नगर निगम-एफएमडीए के निकम्मेपन का नतीजा है चोक सीवर लाइनें, जलभराव

नगर निगम-एफएमडीए के निकम्मेपन का नतीजा है चोक सीवर लाइनें, जलभराव
July 09 06:05 2024

ऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) दो महीने से सीवर ओवरफ़्लो की समस्या से जूझ रहे बल्लभगढ़ की आर्य नगर कॉलोनी के लोगों ने बीते सोमवार को नगर निगम मुख्यालय और एमफएमडीए कार्यालय पर प्रदर्शन किया। लोगों की समस्या सुलझाने के बजाय निकम्मे अधिकारी एक दूसरे की गलती और जिम्मेदारी बता कर पल्ला झाड़ते रहे। एफएमडीए के चीफ इंजीनियर विशाल बंसल नगर निगम को दोषी ठहराते हुए कह रहे थे कि डिस्पोजल नहीं चलने के कारण ओवरफ़्लो की समस्या है जबकि नगर निगम के अधिकारी कह रहे थे कि मुख्य सीवर लाइन, जिसकी सफाई की जिम्मेदारी एफएमडीए की है, ही नहीं चल रही है। लोगों को टालने की नीयत से बताया गया कि जेटिंग मशीन लगाकर और अधिक समस्या वाले स्थान पर निजी मशीनें लगवा कर सीवेज सुचारु कराई जाएगी। कॉलोनी में यह समस्या बीते दो महीने से है, लोगों का कहना था कि कई बार शिकायत करने के बावजूद आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई, मजबूरी में प्रदर्शन करना पड़ा।

सीवर ओवरफ़्लो और जलभराव की समस्या केवल आर्य नगर या बल्लभगढ़ की नहीं है बल्कि पूरे शहर की है, शायद ही कोई मोहल्ला, कॉलोनी या सेक्टर हो जहां बरसात में जलभराव या सीवेज व्यवस्था ठप होने के कारण सीवर ओवरफ़्लो की समस्या न हो। दरअसल, निकम्मे अधिकारियों की फौज ज्यादा जोगी मठ उजाड़ की तर्ज पर शहर की व्यवस्था बिगाडऩे में लगी है। जो काम बारिश आने से पहले ही पूरे कर लिए जाने चाहिए थे जैसे कि डिस्पोजलों की मरम्मत, नालों की सफाई, जलभराव वाली जगहों को चिह्नित कर वहां पहले से जल निकासी के इंतजाम करना, सीवर लाइनों की बरसात से पहले डीसिल्टिंग और सफाई आदि। नगर निगम और एफएमडीए के बीच काम बंटने के बाद दोनों के अधिकारी काम तो कर नहीं रहे, हां, कोई समस्या या गड़बड़ी होने पर एक दूसरे को दोषी बता कर पल्ला झाडऩे में लगे हैं जनता के लिए काम जरूरी बढ़ गया, पहले नगर निगम के दरवाजे जाकर रोते थे अब एफएमडीए के सामने भी रोओ।

कागजों पर सपनों के फऱीदाबाद की लुभावनी योजनाएं बनाने वाले एफएमडीए के नाकारा अफसरों की फौज तो अपने हिस्से की 600 एमएम या उससे अधिक मोटाई वाली सीवर लाइनें दो साल में भी साफ नहीं करा सकी है। बल्लभगढ़ में ओवरफ्लो की समस्या मुख्य सीवर लाइनों के जाम होने के कारण ही हुई है। छह सौ एमएम सीवर लाइनें दो साल से अधिक समय से एफएमडीए के पास हैं, इनकी सफाई के नाम पर हर साल करोड़ों के वारे न्यारे हो रहे हैं लेकिन समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है। एफएमडीए के अधिकारी मासूमियत से कहते हैं कि उन्हें चोक लाइनें मिली थीं, पीछे से आ रहे सीवरेज का रोक कर ही इन्हें साफ किया जा सकता है लेकिन निगम के अधिकारी सहयोग नहीं करते।

नगर निगम के निकम्मे और अक्षम अधिकारियों, जो इन लाइनों को साफ नहीं करवा पा रहे थे, के कारण ही ये काम एफएमडीए के कथित कर्मठ अधिकारियों की फौज को सौंपा गया था। नगर निगम तो किसी तरह काम चला ले रहा था, आपने तो दो साल में और भट्टा बैठा दिया है। मानसून की पहली ही बरसात में पूरा शहर जलमग्न हो गया लेकिन आप कागजों पर जल निकासी की लुभावनी योजनाएं बना कर शासन के सामने झूठ परोस कर अपनी नौकरी सुरक्षित रखिए जनता तो सब कुछ झेलने के लिए ही बनी है।

