वन विभाग का खेल : पौधरोपण के लिए काट डाले हरे भरे पेड़

वन विभाग का खेल : पौधरोपण के लिए काट डाले हरे भरे पेड़
July 20 11:22 2024

ऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) जिले में लगातार घट रहे वन क्षेत्र को बढ़ाने की कवायद में जुटे वन विभाग के अधिकारी कालीदास की तर्ज पर उसी डाल को काटने में जुटे हुए हैं जिस पर बैठे हैं। यानी पौधरोपण के लिए नई जगह तलाशने के बजाय जंगलों के बीच बड़े पैमाने पर पुराने पेड़ों को काट कर मैदान बनाए जा रहे हैं। यह काम पाली रोड स्थित अरावली की पहाडिय़ों पर धड़ल्ले से चल रहा है। फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2021-22 में फरीदाबाद में वन क्षेत्र .71 वर्ग किलोमीटर यानी 60 हेक्टेयर घट गया था। पौधरोपण के नाम पर लूट कमाई करने में जुटे ऐसी कार्यशैली वाले अफसरों के कारण जिले में वनक्षेत्र का घटना कोई आश्चर्य की बात न होगी। वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार इस वर्ष चार लाख पौधरोपण का लक्ष्य रखा गया है। सुधी पाठक को बताते चलें कि पिछले वर्ष वन विभाग ने ढाई लाख पौधे लगाने का लक्ष्य रखा था लेकिन पूरा नहीं हो सका। आधिकारिक रूप से केवल दो लाख पौधे ही लगाए जा सके, इनमें जमीन पर कितने लगाए गए और कितने कागजों पर लगे यह अलग विषय है। जानकारों के अनुसार वन विभाग के पास वर्तमान में पौधे रोपण के लिए खाली ज़मीन बची ही नहीं है। ऐसे में लक्ष्य हासिल करने के लिए वन विभाग के अधिकारियों ने पेड़ों को काट कर पौधरोपण करने की योजना तैयार की है। बताया जा रहा है कि पाली रोड, अनखीर से लेकर सूरजकुंड रोड तक वन विभाग के ठेकेदार अरावली के वन क्षेत्र में घुस कर पौधरोपण के लिए समतल मैदान तैयार कर रहे हैं। यह संवादादाता भी पाली रोड स्थित ढाक माता का मंदिर इलाके में पहुंचा।

पाली रोड स्थित टीएचएसटीआई के पास सडक़ से अंदर अरावली के जंगलों तक पहुंच बनाने के लिए जेसीबी से पेड़ों को उखाड़ कर और जमीन समतल कर सडक़ बनाई गई है। अंदर बड़े पैमाने पर पेड़ों को काट कर उनकी जड़ें उखाड़ कर पौध रोपण के गड्ढे खोदे जा रहे हैं। करीब एक वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में इस संवाददाता ने पंद्रह से अधिक मैदान देखे। पहाडिय़ो पर बकरी चराने वाले व्यक्ति ने बताया कि ये मैदान कीकर, ढाक, पापड़ी आदि बड़े बड़े पेड़ों को काट कर बनाए गए हैं। उसके अनुसार यहां पेड़ काटने का काम मई-जून से ही चल रहा है। इस दौरान यहां से सैकड़ों पेड़ काट डाले गए।

पर्यावरण प्रेमियों के अनुसार वन विभाग का खेल यही से शुरू होता है। पहले तो पौधरोपण के लिए गड्ढे खुदवाने के लिए मोटी रकम की बंदरबांट की जाती है। चार लाख पौधरोपण का लक्ष्य रखा गया है, कागजों पर तो इतने गड्ढे खुदवाए जाएंगे लेकिन हकीकत में होंगे इसके आधे भी नहीं। इसके अलावा गड्ढे बनाने के लिए जो पेड़ काटे गए हैं उनकी लकड़ी में भी बड़ा खेल होता है। पौध रोपण के लिए कागजों में मैदान, या समतल जमीन ही दिखाई जाती है। यानी जो पेड़ काटे गए उनकी लकड़ी ठेकेदार के जरिए ठिकाने लगवा कर मोटी कमाई की जाती है। यह भी संभव है कि पेड़ों की छटाई आदि दिखाकर रिकॉर्ड रखने के लिए कुछ लकड़ी जमा भी कराई जाती हो, और बाकी में बंदरबांट कर ली जाती हो।

