हॉस्टल से निकाले गए इंटर्न डॉक्टरों ने किया प्रदर्शन

हॉस्टल से निकाले गए इंटर्न डॉक्टरों ने किया प्रदर्शन
March 17 17:19 2024

फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) ईएसआई मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की पढ़ाई पूर्ण कर चुके सौ छात्रों को कॉलेज प्रबंधन ने अगले बैच के विद्यार्थियों के रहने के लिए हॉस्टल खाली करने का आदेश दिया तो वो धरना प्रदर्शन पर उतर आए। इन छात्रों का कहना था कि वे लोग मेडिकल कॉलेज में ही इंटर्नशिप करेंगे इसलिए उन्हें हॉस्टल से नहीं निकाला जाना चाहिए। प्रबंधन का कहना है कि हॉस्टल एमबीबीएस छात्रों के लिए है। पास आउट हो चुके छात्रों को पहले हरियाणा मेडिकल काउंसिल में पंजीकरण कराना होगा। पंजीकरण के बाद इंटर्नशिप के छात्रों के लिए एनआईटी चार में आवास सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। बावजूद इसके छात्र पुराने हॉस्टल में ही रहने की जिद पर अड़े हैं।

ईएएसआईसी मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस पास आउट हुए छात्रों के अनुसार उन्हें यहां इंटर्नशिप भी पूर्ण करनी है। इसके लिए कॉलेज के रजिस्ट्रार एकेडमिक की ओर से उन्हें इंटर्नशिप शुरू करने का नोटिस प्राप्त हुआ। नोटिस मिलने के बाद उन लोगों ने अस्पताल में ड्यूटी भी शुरू कर दी लेकिन दो मार्च को उन्हें बताया गया कि सभी की इंटर्नशिप रद्द कर दी गई है। इसके साथ ही जल्द हॉस्टल खाली करने का फरमान सुना दिया गया। कॉलेज प्रबंधन के अनुसार इंटर्नशिप के लिए छात्रों का हरियाणा मेडिकल काउंसिल में पंजीकरण होना अनिवार्य है। अभी छात्रों का पंजीकरण नहीं हुआ है इसलिए अस्थायी रूप से इंटर्नशिप पर रोक लगाई गई है। दरअसल हुआ ये कि कोरोना काल में पंजीकरण की औपचारिकता नहीं निभाई गई थी। इसी गलतफहमी के चलते बिना पंजीकरण के ही इंटर्नशिप की शुरूआत कर दी गई थी। पंजीकरण के बाद इंटर्नशिप के लिए छात्रों की ड्यूटी लगा दी जाएगी।
इधर छात्रों की मांग है कि इंटर्नशिप पूर्ण होने तक उन्हें हॉस्टल सुविधा मिलनी चाहिए। सुधी पाठक जान लें कि कॉलेज में प्रतिवर्ष सौ छात्रों का एडिमशन होता था। पिछले तीन साल ये सीटें बढ़ कर 125 कर दी गई हैं। हॉस्टल इतनी संख्या में ही छात्रों के रहने के मद्देनजऱ बनाया गया है। यानी प्रति वर्ष सवा सौ छात्र एमबीबीएस डिग्री हासिल कर बाहर होते हैं और नया एडमिशन लेने वाले उतने ही नए छात्रों को हॉस्टल अलॉट किया जाता है। पास आउट के बाद इंटर्नशिप करने वाले छात्रों के लिए कॉलेज प्रबंधन ने एनआईटी चार में आवासीय सुविधा रखी है, लेकिन इन छात्रों की मांग अस्पताल कैंपस में ही रहने की है, क्योंकि एनआईटी चार कैंपस एक-डेढ़ किलोमीटर दूर है, आने जाने में समय और ईंधन दोनों खर्च होंगे।

दरअसल, हॉस्टल में सीमित जगह होने के कारण कॉलेज प्रबंधन ने छात्रों को आवासीय सुविधा देने के लिए दूर-दूर हॉस्टल का प्रबंध किया है। पीजी छात्रों को तो दस-बारह किलोमीटर दूर एनटीपीसी कैंपस के हॉस्टल में रखना पड़ता है, उनको वहां से कॉलेज लाने-ले जाने की मद में ही प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये खर्च होते हैं। ऐसे में कॉलेज प्रबंधन इंटर्न छात्रों को कॉलेज में ही जगह उपलब्ध नहीं करा पा रहा है।

देखा जाए तो छात्रों की मांग अपनी जगह जायज है लेकिन नए छात्रों को हॉस्टल मुहैया कराने की जिम्मेदारी होने के कारण कॉलेज प्रबंधन का निर्णय भी उचित है। दरअसल इस समस्या की जड़ भारत सरकार का श्रम मंत्रालय है। इसमें बैठे गैर जिम्मेदार अफसर कॉलेज की आवश्यकताओं की अनदेखी कर श्रमिकों से जुटाए गए पैसे को उनके हित में खर्च नहीं करने के तरीके निकालते रहते हैं। रेगुलर छात्र हों या इंटर्नशिप करने वाले डॉक्टर सबके लिए हॉस्टल बन सके इसके लिए सरकार के पास पर्याप्त जमीन भी है और भरपूर धन भी, लेकिन सही नीयत नहीं है। मुख्यालय में बैठे निकम्मे अधिकारियों की बेरुखी के बावजूद ईएसआईसी का यह मेडिकल कॉलेज भारत के बेहतरीन संस्थानों में शामिल है।
बावजूद इसके हर काम में अड़ंगा लगाने वाले दूर मुख्यालय में बैठे हरामखोर अधिकारी यहां की व्यवस्था सुधारने की सोचते तक नहीं हैं।

मज़दूरों के लाखों करोड़ पर कुंडली मारे बैठे ये अधिकारी यदि चाहें तो यहां पर्याप्त हॉस्टल बन सकते हैं लेकिन इन लोगों की काम करने की नीयत ही नहीं है। जिसके परिणामस्वरूप छात्र और प्रशासन के बीच खींचतान का माहौल बना रहता है। छात्र चाहे एक किलोमीटर दूर रहे या दस किलोमीटर उन्हें न तो छात्रों की परेशानी से कोई लेना देना है और न ही छात्रों के दूर रहने के कारण मरीजों को होने वाली असुविधा से उन्हें कोई मतलब है। असल समस्या न तो श्रम मंत्री और उनका मंत्रालय समझना चाहता है और न ही मुख्यालय में बैठे लालफीताशाह उसे समझ कर दूर करने केे इच्छुक हैं।

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Mazdoor Morcha
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