ओवरफ्लो की समस्या के लिए केवल एफएमडीए दोषी नहीं है, निगम के भ्रष्ट व निकम्मे अधिकारी भी तो अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहे हैं। बल्लभगढ़ जोन में दस डिस्पोजल हैं। इनकी देखरेख मरम्मत और संचालन का जिम्मा नगर निगम के कथित काबिल एक्सईएन ओपी कर्दम का है। अब काबिल हैं तो इसके अलावा उनको नगर स्वास्थ्य अधिकारी, बंधवाड़ी प्लांट और स्टेशनरी इंचार्ज की जिम्मेदारियां भी मिली हुई हैं। ऐसे में उनके पास कोई भी काम नहीं करने के लिए ‘बहुत जिम्मेदारियां’ होने का बहाना रहता है।

यही कारण है बल्लभगढ़ प्रभारी और डिस्पोजल इंचार्ज रहते हुए भी बरसात से पहले वो सारे डिस्पोजल सही नहीं करा सके। निगम सूत्रों के अनुसार अधिकतर डिस्पोजल सफाई व मरम्मत नहीं होने के कारण पूर्ण क्षमता से काम करने लायक नहीं हैं, मोटरें खराब होने के कारण दो डिस्पोजल बेकार पड़े हैं। बरसात के मौसम में यदि इन्हें ठीक न कराया गया तो कई इलाकों में ओवरफ़्लो की समस्या हो जाएगी। आर्य नगर की समस्या सुलझाने के लिए एफएमडीए के चीफ इंजीनियर विशाल बंसल ने बल्लभगढ़ एक्सईएन ओपी कर्दम और संयुक्त आयुक्त बल्लभगढ़ करन सिंह से पांच से छह दिन में जेटिंग मशीन लगवा कर सीवर लाइनें साफ कराने को कहा है।

वहां की व्यवस्था कुछ दिनों के लिए दुरुस्त हो भी जाएगी लेकिन नाले तो पूरे शहर के चोक हैं, सीवर लाइनों की सफाई न तो एफएमडीए करवा पाया है और न ही नगर निगम। अभी मानूसन का पूरा सीजन बाकी है, दोनों की तैयारी से तो ये तय है कि इस बरसात में भी नागरिक जलभराव और नाली का गंदा पानी घरों में घुसने के लिए खुद को तैयार कर लें।

नाला सफाई के नाम पर लूट की तैयारी
लूट कमाई में माहिर नगर निगम के भ्रष्ट अधिकारी मानसून शुरू होने के बाद नालों व सीवर लाइनों की सफाई का टेंडर जारी कर रहे हैं। तिगांव विधानसभा के शहरी क्षेत्र की सीवर लाइन, स्टॉर्म वाटर लाइनें, नालों की सफाई, दिल्ली सीमा से सटे चार वार्ड 22, 23, 26 व 27 में सीवर लाइन और नालों की सफाई के लिए 2 करोड़ 26 लाख रुपये के टेंडर जारी किए गए हैं। इसी तरह एसी नगर नाले की सफाई पर एक करोड़ 16 लाख रुपये खर्च किए जाएंगे। नगर निगम के भ्रष्टाचार से वाकिफ लोगों के अनुसार नाला, सीवर लाइनों की सफाई के नाम पर लूट कमाई का यह खेल हर साल चलता है। करोड़ों रुपये के ठेके मानसून सीजन शुरू होने पर जारी किए जाते हैं। ठेकेदार थोड़ी बहुत सफाई करते हैं जिसकी फोटो खींच कर काम किए जाने के सुबूत बनाए जाते हैं, बरसात होने पर जलभराव होता है तो बताया जाता है कि नालों में सिल्ट फिर से भर जाने के कारण जलभराव हो रहा है। इस पूरे खेल में ठेकेदार और अधिकारियों के बीच 90 से 95 फीसदी धन की बंदरबांट हो जाती है। नाले सफाई के इस खेल में प्रदीप निझावन, प्रवीन निझावन बंधु अफसरों के चहेते ठेकेदार हैं। निगम में लगीं अधिकतर सुपर सकर मशीनें इन्हीं की हैं, जिनके किराए पर निगम हर साल करोड़ों रुपये खर्च करता है। नालों की सफाई अप्रैल मई महीनों में ही कराई जानी चाहिए लेकिन ऐसा होता कभी नहीं है।

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Mazdoor Morcha
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