फरीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) अपने परिवार से दगा एवं भाजपा विरोध के बल पर विधानसभा की दस सीटें जीतने के बाद जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला गोबर खाने के लिये भाजपा में जा घुसा। बहुमत न मिलने की वजह से भाजपा की मजबूरी थी कि सत्ता के भूखे इस परिवार को लूटने-खाने का पूरा मौका देकर इन्हें अपने साथ रखती। करीब साढ़े चार साल तक सत्ता में हिस्सेदारी के बल पर इस चौटाला परिवार ने जमकर अंधी लूट मचाई। जनहित का कोई काम करने की इन्हें कोई जरूरत महसूस नहीं हुई। हद तो तब हो गई जब राष्ट्रव्यापी किसान आन्दोलन के दौरान ही ये किसानों की मदद में नहीं आ पाए और किसान विरोधी भाजपा सरकार के समर्थन में डट कर खड़े रहे। मतलब निकल जाने के बाद भाजपा ने इन्हें दूध की मक्खी की तरह निकाल कर फेंक दिया। सत्ता के नशे में किये गये अपने कुकृत्यों की वजह से आज इस परिवार की स्थिति यह हो गई है कि ये अपने क्षेत्र के किसी भी गांव में घुस नहीं सकते। अपना गृह जि़ला सिरसा, फतेहाबाद, हिसार, भिवानी, जींद, रोहतक, सोनीपत आदि किसी भी जि़ले में इन्हें कहीं कोई ठौर नहीं है। एक-दो बार इन क्षेत्रों में दुष्यंत व इसके पिता अजय ने घुसने का जब प्रयास किया तो इनकी स्थिति उन सियारों जैसी हो गई जिनके पीछे गांव के कुत्ते लग जाते हैं। ले-दे कर इन्हें थोड़ी-बहुत गुंजाइश गुडग़ांव व फरीदाबाद के शहरों में ही नजर आती है। सत्ता में रहते हुए भी इनका रुझान अपने ग्रामीण क्षेत्रों की अपेक्षा इन दो शहरों की ओर ही रहता था, क्योंकि यहां के व्यापारिक निवासी विरोध तो करते नहीं मलाई और चटाते हैं।
चर्चा यह भी है कि भाजपा ने इस परिवार को इसलिये भी दुत्कारा है कि ये लोग जाटों के कुछ वोट तो काटेंगे ही। भाजपा का मानना है कि जाटों का वोट अकेले भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की बजाय अभय चौटाला के साथ-साथ अजय चौटाला में भी बंट जाए। हुड्डा व अभय चौटाला कितने जाटों को काबू करेंगे, ठीक से नहीं कहा जा सकता, लेकिन दुष्यंत के पल्ले तो निल बटे सन्नाटा ही रहेगा। इन्हें दस सीटों पर यदि कुल दस हजार वोट भी मिल जायें तो चमत्कार ही कहा जाएगा। $फरीदाबाद से जेजेपी ने जिस नलिन हुड्डा को टिकट दिया है, वह कौन से खेत की मूली है, कोई नहीं जानता। दुष्यंत की खामख्याली है कि हुड्डा के नाम से यह उम्मीदवार जाटों के वोट काट लेगा। बेशक जाट एक भोली कौम है पर अब इतनी मूर्ख भी नहीं रह गई है कि दुष्यंत जैसे गोबर खाने वालों के बहकावे में आकर किसी भी गड्ढे में जा पड़ें।