Email:
mazdoormorcha@yahoo.co.in
Postal Reg. No.
L/H.R/FBD/463-06/R.N.I. No. 66400/97
Show Menu
होम
ई पेपर
फरीदाबाद
हरियाणा
राजनीति
दिल्ली एनसीआर
विश्लेषण
साहित्य
लेबर
विविध
वीडियो
झूठी ख़बर फैलाने में गोदी मीडिया दुनिया में पहले पायदान पर
April 28
13:03
2024
by Mazdoor Morcha
स्वदेश कुमार सिन्हा
लो
कसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान के? बाद पराजय की आशंका से ग्रस्त होकर प्रधानमंत्री एक? बार फिर अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ नफऱती झूठी ख़बरें फैलाने लगे हैं। इसके साथ ही पूरा गोदी मीडिया उनके नफऱती प्रचार अभियान में शामिल हो गया है। अमेरिका में पिछले राष्ट्रपति चुनाव में तथा उससे पहले के भी चुनाव में जब अप्रवासी लोगों; विशेष रूप से मैक्सिको से आए कामगारों के ख़िलाफ नफऱत फैला रहे थे, तो? वहां की मीडिया ने कड़ा विरोध किया था। ट्रम्प के चुनाव जीतने पर भी वहां की मीडिया ने इसे अमेरिकी लोकतंत्र के लिए ख़तरा बताया था, हालांकि अमेरिका ख़ुद पूंजीवादी साम्राज्यवादी देश है, लेकिन वहां की? मीडिया में अभी भी इतनी नैतिकता तो बची है कि वे नहीं चाहते कि देश में किसी तरह का फासीवादी शासक आए, इसके विपरीत सम्पूर्ण भारतीय मीडिया आज ख़ुद फासीवाद का आह्वान कर रही? है। आम जनता के प्रति नैतिकता और प्रतिबद्धता आज सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है।
पिछले दिनों झूठी ख़बरों के सर्वेक्षण पर आधारित रिपोर्ट में झूठी ख़बरें फैलाने वाले विश्व के अग्रणी देशों की एक सूची जारी की गई। इस सूची में भारत पहले नंबर पर आया है। ग़ौरतलब है कि इन झूठी ख़बरों में बड़ा हिस्सा भाजपा आई.टी. सेल द्वारा योजनाबद्ध ढंग से फैलाई जाने वाली झूठी ख़बरों का है। 16 जनवरी 2024 को उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जि़ले में गौ-हत्या का एक मामला सामने आया। पुलिस के पास बजरंग दल के जि़ला प्रधान ने रिपोर्ट दर्ज करवाई और दावा किया कि मुसलमानों ने ‘कांबड़ पथ’ (मुरादाबाद)’ में गौ-हत्या की है। भाजपा आई.टी.सेल द्वारा पूरे इलाक़े में मुसलमानों के खिलाफ नफऱत का माहौल बनाया गया। सोशल मीडिया के ज़रिए लोगों को ख़ूब भडक़ाया गया, लेकिन पुलिस जांच में कि गौ-हत्या इन बजरंग दल वालों ने ही की थी। पकड़े गए तीन दोषी बजरंग दल से संबंधित थे। इनका मुख्य मक़सद लोकसभा चुनाव 2024 से पहले सांप्रदायिक माहौल भडक़ाना था।
मुरादाबाद वाला मामला तो एक छोटी-सी ताज़ा मिसाल है। इस प्रकार के कितने ही मामले रोज़ाना सामने आते हैं, उससे भी अधिक मामले दबा लिए जाते हैं, लेकिन नफऱत फैलाने वाले ऐसे लोगों के ख़िलाफ़ कार्यवाही तो दूर की बात है, बल्कि भाजपा हुकूमत बड़ी ही बेशर्मी से झूठी ख़बरें फैलाने वाले ऐसे असामाजिक तत्वों को पार्टी पदों पर बिठाती है। थोड़े दिन पहले ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े तीन गुंडे बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी–आई.आई.टी. की 20 साल की महिला विद्यार्थी से बलात्कार करने के दोषी पाए गए थे। इन बलात्कारियों को भाजपा ने आई.