फरीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) दिनांक 2 अप्रैल को करीब 300 जेबीटी शिक्षकों ने नई-नवेली शिक्षा मंत्री सीमा त्रिखा के घर पर सायं सात बजे धरना शुरू किया। बताया जाता है कि मंत्री त्रिखा उस समय घर पर नहीं थीं। करीब 11 बजे वे आईं तो उन्हें पूर्व शिक्षामंत्री कुंवरपाल गूजर की तरह आश्वासन देकर चलता कर दिया।
बातचीत करने पर इन शिक्षकों ने बताया कि उनकी नियुक्ति 2017 में हो चुकी थी। सेवा-शर्तों के अनुसार उन्हें मैरिट (योग्यता) के आधार पर उनके मनचाहे स्कूलों में नियुक्ति मिलनी चाहिये थी। उस वक्त चयनित दस हजार शिक्षकों में से करीब एक हजार शिक्षकों को मेरिट आधारित की शर्त तोड़ कर सैंकडों किलो मीटर दूरदराज के इलाकों में नियुक्ति कर दी। इसे लेकर ये शिक्षक बीते सात साल से संघर्षरत हैं। इन्हें नित नये आश्वासन तो दिये जा रहे हैं परन्तु अमल में कुछ नहीं हो रहा।
शिक्षकों ने यह भी बताया कि पिछले दिनों उनके रिलीविंग आदेश भी जारी हो गए थे, एमआईएस (मैनेजमेंट इन्फर्ॉमेशन सिस्टम) में भी आदेशों को चढ़ा दिया गया था लेकिन जुबानी तौर पर अगले आदेश तक उन्हें रोक दिया गया था। शिक्षकों ने यह भी बताया कि उनके स्थानों पर जमे बैठे लोग अपनी तैनाती को कायम रखने के लिये शिक्षा विभाग से सम्बन्धित अधिकारियों की अच्छी-खासी सेवा समय-समय पर करते रहते हैं।
दरअसल समझने वाली बात यह है कि शिक्षामंत्री कंवरपाल गूजर, जो कि यमुना नगर का जाना-माना खान-माफिया भी है, ने पूरे विभाग को भ्रष्टाचार में आकंठ डुबो रखा है। काम चाहे जि़ला शिक्षा अधिकारी कार्यालय का हो या शिक्षा निदेशालय का, कहीं भी बिना लेन-देन के किसी भी शिक्षक का कोई काम हो ही नहीं सकता। मंत्री कंवरपाल ने विभाग की तमाम मलाईदार सीटें बाकायदा ठेके पर उठा रखी हैं। जाहिर है कि ऐसे में सीटों पर विराजमान अधिकारी जम कर लूट-पाट तो करेंगे ही।
जानकार बताते हैं कि मंत्री कंवरपाल ने मंत्रिमंडल के इस्तीफे से तुरंत पहले बड़े पैमाने पर तबादले कर दिये थे। इसके तुरंत बाद आचार संहिता लग जाने के चलते तबादलों में परिवर्तन करने के दाम अच्छे-खासे मिलते हैं। लेकिन कंवरपाल को यह नहीं पता था कि यह मंत्रालय उसको दोबारा मिलने वाला नहीं है। उधर सीमा त्रिखा भी इसी आचार संहिता की आड़ में शिक्षकों को घुमा रही है।