डॉ. जुगल किशोर गुप्ता प्रिंट मीडिया व टीवी चैनल पर मोदी सरकार का वर्चस्व स्थापित होने के बाद सरकार को असहजता का सामना नहीं करना पड़ता। लेकिन सोशल मीडिया प्लेटफार्म जैसे ट्विटर, फेसबुक, वाट्सअप, सिग्रल, इंस्टाग्राम आदि पर मोदी सरकार की नीतियों, कार्यशैली, कार्यों आदि पर प्रश्नात्मक पोस्ट लिखने व प्रकाशित होने से सरकार असहज हो जाती है। इसलिए फेक न्यूज व भ्रामक न्यूज की आड़ मेें सोशल मीडिया पर अंकुश लगाने के लिए मोदी सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी)नियम 2021 में संशोधन करके आईटी नियम-2023 बनाया है।
नए नियमों में प्रावधान रखा गया है कि केंद्रीय सरकार की नीतियों व कार्यों की आलोचनात्मक पोस्ट को फाल्स न्यूज या भ्रामक कंटेंट लेबल करने के लिए सरकार फेक यूनिट, फैक्ट चेक बॉडी, प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो (पीआईबी)का गठन करेगी। इस फैक्ट चेक यूनिट को यह निर्धारित करने की असीमित शक्तियां होंगी कि केंद्र सरकार के किसी भी कामकाज से संबंधित कौन सी खबर फर्जी या गुमराह करने वाली है? इस तरह की सामग्री की अनुमति नहीं देने और प्रकाशित होने पर उन्हें हटाने का निर्दैेश देने के लिए यह फैक्ट चेक यूनिट अधिकृत होगा। इससे सोशल मीडिया कंपनियां व इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर को आईटी एक्ट की धारा 79 के अंतर्गत प्राप्त ‘सेफ सर्वर’ सुरक्षा खोने का खतरा रहेगा।
एडिटर गिल्ड ऑफ इंडिया तथा इंडियन न्यूजपेपर सोसायटी ने इन संशोधनों का कड़ा विरोध करते हुए आईटी नियम 2023 को वापस लेने की मांग की है। केेंद्र सरकार के किसी भी कामकाज से संबंधित किसी भी खबर को फेक न्यूज या भ्रामक कंटेंट लेबल करने का अधिकार सेंसरशिप के समान है और यह संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत प्राप्त प्रेस की स्वतंत्रता तथा मीडिया व जनता के विचार करने की स्वतंत्रता के अधिकार पर कुठाराघात है। स्पष्ट है कि केंद्र सरकार के पास यह असीमित अधिकार होगा कि सरकार निर्धारित करे कि इंटरनेट पर हमें क्या देखना है, क्या पढऩा है और क्या सुनना है। दरअसल आईटी नियम-2023 के अंतर्गत मोदी सरकार के किसी भी कार्य से संबंधित सूचना व खबर को भ्रामक अथवा फेक न्यूज करार देकर उसे सोशल प्लेटफार्म से हटवाकर प्रधानमंत्री मोदी की एक कुशल प्रशासक व विकास पुरुष की छवि बनाने की कवायद है। गौरतलब है कि विपक्ष, सोशल एक्टिविस्ट व संगठनों ,एनजीओ तथा बुद्धिजीवियों के विरुद्ध प्रकाशित सूचना व पोस्ट को फेक न्यूज व भ्रामक कंटेंट लेबल करने के लिए फैक्ट चेक यूनिट अधिकृत नहीं है। इस प्रकार आईटी नियम-2023 प्रेस व सोशल मीडिया पर नकेल कसने की कवायद है जो कि एक तरह से भारत में प्रेस की सेंसरशिप तथा तानाशाही शासन जैसी स्थिति लागू करने का प्रयास है।