टी. सेल में बड़े पद दिए हुए थे। भाजपा के इस आई.टी. सेल की करतूतों की सूची बड़ी लंबी है। जनविरोधी कृषि क़ानूनों के विरुद्ध चले किसानी संघर्ष के समय भाजपा के आई.टी. सेल ने किसानों और पंजाब की जनता पर अलगाववादी, आतंकवादी, देशद्रोही आदि के इल्जाम लगाकर बहुत झूठा प्रचार किया था। पिछले साल कुश्ती संघ के अध्यक्ष बृजभूषण के ख़िलाफ़ पहलवान खिलाडिय़ों द्वारा छेड़छाड़? और शारीरिक शोषण के गंभीर दोष लगे थे,लेकिन भाजपा आई.टी. सेल द्वारा पीडि़त संघर्षशील खिलाडिय़ों को ही काफ़ी बदनाम किया गया और खुलेआम कुश्ती संघ के प्रमुख बृजभूषण के बचाव में अनेकों पोस्टें डाली गईं और इन्हें बड़े स्तर पर घुमाया गया। इसी प्रकार जनवरी 2023 में हिंडनबर्ग रिपोर्ट में अडानी की कालाबाज़ारी के बारे में खुलासे हुए,तो भाजपा आई.टी. सेल द्वारा अपने चहेते अडानी को बचाने के लिए यह प्रचार किया गया कि यह देश के खिलाफ़ विदेशियों की साजि़श है।
अर्थात झूठी ख़बरें फैलाने का काम भारत में बड़े ही योजनाबद्ध ढंग से किया जा रहा है। पिछले सालों में हमने लगातार देखा कि कैसे आर.एस.एस-भाजपा के आई.टी. सेल ने अपना सांप्रदायिक एजेंडा आगे बढ़ाने के लिए झूठी ख़बरों का सहारा लिया, जो आगे व्हाट्सएप और अन्य सोशल मीडिया संस्थानों द्वारा लाखों-करोड़ों लोगों तक पहुंचाया गया। इन झूठी ख़बरों को मुख्य तौर पर मुसलमानों के ख़िलाफ़ नफऱत फैलाने, विरोधी पार्टियों पर कीचड़ उछालने, मोदी हुकूमत के ख़िलाफ़ चलने वाले संघर्षों को बदनाम करने और सामाजिक कार्यकर्ताओं की छवि बिगाडऩे के लिए एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है। भाजपा-संघ का यह झूठा प्रचार नमो ऐप, व्हाट्सएप,फे़सबुक,इंस्टाग्राम आदि माध्यमों के ज़रिए करोड़ों लोगों तक पहुंचाया जाता है। नमो ऐप को एक करोड़ से भी अधिक लोग इस्तेमाल करते हैं। इस पर हर रोज़ झूठी ख़बरों की बाढ़ आई रहती है। जनता में सांप्रदायिक या अंधविश्वास से भरी ख़बरें पहुंचाई जाती हैं। अपने इसी बड़े ताने-बाने को भाजपा आई.टी. सेल चुनाव के समय भी बहुत ज़ोर-शोर से इस्तेमाल करता है।
विश्व आर्थिक मंच की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ भारत में 2019 के चुनाव में लगभग 80 फ़ीसदी वोटर किसी ना किसी हद तक झूठी ख़बरों के शिकार थे और अब 2024 के चुनाव में पहले उसे ही ऐसी झूठी ख़बरें फैलाने का सिलसिला बहुत अधिक बढ़ गया है। ‘व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी’ के ज़रिए देश के नौजवानों को कहा जा रहा है कि 2024 के चुनाव में “मोदी लाओ, राम राज्य में योगदान पाओ।” संघी हुक्मरानों द्वारा झूठी ख़बरों के इस शोर में शिक्षा, रोजग़ार, महंगाई, निजीकरण, संकुचित हो रहे जनवादी अधिकार, पत्रकारों और कार्यकर्ताओं पर हो रहे हमले आदि द्वारा जनता के कितने ही मसलों को पूरी तरह से दबाने की ज़बरदस्त कोशिश की जा रही है। सोशल मीडिया पर विरोधी दलों की पोस्टों की पहुँच कम कर दी जाती है, ख़ासकर उन पोस्टों की जो भाजपा हुकूमत के झूठ को नंगा करती हैं।
