फार्मेसी काउंसिल की लूट कमाई ने खट्टर के विश्वासपात्र को प्रेरित किया

फार्मेसी काउंसिल की लूट कमाई ने खट्टर के विश्वासपात्र को प्रेरित किया
July 20 11:14 2024

बडख़ल से भाजपा विधायक टिकट की रेस में धनेश अदलखा

रीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) बतौर फार्मेसी काउंसिल के चेयरमैन अंधी लूट कमाई के साथ साथ प्रशासनिक कार्यों में मोटी दलाली खाकर अकूत धन संग्रह के बाद अब धनेश अदलखा में विधायक बनने की लालसा प्रबल हो उठी है। अपने आक़ा खट्टर से अनुमति एवं आशीर्वाद लेकर उन्होंने काउंसिल चेयरमैन पद से तीन महीेने की छुट्टी ले ली है। भाजपाइयों में चर्चा है कि वह बडख़ल विधानसभा सीट से चुनाव लडऩे की तैयारी में है।

भाजपा के सत्ता में आने के साथ ही दलाली, कमीशनखोरी और हेराफेरी में माहिर धनेश अदलखा ने पार्षद रहते हुए केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल और सीएम खट्टर से नजदीकियां बढ़ानी शुरू कर दी थीं। नगर निगम की फाइनेंस कमेटी का सदस्य बन कर उसने सीनियर डिप्टी मेयर और कृष्णपाल के बेटे देवेंद्र चौधरी के साथ मिलकर विकास कार्यों के नाम पर बड़ी हेराफेरी की थी। उसके कार्यकाल में ही नगर निगम में दो सौ करोड़ रुपयों का घोटाला हुआ था। दलाली और कमीशन की कमाई का मोटा हिस्सा ऊपर तक पहुंचाने के कारण खट्टर ने खुश होकर उसे हरियाणा सहकारी कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक का चेयरमैन बना दिया।

यहां कमाई नहीं हुई तो हूडा के रिज्यूम प्लॉटों की बिक्री में हेराफेरी कर करोड़ों रुपये कमाने की छूट दी गई। इस प्रोजेक्ट में उसे लीडर से डीलर बने मंत्री गूजर का भी साथ मिला। सत्ता के इशारे पर हूडा के अधिकारियों की मिलीभगत से रिज्यूम प्लॉटों को ई ऑक्शन में बहुत सस्ते दाम पर खरीदना या रीअलॉट करा कर मोटे दाम में बेचने का खेल पूरे प्रदेश में अदलखा की ही देखरेख में होता रहा है।

बेईमानी के धंधे में हुई कमाई का हिस्सा सबको ईमानदारी से बांटने के कारण खट्टर के नजदीक आए अदलखा को खट्टर ने हरियाणा फार्मेसी का चेयरमैन भी बना दिया। यहां उसने फार्मासिस्टों को लाइसेंस जारी करने और रिन्यू करने के नाम पर करोड़ों रुपये पीटे। लाइसेंस जारी करने के लिए अधिकृत काउंसिल के रजिस्ट्रार अदलखा की मर्जी के बिना एक हस्ताक्षर भी नहीं कर पाते थे। यही नहीं काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष केसी गोयल, सदस्य अरुण पाराशर व बीबी सिंघल ने धनेश पर पांच करोड़ रुपये गबन करने और निजी संपत्ति की तरह इस्तेमाल करने आरोप लगाया था। तब सीएम खट्टर ने चहेते अदलखा को इन आरोपों से साफ बचा लिया था। हालांकि विजिलेंस ने उसे गबन का आरोपी बनाया था, एफआईआर भी हुई लेकिन उसे पकडऩे के बजाय फरार घोषित कर दिया गया। संघी खट्टर ने अपने दूसरे चहेते आईएएस प्रभजोत से मामले की जांच करा अदलखा को क्लीनचिट भी दिलवा दी थी।

