फरीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) कार्यालय में मैडम एलिजाबेथ कह कर इंगित की जाने वाली डीईओ आशा दहिया ने अपनी भव्य विदाई के जमकर इंतजाम किए लेकिन लेक्चरर एसोसिएशन और स्कूलों के स्टाफ सहित अधिकतर लोग गायब रहे। मास्टर्स एसोसिएशन और निजी स्कूलों के तीस पैंतीस लोग शामिल थे। स्कूलों को मान्यता देने व अन्य घोटालों में घिरीं डीईओ आशा की विदाई का कार्यक्रम विश्वास कॉन्वेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल प्रबंधन ने किया था, जिसे मानकों का उल्लंघन करने के कारण मान्यता मिल ही नहीं सकती थी। समझा जा सकता है कि उनको विदाई देने के लिए निजी स्कूल वाले ही क्यों आए थे।
डबुुआ स्थित विश्वास कॉन्वेंट महज 350 वर्ग गज में चलाया जा रहा है, जबकि मानक के अनुसार सीनियर सेकेंडरी स्कूल एक एकड़ से कम जगह में नहीं होना चाहिए। ये धांधली तो कुछ भी नहीं, इसी स्कूल में विश्वास कॉन्वेंट के नाम से एक और स्कूल भी संचालित किया जा रहा है। दरअसल, स्कूल चेयरमैन प्रदीप गुप्ता ने विश्वास कॉन्वेंट के नाम से दो स्कूलों की मान्यता ले रखी है। दूसरा स्कूल कहीं चलता ही नहीं। उस स्कूल के नाम पर बच्चों को प्रवेश देकर पढ़ाया जा रहा है। यानी एक कक्षा में दोगुने बच्चों को ठूंस कर मोटी कमाई की जा रही है। इसी स्कूल ने सेक्टर 11 स्थित भव्य गैलेक्सी गार्डन में मैडम की विदाई का भारी भरकम खर्चा वहन किया था।
विदाई से महज चंद दिन पूर्व शहर के 13 स्कूलों को मान्यता की स्वीकृति देने वाली डीईओ आशा दहिया ने मजदूर मोर्चा मेें खबर प्रकाशित होने के बाद संवाददाता को कार्यालय बुलाकर अपने ईमानदार होने और सभी विद्यालयों को नियमानुसार मान्यता की मौखिक जानकारी दी थी। उन्होंने अपने कार्यकाल की उपलब्धियां भी खूब गिनाईं जिसकी पुष्टि उन्होंने अपने मातहत स्टाफ से कराई, सभी अधिकारी की हां में हां मिलाते रहे। उन्होंने यह भी दावा किया था कि उनके बेहतरीन कार्यों को देखते हुए डीसी विक्रम सिंह ने उनकी दो साल की सेवा विस्तार की फाइल भी चलाई हुई है। शिक्षा विभाग के भरोसेमंद सूत्रों के अनुसार अपना सेवाकाल बढ़ाने के लिए वह खुद ही डीसी विक्रम सिंह, यहां तक कि शिक्षा मंत्री सीमा त्रिखा तक को साधने में जुटीं थीं। शिक्षा विभाग के बुनियाद ओरिएंटेशन कार्यक्रम के समापन में मुख्य अतिथि डीसी विक्रम सिंह को उन्होंने मोंटी कॉर्लो कंपनी की चार हजार वाली शॉल भी भेंट की थी। चर्चा है कि महंगी शॉल पहन कर ही डीसी ने उनकी फाइल बढ़ाई, पूर्व शिक्षा मंत्री कंवरपाल गूजर ने भी उनके सेवा विस्तार का जोर लगाया था। लेकिन लगता है अंतिम समय मैडम के काले कारनामों का चिट्ठा खुलने से काम बिगड़ गया।
इसके बावजूद मैडम ने अंतिम दिन तक अपना सेवाकाल बढ़ाए जाने की उम्मीद नहीं छोड़ी थी। यही कारण है कि अपनी छवि चमकाने के लिए उन्होंने शिक्षा विभाग के कथित कार्यकर्ताओं से 29 अप्रैल को प्रेस कॉन्फ्रेंस करवा डाली। उनके गुर्गे मैडम की तारीफ में न जाने कितने तर्क देते रहे लेकिन विद्यालयों को मान्यता देने में पांच से सात लाख रुपये, स्थायी यूडायस कोड दिलाने में प्रति विद्यालय सत्तर हजार रुपये वसूले जाने के आरोपों पर कोई बात ही नहीं की गई।