मोदी सरकार विरोधी बड़ी संख्या में सोशल मीडिया खाते अब तक बंद किए जा चुके हैं। एक ओर भाजपा हुकूमत देश में झूठ फैला रही है, दूसरी ओर इन झूठी ख़बरों का पर्दाफ़ाश करने वाले जनपक्षधर पत्रकारों पर झूठे केस दजऱ् किए जा रहे हैं। ख़ासतौर पर भाजपा-आर.एस.एस द्वारा फैलाई जाने वाली झूठी ख़बरों का पर्दाफ़ाश करने वाले ‘आल्ट न्यूज़’ संस्थान के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबेर पर 2022 में किसी हिंदू शेर सेना नाम के संगठन से जुड़े सांप्रदायिक व्यक्ति द्वारा शिकायत करने पर 295-ए का केस दजऱ् कर दिया गया और बाद में उस पर विदेशी फंडिंग के दोष भी लगाए गए। विदेशी फंडिंग के दोष लगाकर ही अक्टूबर 2023 में ‘न्यूज़ क्लिक’ संस्थान के संस्थापकों – प्रबीर पुरकायस्थ और अमित चक्रवर्ती पर यू.ए.पी.ए. जैसा दमनकारी क़ानून लगाकर उनका मुंह बंद करने की कोशिश की गई। ग़ौरतलब है कि न्यूज़ क्लिक संस्थान अलग-अलग समय मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियों की आलोचना करता रहा है और कृषि क़ानूनों के विरुद्ध चले संघर्ष में भी इसने संघर्ष के पक्ष में पत्रकारिता की थी।
इसी प्रकार कश्मीर में जिस तरह 2019 में धारा 370 हटाने के बाद वहां पत्रकारों की ज़ुबान किस तरह बंद की गई है, वह किसी से छुपा नहीं है। पिछले दिनों भाजपा द्वारा 22 जनवरी को किए गए राम मंदिर के उद्घाटन के पीछे छुपी सांप्रदायिक राजनीति पर टिप्पणी करने वाले पंजाब के पांच लोगों पर भी धारा 295- ए के तहत केस दजऱ् किए गए। ‘विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र’ होने का दम भरने वाले भारत में जिस प्रकार योजनाबद्ध तरीक़े से मोदी सरकार द्वारा विरोधी पत्रकारों पर हमला बोला गया है, वह सभी को? ज्ञात? है।
यह अकारण ही नहीं हुआ कि साल 2023 की प्रेस आज़ादी सूचकांक रिपोर्ट में प्रेस आज़ादी के मामले में भारत का स्थान 180 देशों में 161वें नंबर पर गिर चुका था। पूरे देश में आज यही हालात है। एक ओर तो सोशल मीडिया पर गोदी मीडिया का नेटवर्क दिन- रात जनता को आपस में लड़ाने के लिए झूठी ख़बरें प्रसारित कर रहा है और उस पर कोई कार्यवाही नहीं की जाती, बल्कि सत्ता द्वारा उनकी पीठ थपथपाई जाती है; दूसरी ओर हक़, सच, इंसाफ़ के लिए उठने वाली हर आवाज़ को झूठे दोष लगाकर दबाया जा रहा है। इसके बावज़ूद जनता सरकारों की ऐसी जनविरोधी नीतियों का बड़े स्तर पर खुलकर विरोध करती नजऱ आती है, लेकिन यह विरोध बिखरा हुआ है। आज जनता के इस बिखरे हुए विरोध को संगठित रूप देकर इन फासीवादी शक्तियों को हराने की ज़रूरत है।
(स्वदेश कुमार सिन्हा स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)
Article "tagged" as:
adani
ambani
godi media
Categories:
फरीदाबाद
लेख
view more articles
About Article Author
Mazdoor Morcha
View More Articles
view more articles
Related Articles
आज़ादी के लिए अनगिनत स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना खून बहाया है, जिनमें से एक जांबाज़ थे सूर्य सेन
पुलिस की वर्दी में डकैत
Close Window
Loading, Please Wait!
This may take a second or two.