लूट कमाई के लिए अभयदान देने वाले खट्टर ने दागी अदलखा पर अपनी मेहरबानी बरकरार रखी और इसी जनवरी में उसे हरियाणा स्टेट बोर्ड ऑफ टेक्निकल एजुकेशन (एचएसबीटीई) की परीक्षा कमेटी का सदस्य बना दिया ताकि पेपर लीक व परीक्षा परिणामों को बेचकर मोटी कमाई कर सके। भाजपा शासित राज्यों में जिस तरह प्रतियोगी परीक्षाओं से लेकर सरकारी भर्ती परीक्षाओं के प्रश्नपत्र लीक हो रहे हैं, हरियाणा में यह सफलता दोहराने के लिए खट्टर को अदलखा से होनहार शायद ही कोई और मिलता। प्रत्येक पद पर रहते हुए उन्होंने भ्रष्टाचार के जो भी कारनामे अंजाम दिए हैं, अपने अनुभव का वह यहां भी भरपूर इस्तेमाल करेंगे।

हालांकि इन पदों पर रहते हुए जो अकूत मलाई उन्होंने काटी और ऊपर तक बांटी, उनकी महत्वाकांक्षाएं उससे भी कहीं अधिक हैं, इसीलिए उन्होंने अब विधायक बनने की महत्वाकांक्षा पाल ली है। बीते शनिवार को उन्होंने सीएम नायब सैनी, स्वास्थ्य मंत्री डॉ. कमल गुप्ता और स्वास्थ्य सचिव को पत्र भेज कर तीन माह के अवकाश पर जाने की सूचना दी है। उन्होंने पत्र में बताया है कि विधानसभा चुनाव के कारण वह नियमित रूप से चंडीगढ़ नहीं आ पाएंगे इसलिए उनके स्थान पर उप प्रधान को चेयरमैन का दायित्व सौंप दिया जाए। भाजपा के करीबी सूत्रों के अनुसार वर्तमान फार्मेसी काउंसिल का कार्यकाल छह मार्च को समाप्त हो चुका है। हालांकि छह सदस्यों का चुनाव हो चुका है लेकिन अभी सरकार द्वारा पांच सदस्य नामित नहीं किए गए हैं। पांच सदस्यों के नामांकन के बाद ही नए चेयरमैन व अन्य पदाधिकारियों का चुनाव होगा। फिलहाल, विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सरकार पांच सदस्यों को नामित कर अन्य लोगों को नाराज करने से बचना चाह रही है, इसीलिए कोई घोषणा नहीं की जा रही है।

अदलखा को भी मालूम है कि फार्मेसी काउंसिल का कार्यकारी चेयरमैन कुछ खास नहीं कर पाएगा इसलिए लंबी छुट्टी लेकर अपने विरोधी सोहन लाल कंसल को प्रभार दिला दिया। मौजूदा विधायक एवं शिक्षामंत्री सीमा त्रिखा के ऊपर कृष्णपाल गूजर यूं ही मुफ़्त में अदलखा को तरजीह नहीं दे रहे वे अदलखा की लूट कमाई करने में महारत का इस्तेमाल करने की मंशा रखते हैं। इसीलिए उन्होंने उसे सहयोग का आश्वासन भी दिया है। यदि ऐसा है तो हाल ही में शिक्षामंत्री बनीं और दस साल से सत्तासुख भोग रहीं सीमा त्रिखा की कुर्सी छिन जाएगी।

बताया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव में बडख़ल विधानसभा से अपेक्षित वोट नहीं मिलने के कारण गूजर सीमा त्रिखा से नाराज चल रहे हैं। कभी गूजर की चेली रहीं सीमा त्रिखा मंत्री पद पाने के बाद से गूजर को ज्यादा भाव नहीं दे रही हैं। फिलहाल अदलखा को लग रहा है कि जीते तो विधायक बन जाएंगे और हारे तो फिर से फार्मेसी काउंसिल का चेयरमैन बन कर लूट कमाई जारी रखेंगे, लेकिन उन्हें इस बात का भी अहसास होना चाहिए कि जनता जिस तरह से भाजपा से ऊबी हुई है अगर उसने भाजपा को सत्ताच्युत कर दिया और वो भी विधायक नहीं बन सके तो उनके पास कुछ भी नहीं बचेगा।

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Mazdoor Morcha
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