पुलिस के बल पर वमानी ओवरसीज के मालिकों ने मज़दूर यूनियन खत्म करा दी

पुलिस के बल पर वमानी ओवरसीज के मालिकों ने मज़दूर यूनियन खत्म करा दी
April 15 16:01 2024

मज़दूर मोर्चा ब्यूरो
श्रम क़ानूनों को दरकिनार कर मज़दूरों की मेहनत पर करोड़ों का कारोबार करने वाली वमानी ओवरसीज़ प्राइवेट लिमिटेड कंपनी पृथला के मालिक पुलिस के बल पर कामगारों के अधिकारों का हनन कर रहे है। कंपनी में श्रम कानूनों को लागू कराने के लिए एकजुट हुए श्रमिकों ने यूनियन बनानी चाही तो मालिकों ने नौकरी से निकालने की धमकी और पुलिस केस कर आंदोलन तुड़वा दिया। श्रमिक कल्याण विभाग भी शिकायतें देने के बावजूद मूकदर्शक बन कर कंपनी प्रबंधन के पक्ष में खड़ा नजर आया।

लंबे समय से शोषण का शिकार वमानी ओवरसीज़ के मज़दूरों ने अपना हक पाने के लिए यूनियन का गठन करने का निर्णय लिया था। मज़दूरों ने क्रांतिकारी मज़दूर मोर्चा के महासचिव कामरेड सत्यवीर सिंह और अध्यक्ष नरेश से संपर्क किया था। इस पर दोनों पदाधिकारियों ने कंपनी में मज़दूर यूनियन बनाने के लिए विधिवत प्रक्रिया शुरू कर दी। मज़दूरों ने 12 फरवरी 2024 को कंपनी प्रबंधन को वमानी ओवरसीज मज़दूर यूनियन के नाम से 16 सूत्री मांगपत्र दिया। यूनियन बनती देख कंपनी प्रबंधन इसे तोडऩे पर उतारू हो गया। गदपुरी थाने में शिकायत देकर डराया और फिर नौकरी से निकालने का दबाव बना कर मज़दूरों को तोडऩे का खेल शुरू हुआ।

मज़दूरों के साथ हो रहे अन्याय की शिकायत कामरेड सत्यवीर सिंह ने उप श्रम आयुक्त फरीदाबाद में की लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। इधर कंपनी प्रबंधन ने मज़दूरों को आतंकित करना शुरू कर दिया।

अगुवाई करने वाले मज़दूरों को उनके बेटों की फोटो दिखा कर आतंकित किया गया कि हमें मालूम है कि तुम्हारे बेटे कब कंपनी में जाते हैं, उन्हें कुछ भी हो सकता है। हम तुम लोगों और तुम्हारे नेताओं का कुछ भी कर सकते हैं। इधर नौकरी से निकाले जाने के डर से टूटे मज़दूरों ने कंपनी प्रबंधन के बनाए हुए पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए। पत्र में लिखा गया था कि हम यूनियन नहीं बनाना चाहते थे, हमें सत्यवीर तथा नरेश ने भडक़ाया था, हमारी 50-50 रुपये की रसीदें काटी हैं।

कंपनी प्रबंधन ने कामरेड सत्यवीर और नरेश के खिलाफ गदपुरी थाने में मज़दूरों को भड़ाकाने आदि आरोप लगाते हुए केस दर्ज करा दिया। थाने के शीशराम नाम पुलिस अधिकारी ने दोनों पदाधिकारियों को बुलाया। बृहस्पतिवार को थाने पहुंचे पदाधिकारियों को पुलिस ने यह कहते हुए दबाव में लेने की कोशिश की कि सभी मज़दूरों ने आपके खिलाफ उन्हें यूनियन बनाने के लिए भडक़ाने का आरोप लगाया है। पुलिस ने कहा कि लिखित दीजिए कि मामले में कार्रवाई नहीं चाहते वरना आपके खिलाफ पर्चा दाखिल किया जाएगा। निडर कामरेड ने कोई समझौता नहीं करते हुए लिखा कि कंपनी के मज़दूरों ने उन्हें यूनियन बनाने के लिए आमंत्रित किया था, यदि मज़दूर यूनियन नहीं बनाना चाहते तो वो भी कुछ नहीं करेंगे, यदि भविष्य में मज़दूर यूनियन बनाना चाहेंगे तो वह उनका पूरी तरह सहयोग करेंगे।

काफी आपत्तियों के बाद पुलिस वालों ने उन्हें थाने से जाने दिया। इस पूरे प्रकरण में उप श्रम आयुक्त कार्यालय का रोल बहुत ही खराब रहा। मज़दूरों ने उप श्रम आयुक्त कार्यालय में 12 फरवरी को मांग पत्र दिया था। उप श्रम आयुक्त इस मांगपत्र पर कार्रवाई के नाम पर केवल कंपनी प्रबंधन को नोटिस भेजते रहे लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई, उनकी अनदेखी का नतीजा ये हुआ कि कंपनी प्रबंधन मज़दूरों की एकता को कुचलने में सफल रहा।

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