पर्यावरण प्रेमी दीपक राणा के अनुसार संरक्षित वन क्षेत्र में किसी भी पेड़, पौधे की कटाई छंटाई नहीं की जा सकती। पाली स्थित ढाक माता मंदिर का इलाका पीएलपीए संरक्षित क्षेत्र में आता है। यानी यहां पेड़ काटना तो दूर उनकी छटाई भी नहीं की जा सकती। वन विभाग के खाऊ अधिकारी झाडिय़ों की सफाई करने के बहाने पेड़ भी साफ करवा देते हैं। यहां अपनी गाय-भैंस बकरियां चराने वाले मोहब्बाताबाद निवासी राजकुमार की मानें तो कभी वन विभाग, तो कभी पेड़ पौधे प्रेमी यहां आकर पौधरोपण का दिखावा करतेे हैं। वह कहते हैं कि बीते चार पांच वर्षों से यहां पौध रोपण किया जा रहा है लेकिन आज तक एक भी पौधा पेड़ नहीं बन सका, यहां प्राकृतिक रूप से उगने वाले पेड़ ही आपको नजर आएंगे, वन विभाग या प्रकृति प्रेमियों का लगाया एक भी पेड़ यहां नहीं मिलेगा। इस बरसात भी पेड़- पौधे काट कर खूब गड्ढे बनाए जा रहे हैं इनमें पौधे लगाए जाने का नाटक किया जाएगा जिसे पलट कर देखने की भी जरूरत नही होती। हर साल इसी तरह का खेल चलता है और पौधरोपण के नाम पर लाखों रुपये लुटा दिए जाते हैं।

पर्यावरण प्रेमी पवन मिश्रा के अनुसार वर्ष 2019 में किए गए सर्वे के अनुसार फरीदाबाद में 2002 से 2019 के बीच अरावली वन क्षेत्र में करीब 1400 हेक्टेयर की कमी आई। 2002 में जो वन क्षेत्र करीब बीस हजार हेक्टेयर था, 2019 में घट कर 18 हजार छह सौ हेक्टेयर से भी कम रह गया था। इसका मुख्य कारण संरक्षित और गैर संरक्षित वन क्षेत्र में अवैध कब्जे बताए गए थे। बीते पांच वर्ष में तो सत्तााधारियों की शह पर अरावली में अवैध कब्जे भरपूर तरीके से बढ़े हैं। ऐसे में यदि सरकार, वन विभाग और कथित पर्यावरण प्रेमी पौधरोपण का नाटक ही करेंगे तो अरावली की हरियाली कागजों पर ही बढ़ती दिखेगी, जमीन पर नहीं।

वन विभाग के अधिकारियों ने दरअसल ये दांवपेंच सत्ताधारियों से सीखे हैं। मोदी-खट्टर-सैनी की डबल इंजन सरकारें पिछले दस साल से हर पर्यावरण दिवस पर पौध रोपण अभियान शुरू करने का ढिंढोरा पीटती हैं, प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद-विधायक सब पौधारोपण करते हुए फोटो खिंचवाते हैं। उसके बाद उस पौधे का कोई माई बाप नहीं रहता। पूर्व सीएम खट्टर ने 2015 में विश्व पर्यावरण दिवस पर सेक्टर 12 टाउन पार्क में रुद्राक्ष का पौधा लगाया था, इस मौके पर पूरे शहर में करीब तीन घंटे में ढाई लाख पौधे लगाए जाने का रिकॉर्ड भी बनाया गया था। इन ढाई लाख पौधों ने तो क्या बचना था वो बेचारा रुद्राक्ष भी खट्टर पर कुर्बान हो गया। गौरतलब है कि इस संवाददाता ने उसी वक्त लिख दिया था कि यहां की मिट्टी और जलवायु अनुकूल नहीं होने के कारण खट्टर द्वारा लगाया जाने वाला रुद्राक्ष का पौधा पनप नहीं पाएगा और मर जाएगा, लेकिन धर्म की अफीम चटाने वालों को रुद्राक्ष के नाम पर अंधभक्तों की फौज संतुष्ट करने से मतलब था।

उस समय मीडिया ने भी जमकर ढोल तो खूब पीटा था लेकिन मारे गए पौधों का जिक्र करने की कोई जरूरत नहीं समझी गई थी। इसी तर्ज पर वन विभाग के अधिकारियों ने भी मीडिया में चार लाख पौधे लगाने का ढिंढोरा पीट दिया, पौधे लगे या नहीं, इनमें से कितने पेड़ में तब्दील हुए यह देखने के लिए न तो मीडिया जाता है और न ही जनता को दिलचस्पी है। पिछले दस साल में नेताओं से लेकर सरकारी विभागों और कथित पर्यावरण प्रेमियों ने जितने पौधे लगाने का ढिंढोरा पीटा है, यदि उनमें से आधे भी बच गए होते तो शहर का वन क्षेत्र घटता नहीं।

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Mazdoor Morcha
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