने एक बार ज़रूर फऱमाया, दो बन्दे अन्दर आ जाओ, बाक़ी पार्क में बैठो। लेकिन जैसे ही महिलाऐं चिल्लाईं, कोई कहीं नहीं जाएगा, जो बात होगी, यहीं सबके सामने होगी। इंजिनियर साहब तुरंत मान गए!!

मुद्दा समझने में भी प्रशासन ने काफ़ी फुर्ती दिखाइ। चीफ इंजिनियर ने, वहीं से, एग्जीक्यूटिव इंजिनियर को फोन लगाकर अपडेट लिया और उन्होंने स्वत: सभा के सामने माइक पर घोषणा की “आज़ाद नगर का पुराना ठप्प पड़ा शौचायल सुचारू रूप से चल रहा है। नए शौचालय का टेंडर 14 मार्च को खुलेगा। अप्रैल से काम शुरू हो जाएगा। खँडहर हो चुके सामुदायिक भवन की मरम्मत जुलाई महीने तक पूरी हो जाएगी। आज़ाद नगर में कचरा उठाने वाली गाड़ी दो दिन में ही आनी शुरू हो जाएगी।”

फऱीदाबाद जि़ला उप-आयुक्त और नगर निगम आयुक्त, दोनों कार्यालय जानते हैं कि क्रांतिकारी मज़दूर मोर्चा, आज़ाद नगर में, अगस्त 11/12 की रात हुई, एक मासूम के साथ दरिंदगी और हत्या की जघन्य वारदात के दिन से ही, गुडिय़ा के लिए न्याय और इन मुद्दों को लगातार पूरी शिद्दत और दृढ़ता से उठा रहा है। दोनों कार्यालयों में 3-3 ज्ञापन, मोर्चे, सभाएं और जाने कितनी बैठकें हो चुकी है। प्रशासन के शब्दों में, ‘सभी आवश्यक कार्रवाई’ की जा चुकी ह। उनके कागजों-फाइलों में शौचालय निर्माण और मरम्मत के काम सुचारू रूप से चल रहे है। फाइलें इस टेबल से उस टेबल गतिमान हैं, लेकिन ज़मीन पर फावड़ा एक नहीं लगा है। ‘फावड़ा/ कस्सी/गैँती फाइलों से निकलकर सामुदायिक भवन परिसर में कब पहुंचेगा?’ लोग चीख रहे थे। ‘इस काम के लिए, आपको दुबारा आना नहीं पड़ेगा, अब आप लोग अपने घर चले जाओं’, चीफ इंजिनियर ने आश्वस्त किया। लोग घर लौटने की सलाह मानने से पहले एक स्वर में बोले; ‘अगली बार आना पड़ा तो कई दिन के लिए आएँगे, याद रखना!’
दरअसल, ये मुद्दा अब, मात्र शौचालय का नहीं रहा। ये बन चुका है, महिलाओं के स्वाभिमान और सम्मान का मसला। इसीलिए आज़ाद नगर की महिलाओं ने दृढ निश्चय किया हुआ है, कि जैसे वहां पुराना ठप्प पड़ा शौचालय शुरू कराया है, ठीक उसी तरह, वहां एक नए शौचालय का निर्माण करने, पुराने खँडहर हो चुके सामुदायिक केंद्र की मरम्मत करने के सरकारी वादों को, वे पूरा करा कर ही मानेंगी। आज़ाद नगर का कोई परिवार, अब अपनी गुडिय़ा नहीं खोएगा। मज़दूर अच्छी तरह जानते हैं कि उनका मामला हो तो प्रशासन का रवैया क्या होता ह। ‘मज़दूरों को इंसान ही मत समझो। उनकी किसी ज़रूरत को स्वीकार ही मत करो। लोग चिल्लाएं तो उन्हें झूठे आश्वासनों की घुट्टी पिलाते जाओ। अनंत काल तक लारे-लप्पे देते जाओ। देखो, लोग चिल्लाना बंद कर देते हैं या ज़ारी रखते है। छोटे से निर्माण कार्य को भी रबड़ की तरह खींचते जाओ। जब लोग नाक में दम कर दें और कोई चारा न बचा हो तो ही काम करो।’ सरकारें ये ही चाहती हैं, काइयां प्रशासन जानता है। इस बार प्रशासन समझ गया कि ये संगठन अब लारे-लप्पे स्वीकार करने को तैयार नहीं है। क्रांतिकारी मज़दूर मोर्चा भी ज़ाहिर कर चुका है कि अगर प्रशासन को इसी तरह काम करने की लत लग चुकी है, तो वे नाक में दम करना भी जानते है।

‘डबल इंजन’ सरकार ने, देश की सारी सम्पदा अडानी-अम्बानी को अर्पण कर दी। मज़लूमों-मेहनतकशों के लिए बस एक ही ‘उपलब्धि’ बताई; वह भी झूठी निकली। प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और हरियाणा के मुख्य मंत्री ने, गला फाड़-फाडक़र, हाथ लहराकर, जाने कितनी बार बोला, ‘हमने सारा देश खुले में शौच मुक्त कर दिया’। सभाओं में तालियाँ बटोरने की महारथ हांसिल कर चुकी, मोदी सरकार ने कौन सा झूठ है जो नहीं बोला!! डबल इंजन की सरकार, मतलब डबल झूठ!! दिलचस्प बात ये है कि सरकारी अमला जान चुका है कि, गऱीबों का मामला हो तो, साहिब-ए-मसनद महज़ घोषणाओं में ही दिलचस्पी रखते हैं। हाँ, अमीरों को ‘पैकेज’ देने हों तो अमल, घोषणा होने से पहले ही शुरू हो जाता है।

सभा का संचालन कॉमरेड नरेश ने किया। कॉमरेड सत्यवीर सिंह, कॉमरेड रिम्पी, तथा रेखा देवी ने सभा को संबोधित किया। फऱीदाबाद से प्रकाशित लोकप्रिय साप्ताहिक ‘मज़दूर मोर्चा’ के संपादक कॉमरेड सतीश कुमार, सभा में स्वयं उपस्थित रहे। साथ ही ‘हरियाणा रेहड़ी पटरी संघ’ के प्रांतीय अध्यक्ष कॉमरेड जगराम भी हमेशा की तरह मज़दूरों का हौसला बढ़ाने को हाजिऱ थे। ‘हरियाणा पायनियर’ तथा ‘अमर उजाला’ की पत्रकारों ने, न सिफऱ् आन्दोलन को शुरू से आखिऱ तक कवर किया, बल्कि अपने अख़बारों में बहुत सटीक रिपोर्ट, फोटो सहित छापीं। क्रांतिकारी मज़दूर मोर्चा द्वारा राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय पटल पर महिला मुक्ति संघर्षों में शामिल रहीं बहादुर महिलाओं के प्रति सम्मान और लाल सलाम प्रस्तुत करने, महिलाओं और वंचितों के दमन-उत्पीडऩ के विरुद्ध और उनकी शिक्षा के लिए ता-उम्र समर्पित महान सावित्रीबाई फुले अमर रहें के नारों, और सभी उपस्थित लोगों का आभार व्यक्त करने के साथ सभा संपन्न हुई।

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