आम जन मानस में मौजूदा निज़ाम के बारे में गुस्सा चरम पर

आम जन मानस में मौजूदा निज़ाम के बारे में गुस्सा चरम पर
January 31 01:00 2023

फरीदाबाद। मार्च में संसद का घेराव करने के संयुक्त किसान मोर्चे के फैसले का स्वागत किया जाना चाहिए। स्वागत करना, निंदा करना, भत्र्सना करना; ये जुमले अब वैसे निरर्थक हो चुके हैं।
सभी मज़दूर ट्रेड यूनियनों ने पूरी शक्ति के साथ किसानों की इस तहरीक में पूरी शिद्दत के साथ शामिल हो जाना चाहिए। डायस पर कौन बैठेगा, पगड़ी किसे पहनाई जाएगी, टी वी बाइट कौन देगा, चौधरी कौन बनेगा; ऐसी कोई शर्त, अप्रत्यक्ष रूप से भी लगाना तहरीक को पंक्चर करना ही कहा जाएगा।

संघर्षों में शामिल हुए बगैर, ज्ञान बांटना, आंदोलन को दिशा देने के दावे करना, कोई भी पसंद नहीं करता। ये काम दिन- रात की जद्दोजहद में शरीक होकर ही होता है। तब भी, सब्र रखना होता है, तसल्ली करनी होती है। गाड़ी को घोड़े से आगे रखने की कोशिश भी, फासिस्टों को ही मदद पहुंचाएगी।

नेतृत्व करने की हड़बड़ी निश्चित रूप से काम खऱाब करेगी। जैसे-जैसे संघर्ष आगे बढ़ेगा, भूसा और गेहूं अपने आप अलग होते जाएंगे। जिनमें सही में नेतृत्वकारी क्षमता होगी, लोग उन्हें अपने आप आगे करेंगे, बाक़ी को दूर झटक देंगे जैसे गाज़ीपुर मोर्चे से सरदार एम वी सिंह को उसके संगठन द्वारा ही दुत्कार दिया गया था। एक बार निश्चित है, आम जन मानस में मौजूदा निज़ाम के बारे में गुस्सा चरम पर है। कलई पूरी तरह खुल चुकी है। भक्तों तक को भी कोई मुगालता नहीं। लोहा पूरा गरम है। हथौड़े वाले ही अगर बगलें झांकने लगें तो लोग क्या करें। अगर हम चूक गए तो इस गुस्से का इस्तेमाल फासिस्ट ब्रिगेड लाजि़मी करेंगे। वे नहीं चूकने वाले।

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Mazdoor Morcha
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