फरीदाबाद (मज़दूर मोर्चा)। मुजेसर गांव के दबंग रोहताश नाम व्यक्ति के कुनबे पर हत्या का प्रयास, अपहरण, मारपीट, तोडफ़ोड़, लूट आदि धाराओं में एक दर्जन से अधिक केस दर्ज होने के बावजूद मुजेसर पुलिस उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करती। गांव में चर्चा है कि इसके पीछे रोहताश का बेटा पुलिस विभाग में हवलदार मनोज कुमार है जो कि एफएसएल की महिला वैज्ञानिक डॉ. मनीषा का पर्सनल सिक्योरिटी गार्ड है। गांव वालों का आरोप है कि परिवार द्वारा कोई आपराधिक गतिविधि करने पर मनोज उन्हें बचाने के लिए डॉ. मनीषा से सिफारिश करवा देता है। फोरेंसिक वैज्ञानिक होने के कारण अधिकतर एसएचओ उनकी बात नहीं काटते। अपराधी परिवार का सहयोग करने के लिए पद का दुरुपयोग करने वाले हवलदार मनोज कुमार पर डॉ. मनीषा की मेहरबानियां गांव में चर्चा का विषय हैं।
आपराधिक रिकॉर्ड वाले रोहताश के परिवार के अजीत जाखड़, बिन्नू, प्रिंस, अमित आदि ने बुधवार रात मुजेसर थाने जा रहे अशोक लांबा और उनके परिवार की कार से टक्कर मार कर जान लेने का प्रयास किया। दबंगई इतनी कि थाने के भीतर भी पीडि़त परिवार को जान से मारने की नीयत से हमला करने से नहीं चूके। पीडि़त पक्ष ने लिखित शिकायत में यह भी आरोप लगाया कि हमलावरों ने थाना परिसर में ही उन पर गोली चलाई और फरार हो गए। पुलिस ने केस तो दर्ज कर लिया लेकिन आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही है। चर्चा है कि हवलदार मनोज कुमार ने एफएसएल वैज्ञानिक डॉ. मनीषा से सिफारिश करवाई है जिस कारण पुलिस निष्क्रिय बनी हुई है। गांव वालों का तो यह भी आरोप है कि मनोज के कहने पर डॉ. मनीषा पीडि़त पक्षों पर समझौता करने का दबाव बना कर कई मामले जबरन समाप्त करा चुकी है। उनकी तगड़ी पैरवी के कारण ही दबंगई करने, जमीनों पर कब्जा करने, गोली चलाने, मारपीट करने के अनेक मामलों में आरोपियों को सजा नहीं हो पाई। यह भी चर्चा है कि मनोज और डॉ. मनीषा के इशारे पर मुजेसर पुलिस की जांच का ढंग भी आरोपियों को बचाने वाला हो जाता है।
बताते चलें कि रोहताश के कुनबे के ही विनोद जाखड़, सोनू जाखड़ आदि ने एक साल पहले 11 जून 2023 को सेक्टर आठ निवासी अनिल गोयल नामक व्यक्ति को हत्या की नीयत से गोली मार दी थी और चलती कार से धकेल कर फरार हो गए थे। उसका कुसूर ये था कि उसने दबंगों की मर्जी के विरुद्ध शराब के ठेकेदार को अपनी दुकान किराए पर दे दी थी। पुलिस ने केस तो दर्ज कर लिया था लेकिन इस मामले में भी मनोज के प्रभाव के कारण पीडि़त पक्ष को न्याय नहीं मिल सका है। बताया जाता है कि इस परिवार की एक पूर्व महिला पार्षद के ससुर की मुजेसर थाने में अच्छी पैठ है, उसे अक्सर थाने में लोगों के बीच फैसला कराते देखा जा सकता है। उसे थाने में यह रसूख भी हवलदार मनोज के कारण ही हासिल है। गांव वालों का मानना है कि हवलदार मनोज एफएसएल अधिकारी डॉ. मनीषा का जाने अनजाने लाभ उठा कर अपराधियों को संरक्षण दे रहा है। पुलिस के आला अधिकारियों को मनोज और एफएसएल की महिला वैज्ञानिक की भूमिका की जांच करानी चाहिए। आखिर क्या कारण है कि मनोज लंबे समय से अपने गृह जनपद में तैनात है वह भी उस महिला अधिकारी के साथ जिस पर अपराधियों की पैरवी और उनके हक में सिफारिश करने के आरोप लगे हैं। उपलब्ध जानकारी के अनुसार महिला अधिकारी और मनोज करीब आठ- दस साल से यहीं तैनात हैं।
थाने की पुलिस तो जो कर रही है सवाल सुपरवाइजरी अफसरों यानी एसीपी, डीसीपी और पुलिस आयुक्त पर भी बनता है। क्या उक्त आपराधिक वारदातें और उन पर होने वाली कार्रवाइयां उनको नजऱ नहीं आतीं अथवा वे भी किसी बड़े प्रभाव के नीचे दबे हुए हैं।