आबादी में खपाया जाने लगा है बंधवाड़ी का कूड़ा

आबादी में खपाया जाने लगा है बंधवाड़ी का कूड़ा
May 05 05:55 2024

ऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) बंधवाड़ी का कूड़े का पहाड़ हटवाने के दबाव में जिला प्रशासन आम जनता की जान की भी बाजी लगाने में गुरेज नहीं कर रहे हैं। पाली में आबादी के बाहर खुली जमीन पर कचरा डंप करने के बाद अब आबादी वाले इलाकों को निशाना बनाया जा रहा है। कचरा माफिया ने बडख़ल स्थित राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल को तीन तरफ से कचरे से ढंक दिया है। स्कूल की बाउंड्री आठ फीट ऊंची है जिसके बराबर तक कचरा भर दिया गया है।

पूर्व सीएम खट्टर और मोदी की चहेती ईकोग्रीन ने शहर से कचरा बटोर कर उससे खाद और बिजली बनाने का दावा किया था। करीब दस साल तक काम करने वाली ईकोग्रीन ने न तो कचरे से खाद बनाई और न ही बिजली। कंपनी फरीदाबाद और गुडग़ांव से निकलने वाला कचरा बंधवाड़ी में केवल डंप करती रही। कचरा निस्तारण न होने के कारण बंधवाड़ी में 36 लाख टन कूड़े का पहाड़ खड़ा हो गया। कचरे की सडऩ से हानिकारक और ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन से पर्यावरण और लीचेट के कारण भूजल दूषित होने से पर्यावरण प्रेमियों ने इसके खिलाफ मुहिम छेड़ दी थी। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने कूड़े का पहाड़ हटाने का आदेश जारी किया था। एनजीटी ने जून 2024 तक कचरा पूरी तरह साफ करने का सख्त आदेश दिया है। इसके मद्देनजर नगर निगम ही नहीं जिला प्रशासन भी कूड़े का निस्तारण करने के बजाय उसे खपाने में जुटा हुआ है। बंधवाड़ी का कचरा पाली की खुली जमीनों पर डंप किया गया लेकिन स्थानीय पर्यावरण प्रेमियों ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में इसकी शिकायत की तो वहां डंप बंद कर दूसरी जगहें तलाश जाने लगीं।

वर्तमान में बडख़ल गांव में राजकीय सीनियर सेकेंडरी स्कूल के पास कचरा डंप किया जा रहा है। स्थानीय निवासी राजेंद्र शर्मा ने बताया कि उन्होंने कचरा डाले जाने का विरोध किया तो डंपर वालों ने कहा कि ये कचरा नहीं बल्कि उससे बनाई गई खाद है। नगर निगम के अधिकारियों ने यह कहते हुए लौटा दिया कि कचरे से बनी खाद का इस्तेमाल जमीन में करने की अनुमति एनजीटी ने दे रखी है।

सवाल ये है कि बंधवाड़ी में कचरे से खाद बनाई कब गई, यदि बनाई भी गई तो खेत में आठ-आठ फीट ऊंचाई तक कौन से खाद डाली जाती है। कौन सी खाद में प्लास्टिक, पॉलिथीन, पॉलिमर, कपड़े, पॉलिएस्टर जैसी नॉन बायोडिग्रेडेबल चीजें होती हैं। यह खाद नहीं शुद्ध कचरा है जिसमें से बदबू उठ रही है। बदबू के कारण छात्र कक्षा में बैठ नहीं पा रहे हैं, किसी तरह मुंह ढक कर पठन-पाठन कार्य किया जा रहा है। पर्यावरण प्रेमी सुनील हरसाना के मुताबिक जहां कचरा डंप किया जा रहा है वहीं नगर निगम का ट्यूबवेल लगा हुआ है, जिससे स्कूल सहित बडख़ल के बड़े इलाके में जलापूर्ति की जाती है।

कचरे से निकलने वाला लीचेट रिस कर भूजल में मिल कर उसे दूषित करेगा, जिसका दुष्परिणाम, कैंसर, पेट रोग, त्वचा रोग आदि जैसी गंभीर बीमारियों के रूप में सामने आएगा। कचरा डाले जाने के कारण बडख़ल गांव वालों में रोष व्याप्त है लेकिन एनजीटी में खुद को कर्मठ साबित करने पर उतार नगर निगम और प्रशासनिक अधिकारी जनता की समस्या को सुनने तक राजी नहीं हैं। स्थानीय लोग कचरा डाले जाने के खिलाफ धरना प्रदर्शन करने की तैयारी कर रहे हैं।

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Mazdoor Morcha
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