घृणित फासिस्टों के विरोध में फ्रांस में ‘न्यू पोपुलर फ्रंट’

घृणित फासिस्टों के विरोध में फ्रांस में ‘न्यू पोपुलर फ्रंट’
June 23 13:01 2024

क्रांतिकारी मज़दूर मोर्चा
‘मुझे लगता था कि दक्षिणपंथी अब कभी सत्ता में नहीं आएंगे, लेकिन अब लगता है, ये आ सकते हैं!’ फ्लोरेंस डेविड, 60 वर्षीय, पेरिस के एक आंदोलनकारी ‘हम एक ऐतिहासिक क्षण में जी रहे हैं, सब कुछ अनिश्चित है, ऐसा समझिए मानो डेमोक्रेसी को बचाने के लिए हम घुप्प अंधेरे में छलांग लगा रहे हैं। जब घोर दक्षिणपंथी आते दिखते हैं हम तब ही गोलबंद होते हैं। ‘मेरिल्य्से लीओन, ‘लेफ्ट यूनिटी’ तथा ‘न्यू पोपुलर फ्रंट’ के नाम से गठित साझा मंच की एक पार्टी सीबीडीटी के नेता सीजीटी यूनियन के प्रवक्ता के अनुसार शनिवार 15 जून को समूचे फ्रांस में कुल 182 रैलियां हुई जिनमें कुल 6.40 लाख लोगों ने भाग लिया। पेरिस में हुई सबसे विशाल रैली जिसमें 2.50 लाख लोगों ने भाग लिया। लगभग सभी आक्रोश प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहे। एक खास बात नोट करने लाय$कयह है कि रैली के रास्ते में जो भी बैंक शाखा पड़ी उस पर कुछ युवकों ने बोतलें ज़रूर फेंकीं। प्रदर्शनकारी नस्लवादी, फ़ासीवादी दक्षिणपंथियों (आरएन पार्टी) और सरकार से तो तपे हुए थे ही, बैंकों को देखकर भी उनका खून खौल रहा था। बैंकों के विरुद्ध उफनते जन-आक्रोश की वजह ‘जापान टाइम्स’ ने कवर की है। जर्मनी ने अपने बांड्स की प्रीमियम अचानक बढ़ा दी जिससे फ्र ांस के अमीरों ने फ्रांस के बांड और शेयर बेचकर जर्मन बांड खरीद लिए, जिससे 210 बिलियन डॉलर एक दिन में निकल गए। फ्रांस के सबसे बड़े बैंक सोसाइटी जनरल एसए, बीएनपी पेरिबस एसए तथा क्रेडिट अग्रिकोले एसए को 10 प्रतिशत का घाटा हो गया। बैंकों को जब भी घाटा होता है या बैंक डूबते हैं तो छोटे निवेशकों, जमा कर्ताओं की कमर टूट जाती है। पश्चिमी फ्रांस के शहरों नानटेस तथा रेन्नेस को वामपंथियों का गढ़ माना जाता है। वहां हुए प्रदर्शन उग्र थे और प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोलों और लाठी चार्ज, प्रदर्शनकारियों पर धक्का-मुक्की के रूप में पुलिस दमन भी हुआ।

फ्रांस के प्रधानमंत्री अट्टल का बयान भी काबिल-ए-गौर है, ‘अगर दक्षिणपंथी आरएन पार्टी सत्ता में आ गई तो लगभग 10 लाख नौकरियां चली जाएंगी। हम फ्रांस की आर्थिक बरबादी नहीं झेल सकते, वामपंथियों को रैलियां करने के बजाए हमारी ‘रेनेसां पार्टी’ की मदद करनी चाहिए।’

‘न्यू पोपुलर फ्रंट’ और ‘लेफ्ट यूनिटी’ क्या हैं? इसी हफ्ते 10 जून को फ्रांस के कम्युनिस्ट, सोशलिस्ट, रेडिकल पर्यावरणवादी ग्रुप फ़ासिस्ट उभार के विरोध में देश स्तर पर एक साझा विरोध मंच ‘न्यू पॉपुलर फ्रंट’ बनाने में कामयाब हो गए। हम अभी तक एक भी नहीं हो पाए हैं प्रमुख पार्टियां हैं; फ्रेंच कम्युनिस्ट पार्टी, सोशलिस्ट पार्टी, जनरेशन सोशलिस्ट, रिपब्लिकन एंड सोशलिस्ट लेफ्ट, लेस एकोलोजिस्ट्स, ला फ्रांस इन्सोमिसे। ‘न्यू पोपुलर फ्रंट’ ने उसके बाद शनिवार और रविवार को नस्लवादी फासिस्टों के $िखला$फ देशव्यापी साझा मोर्चा, ‘लेफ्ट यूनिटी’ में शामिल होने के लिए कई छात्र संगठनों तथा ट्रेड यूनियनों को भी राज़ी कर लिया। इसी का नतीजा था कि दक्षिणपंथियों को ज़बरदस्त चुनौती देने में कामयाब रहे। एक दिन में 183 रैलियां फ्रांस में बहुत दिन से नहीं हुई। फ्रांस के मेहनतकशों ने दुनिया में सबसे पहले 1871 के ऐतिहासिक ‘पेरिस कम्यून’ के रूप में कार्ल माक्र्स और फ्रे डेरिक एंगेल्स की आंखों के सामने दुनिया को रास्ता दिखाया था। लेनिन ने उस ऐतिहासिक परिघटना पर माक्र्स एंगेल्स के लिखे एक-एक शब्द को बार-बार पढक़र, समझकर, फौलाद जैसी क्रांतिकारी पार्टी को गढ़ा था, पार्टी के हुक्म पर अपनी मौत से भी भिड़ जाने वाले बोल्शेविकों की विशाल फ़ौज तैयार की थी जिसने 1917 में रुसी बोल्शेविक क्रांंति के रूप में दुनिया को हिला दिया था।

फ्रांस के मौजूदा फ़ासीवाद विरोधी आंदोलन के मद्देनज़र बहुत बड़े ख्वाब देखना तो मुंगेरीलाल के हसीन सपने वाली बात हो जाएगी लेकिन रास्ता यही है जिससे सही क्रांतिकारी पार्टी का उद्भव होगा सर्वहारा का नया महान शिक्षक पैदा होगा और सदियों के जु़ल्म-ओ-जबर, शोषण-उत्पीडऩ, पूंजी की गुलामी की जि़ल्लत से छुटकारा मिलेगा। वैसे भी छोटी-छोटी खुशियों को समेटने उन्हें बड़ी खुशियों जैसी तवज्जो देने का वक़्त है ये।

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Mazdoor Morcha
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