1. मज़दूरों के हत्यारे, ‘लाइफलॉन्ग इंडिया प्रा लि धारूहेड़ा, रेवाड़ी’ के मालिकों को, दफ़ा 302 में गिरफ्तार करो.
2. मृतक मज़दूरों को एक करोड़, घायलों को 50 लाख मुआवज़ा तथा आश्रितों को नोकरी दो.
3. मज़दूरों की जान की सुरक्षा के पुख्ता इंतेजाम सुनिक्षित करने के लिए सभी कारखानों का सुरक्षा ऑडिट करो,
धारूहेड़ा, जिला रेवाडी, हरियाणा स्थित, ‘लाइफलॉन्ग प्रा लि नाम की कंपनी में, 16 मार्च को बायलर फट गया, जिसमें बुरी तरह जले, कुल 40 मजदूरों में से, अब तक 14 मजदूरों की मौत हो चुकी है, 6 मजदूर रोहतक मेडिकल कॉलेज तथा । सफदरजंग अस्पताल में मौत से जूझ रहे हैं. डॉक्टर्स का कहना है कि 50 प्रतिशत से ज्यादा जले व्यक्ति को मौत से बचाना मुमकिन नहीं होता, अस्पतालों में भर्ती, ये 7 मजदूर भी 60 से 70 प्रतिशत से ज्यादा जल चुके हैं, मतलब जीवित बचाना मुश्किल है. सफदरजंग अस्पताल के डॉक्टर का बयान है, ’60 प्रतिशत से अधिक जले, कन्हैया महतो की हालत चिंताजनक है, वह जिन्दगी और मौत के बीच झूल रहा है’, रोहतक मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर्स ने भी बताया है कि 70 प्रतिशत जल चुके व्यक्ति कई चार कई दिन तक जीवित रहते हैं लेकिन उनके अंदर इन्फेक्शन फैलाने से नहीं रुकता और उनकी जिन्दगी बचाना संभव नहीं हो पाता.
प्रशासन, श्रम विभाग, हरियाणा सरकार और पुलिस का बिलकुल वहीं रवैय्या है, जो हमेशा रहता है. एफआईआर में मालिकों का नाम तक नहीं है, बस ‘शिवम कॉन्ट्रैक्टर्स’ नाम की ठेकेदार फर्म के मालिक का नाम है. उसकी भी गिरफ्तारी की कोई कन्फर्म सूचना अभी तक नहीं है. कंपनी के डायरेक्टर्स मालिक जो मजदूरों के उत्पादन को बेचकर मुनाफा कूटते हैं, जो मजदूरों की सुरक्षा के लिए, सीधे जिम्मेदार हैं, जो घिसे-पिटे उपकरणों को अनंत काल तक रगड़ते जाते हैं, उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं!! एक रिपोर्ट के अनुसार पुलिस को पता नहीं, कि कंपनी के मालिक कौन हैं.
उन्होंने ‘हरियाणा राज्य औद्योगिक विकास निगम’ से ये जानकारी मांगी है, जबकि गूगल ने। मिनट से भी कम समय में, हमें सारी जानकारी उपलब्ध करा दी. चेयरमैन: अतुल रहेजा, डायरेक्टर्स, विजय कुमार, जतिन रहेजा, जीएम ऑपरेशन, अरुण सैनी और वित्त विभाग प्रमुख, हरप्रीत सिंह खुराना, उम्मीद है, गिरफ्तारी जल्द होगी.
मजिस्ट्रेट ने अपनी जाँच रिपोर्ट में, हत्यारे मालिकों के विरुद्ध कुछ नहीं कहा. मुख्य सचिव को उनकी सिफारिश है कि औद्योगिक सुरक्षा विभाग और श्रम विभाग के विशेषज्ञ जांच करे. श्रम विभाग में स्थित औद्योगिक सुरक्षा विभागों में ताले लग चुके है. सरकार का मानना है कि कारखानेदार अपने उद्योगों में सुरक्षा उपाय खुद कर लेते हैं।
इस कंपनी के एक चायलर में पहले दो बार ब्लास्ट हो चुका है, लेकिन मालिकों ने, उनकी जगह नए बायलर लाने तो दूर, उनकी मरम्मत तक नहीं कराई। दरअसल, 14 मजदूरों की मौत की खबर भी एक सप्ताह पुरानी है. हमने, अस्पतालों में भर्ती गंभीर रूप से जल चुके मजदूरों का अपडेट जानने के लिए, रोहतक पीजीआईएमएस तथा सफदरजंग हॉस्पिटल फोन लगाए जो नो रिप्लाई आए तथा ईमेल की, लेकिन उस पर भी किसी ने जवाब देने की जहमत नहीं उठाई, अखबारों ने तो 21 मार्च के बाद से इसे कवर करना ही छोड़ दिया, मोदी भक्ति और सरकार की स्तुति को ही स्पेस कम पड़ता है!!
ऐसी भयानक पटनाएँ लगभग हर रोज हो रही हैं. ये दुर्घटनाएँ नहीं, हत्याएं हैं, जिनके लिए कोई कार्यवाही नहीं होती. हत्यारे मालिक जेल नहीं जाते, यहां तक की धाने भी नहीं जाते. धारूहेड़ा में हुए मजदूरों के इस भयानक हत्याकांड के विरोध तथा बिलखते परिवारों को इंसाफ दिलाने के लिए, ‘क्रांतिकारी मजदूर मोर्चा, हरियाणा संयुक्त आक्रोश आंदोलन चलाने की अपील करता है.