हूडा मार्केट कॉरिडोर से अवैध कमाई कर रहे अधिकारी

हूडा मार्केट कॉरिडोर से अवैध कमाई कर रहे अधिकारी
April 28 12:24 2024

ऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) हूडा मार्केटों में ग्राहक या आम आदमी के चलने के लिए दुकानों के आगे (कॉरिडोर) बरामदे अधिकारियों की अतिरिक्त कमाई का जरिया बन गए हैं। हूडा अधिकारियों की मिलीभगत से दुकानदारों ने कॉरिडोर पर अतिक्रमण कर बाहर तक दुकान बढ़ा ली हैं। कई दुकानदारों ने तो एल्युमिनियम-लोहे के फ्रेम से घेर कर अस्थायी निर्माण तक कर लिया है। करीब पचास वर्ग फीट के इस अतिरिक्त कब्जे के लिए दुकानदार अधिकारियों को बाकायदा सुविधा शुल्क अदा करते हैं।

सेक्टरों की हूडा मार्केट में 27 गज के बूथ हैं। इन बूथों के आगे करीब आठ फीट चौड़ा पब्लिक कॉरिडोर ग्राहकों के चलने फिरने के लिए बनाया गया है। अधिकतर सेक्टरों में दुकानदारों ने इस कॉरिडोर पर अतिक्रमण कर रखा है। सेक्टर 46, सेक्टर 21 सी, 21 डी, सेक्टर 15 सभी जगह दुकानदारों ने अस्थायी रूप से अतिक्रमण कर दुकान बाहर तक बढ़ा ली हैं। सेक्टर 21 सी में बीकानेर सहित इस मार्केट के सभी दुकानदारों ने इसी तरह कब्जा कर रखा है। सेक्टर 21 डी में तो दुकानदारों ने बूथ का दरवाजा मुख्य सडक़ की ओर खोल रखा है। नियमानुसार बूथ का दरवाजा मुख्य सडक़ पर नहीं खोला जा सकता। ऐसा नहीं है कि सिर्फ बूथ वालों ने अतिक्रमण कर रखा है। तमाम ने अवैध कब्जे भी कर रखे हैं।

हूडा नियमों के मुताबिक मार्केट में बूथ पर बेसमेंट, ग्राउंड फ्लोर और फस्र्ट फ्लोर ही बनाया जा सकता है, ऊपर जाने वाली सीढ़ी भी बूथ के अंदर से ही बनाई जानी हैं। बरामदे में कोई अतिक्रमण भी नहीं किया जा सकता। अधिकारियों की कृपा दृष्टि से दुकानदार इन नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहे हैं। सेक्टर 46 में तो दुकानदारों ने ग्रीन बेल्ट और पार्किंग पर भी कब्जा कर रखा है। इन जगहों पर ये लोग रेहड़ी लगवाते हैं जिसका रोजाना के हिसाब से दो सौ से पांच सौ रुपये तक किराया वसूलते हैं। रेहड़ी और दुकानें होने के कारण मार्केट में आने वाले लोगों को सडक़ किनारे ही वाहन खड़े करने को मजबूर होना पड़ता है। ग्रीन बेल्ट तो खत्म होकर वेंडिंग जोन में तब्दील हो चुकी है।

ये सब हूडा के खाऊ कमाऊ अधिकारियों की कृपा से हो रहा है। सेक्टर 46 के एक दुकानदार ने नाम न छापने की शर्त पर बताया ग्रीन कि बेल्ट, पार्किंग और बरामदे के इस्तेमाल का सुविधा शुल्क चुकाया जाता है। हर माह अधिकारियों के एजेंट वसूली करने आते हैं। यदि नहीं दिया गया तो अवैध निर्माण, अतिक्रमण आदि का नोटिस भेज कर तुड़वाने की चेतावनी दी जाती है। हालांकि नोटिस भेजने का खेल भी सिर्फ दिखावटी ही होता है। जो अधिकारी नोटिस भेजते हैं वो ही ये रिपोर्ट भी लगाते हैं कि दुकानदार ने अपना अतिक्रमण खुद ही हटा लिया है।

सुधी पाठकों को बता दें कि मार्च-अप्रैल 2023 में भी हूडा ने ऐसे पांच सौ बूथों को चिह्नित किया था जो हूडा के नियमों को उल्लंघन कर बूथ से कहीं आगे तक फैल कर कारोबार कर रहे थे। इन सभी को नोटिस भेजा गया लेकिन कार्रवाई आज तक नहीं हुई। इन बूथों पर आज भी दूसरा अवैध तल बना हुआ है, मुख्य सडक़ की ओर इनके दरवाजे खुल रहे हैं, ऊपर जाने के लिए बाहर से अस्थायी सीढिय़ां लगाई गई हैं।

नोटिस के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं किया जाना हूडा के ‘ईमानदार अधिकारियों’ की कार्यशैली बताता है। हूडा के एसडीओ राजेंद्र कुमार कहते हैं कि आचार संहिता लागू है, चुनाव समाप्त होने के बाद अभियान चलाकर ऐसे बूथों के खिलाफ तोडफ़ोड़ की कार्रवाई की जाएगी। आचार संहिता तो चंद महीनों से लागू है लेकिन अतिक्रमण और अवैध कब्जे तो लंबे अर्से से हैं, इन्होंने तब कोई कार्रवाई नहीं की तो चुनाव समाप्त होने के बाद कुछ करेंगे ऐसा लगता नहीं है।

  Article "tagged" as:
  Categories:
view more articles

About Article Author

Mazdoor Morcha
Mazdoor Morcha

View More Articles