मज़दूर मोर्चा ब्यूरो चंडीगढ़ जिस प्रकार केन्द्र में, अव्वल दर्जे के पालतू अफसरों की जरूरत प्रधानमंत्री मोदी को रहती है, उसी तरह खुलेआम डकैती मारने वाले अफसर, हरियाणा के मुख्यमंत्री, खट्टर को बहुत भाते हैं। ऐसे अफसरों को वे चुन-चुन कर अति महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त करते हैं। हाल ही में विजय सिंह दहिया को मंडलायुक्त करनाल, डी सुरेश को शिक्षा विभाग का वित्तायुक्त तथा जयवीर आर्य को वित्त विभाग का विशेषसचिव तैनात किये जाने से इस बात की पुष्टि होती है। सर्वविदित है कि इन तीनों आईएएस अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के अति गंभीर आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं।मौजूदा डीजीपी शत्रुजीत कपूर ने बतौर डायरेक्टर विजिलेंस होते हुए इन तीनों को रंगे हाथों एवं पुख्ता सबूतों के साथ पकड़ा था।
लाख कोशिशों के बावजूद दहिया व आर्या को तो कपूर साहब जेल तक पहुंचाने में कामयाब भी हो गये थे, जबकि सुरेश अपनी तिकड़मबाजियों एवं खट्टर के प्रताप से हवालात में जाने से बच गये थे। जानकार बताते हैं कि खट्टर ने पुलिस को आदेश दिये हैं कि इन तीनों लुटेरों के विरुद्ध केस को कमजोर करने के लिये सुबूत खुर्द-बुर्द किये जायें तथा इनकी जमानतों का अदालत में विरोध न किया जाए ताकि ये ‘बाइज्जत’ बरी होकर खट्टर की सेवा कर सकें।
विदित है कि दागी अफसर मोदी व खट्टर जैसों के लिये बहुत काम के होते हैं। इनसे सरकार जब चाहे जैसा चाहे कुछ भी उल्टा-पुल्टा काम करा सकती हैं। ये लोग जानते हैं कि इनकार करने पर इनकी काली-पीली फाइलें कभी भी खोली जा सकती हैं। इसी भय से इनकी आत्मा मर चुकी होती है और ये लोग सदैव सरकार के सामने सीधे खड़े होकर चलने की अपेक्षा रेंग कर चलते हैं।
रही बात पुलिस प्रमुख शत्रुजीत कपूर की, तो उन्हें बेशक अपराधियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करने वाला अफसर समझा जा सकता है; परन्तु जब खट्टर सरकार को ऐसे अपराधियों की जरूरत हो तो बेचारे कपूर की क्या बिसात जो उन्हें उनके अंजाम तक पहुंचा सके? ऐसे में कपूर की भूमिका उस हांका करने वाले जैसी समझी जा सकती है जो शिकार को हांक कर मचान पर शिकारी की तरह बैठे खट्टर के निशाने तक ले आए।