मेडिकल कॉलेज में प्रति वर्ष 100 सीटों के हिसाब से 500 सीट का हॉस्टल होना जरूरी था जबकि बनाया गया मात्र 376 सीट वाला। दो साल पहले मेडिकल कॉलेज की सीटें बढ़ा कर 125 और उसके बाद 150 कर दी गई । जाहिर है इससे आवास की समस्या बढ़ गई। इतना ही नहीं पीजी के भी 300 छात्र होने जा रहे हैं।
ऐसे में ईएसआई मुख्यालय में बैठे नालायक व हरामखोर अफसरों ने नये आवास बनाने की बजाय दस किमी. दूर एनएचपीसी से किराये पर फ्लैट ले कर छात्रों को वहां ठहरा रखा है। इसके लिये करीब 12 लाख मासिक किराया, करीब साढे पांच लाख मासिक बस किराया तथा दो लाख मासिक बिजली बिल अदा करना पड़ रहा है। इस खर्चे के साथ-साथ वहां सुरक्षा आदि पर जो खर्च होता है वो अलग से। छात्रों के आने जाने में जो समय बर्बाद होता है उसकी तो कोई कीमत नहीं लगा सकता। आवास की यह समस्या प्रति वर्ष अधिक से अधिक बढ़ती जाने वाली है।
छात्रों के अलावा एसआर व जेआर तथा प्रशासनिक स्टाफ का भी परिसर में रहना अतिआवश्यक है। मौजूदा समस्या का देखते हुए अधिकांश स्टाफ परिसर से दूरदराज रहने को मजबूर है जिससे न केवल कारपोरेशन को अधिक खर्चा करना पड़ रहा है बल्कि सेवाओं में भी बाधा पड़ती है। यदि मुख्यालय में बैठे इन अफसरों को थोड़ी सी भी समझ व चिंता होती तो समस्या के आने से पहले ही उसके निदान के लिए उचित कदम उठाए गए होते। परंतु दुख की बात तो यह है कि अभी तक भी इस दिशा में किसी का कोई ध्यान नहीं है। हालात की गंभीरता को देखते हुए तथा दूरगामी दृष्टि के अनुसार आसपास पड़ी जमीन में से दस एकड़ जमीन इस संस्थान को दिए जाने की व्यवस्था की जानी चाहिए।