देवेन्द्र भाले भारत “युवाओं” का देश है। एक सर्वे के अनुसार भारत की आबादी की औसत आयु 29 वर्ष है अर्थात दुनिया का सब से युवा देश। ये बात अलग है कि इस युवा देश के लगभग सभी “नेता” 70 पार है। लेकिन युवा को इस की परवाह नही युवा अपने रास्ते खुद बनाता है। युवा ने देश चलाने के लिए अपनी “मनपसंद सरकार” निर्वाचित कर ली है।
अब चूकिं युवा ने सरकार बनाई है इसीलिए सरकार को भी युवा की बहुत परवाह है। सरकार नही चाहती युवा मेहनत कर के दर-2 की ठोकर खाये। उस को सुबह जल्दी उठ कर काम पर जाना पड़े और सारे दिन माथा पच्ची करनी पड़े। इसीलिए सरकार ने सब से पहले “रोजगार” के सारे अवसर खत्म कर दिए। रोजगार है ही नही तो युवा के घर वाले उस को जबर्दस्ती कहीं भेज भी नही सकते, युवा अब घर पर आराम करता है।
लेकिन अब एक और समस्या खड़ी हो गई। भगवान के इंसान को बनाते समय एक manufacturing defect रह गया। इंसान ज्यादा देर खाली नही बैठ सकता, उस को करने के लिए कुछ न कुछ चाहिए। युवा को भी खाली बैठे-2 दिक्कत आने लग गई। अब सरकार चूंकि युवाओं के कल्याण के लिए बनाई गई थी इसीलिए सरकार ने अपने “परम मित्र” की मदद से युवा को रोज का 1 जीबी डाटा मुफ्त में देना शुरू कर दिया, युवा खुश हो गया। अब युवा सोशल मीडिया पर पहुंच गया। वहां जा कर युवा को पता चला कि उस का “धर्म” और “जाति” कितने बड़े सकंट में है। भगवान का लाख-2 शुक्र है कि वो उस के “धर्म और जाति” की रक्षा के लिए सही समय पर “सोशल मीडिया” पर पहुंच गया नही तो ये लोग खत्म ही कर देते सब कुछ। अब युवा को रंगों की समझ भी हो गई। उस को, उस के जैसे ही युवाओं ने उस का एक विशेष रंग दे दिया। किसी का नीला, किसी का हरा, किसी का लाल तो किसी का भगवा। युवा को एहसास हो गया कि सिर्फ उस के रंग वाले लोग ही उस की जाति के और उसके धर्म के परम हितेषी है, बाकी सब उस के दुश्मन है। युवा को अब अपना रंग बचाने का अति महत्वपूर्ण काम मिल चुका है। युवा सुबह उठता है और अपने जैसे बाकि युवाओं के साथ मिलकर अपने धर्म की रक्षा में जुट जाता है। उस का काम है अपने जैसे बाकि युवाओं को उसके रंग की पहचान कराना, उनको अपनी पहचान करवाना। उनको, उन के गौरवशाली इतिहास से परिचित करवाना, उनको उन पर हुए जुल्म का इल्म करवाना।
“हिन्दू युवाओं” को बताया जा रहा है कि कैसे सभी मुस्लिम देश का बुरा सोचते है? कैसे सदियों से उन्होंने हिन्दू धर्म को हानि पहुंचाई है? कैसे देश के हित मे उन सब को बाहर निकालना जरूरी है?
“मुस्लिम युवाओं” को बताया जा रहा है कि कैसे उन्होंने सदियों तक देश पर हुकूमत की है? कैसे हिन्दू उन पर अत्याचार कर रहे है? इस्लाम के हित मे “गजवा ए हिन्द” होना कितना जरूरी है? “सवर्ण युवाओं” को समझाया जा रहा है कि कैसे “दलित”, आरक्षण ले कर बिना प्रतिभा ऊंची-2 नौकरी पा रहे है ? और कैसे उन की वजह से उन को प्रतिभा होते हुए भी नौकरी नही मिल पा रही है।
“दलितों” को इतिहास बताया जा रहा है कि कैसे उनका सदियों से शोषण किया गया? कैसे वो “मूलनिवासी” है ? और “सवर्ण”, बाहर से आये हुए है और उन सब के दुश्मन है। “महिलाओं” को बताया जा रहा है कि कैसे शुरुआत से ही पुरुषों ने उन का शोषण किया है ? कैसे सभी पुरुष गंदी सोच वाले, दुर्बुद्धि और परपीडक़ होते है ? और महिलाएं कभी भी गलत नही होती है। “नारीवाद” ही महिलाओ की उन्नति का एकमात्र रास्ता है।
अब युवा के पास अपना एक “वाद” है, जिसकी रक्षा उसे करनी है। उस की विचारधारा को ना मानने वाले सभी उस के दुश्मन है। युवा ने देखा कि ऐसे संकटपूर्ण समय मे भी जब उस की “जाति, धर्म, लिंग, क्षेत्र” पर इतना बड़ा संकट आया हुआ है। तब भी कुछ बेकार लोग “शिक्षा, चिकित्सा और रोजगार” जैसी महत्वहीन बाते कर रहे है। युवा समझ गया है कि ये लोग भी देश के दुश्मन ही है।
अब युवा सुबह से शाम तक अपने धर्म की रक्षा में लगा रहता है। युवा “इतिहासज्ञ” है, युवा को चाहे अपने “पिता के दादा” का नाम नही पता हो। लेकिन युवा को पता है कि 800 साल पहले उस के वर्ग के साथ किन लोगों ने गलत किया जिसका बदला उसे लेना है।
युवा चाहे अपने “पड़ोसी का नाम” भी नही जानता हो लेकिन युवा “विदेश नीति” में विशेषज्ञों को भी गलत साबित कर सकता है। युवा को चाहे “सौंफ और जीरे” में फर्क नही पता हो लेकिन युवा “कृषि विशेषज्ञ” है। युवा से चाहे बगल में बैठी हुई “मक्खी” भी नही डरती हो लेकिन युवा सोशल मीडिया पर “चीन और पाकिस्तान” की अक्ल ठिकाने लगाने की बाते करता है। युवा के पिता चाहे खून-पसीने से मेहनत करके जैसे-तैसे उस का पेट पाल रहे हो लेकिन युवा “पेट्रोल में 15 रुपये बढऩे के लिए क्करू बदल दे क्या? शेर पाला है थोड़ा महंगा तो पड़ेगा ही” वाले पोस्ट शेयर कर रहा है।
कुल-मिला कर युवाओं कि सरकार ने युवा के लिए स्वर्ग का निर्माण कर दिया है। सारे दिन कोई काम के लिए नही कहता है। अपनी कुंठाओ को सोशल मीडिया पर किसी को भी गाली देकर निकाल सकता है। साथ ही जाति/धर्म की रक्षा हो रही है वो अलग और क्या चाहिए जीवन में?