खट्टर सरकार की कमाई, अधिकारियों की लूट का साधन है चिरायु योजना

खट्टर सरकार की कमाई, अधिकारियों की लूट का साधन है चिरायु योजना
March 10 08:19 2024

पात्रों से 1500 से 5000 रुपये प्रीमियम वसूल रही सरकार, निजी अस्पतालों को नहीं किया तीन सौ करोड़ का भुगतान

फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) केंद्र की आयुष्मान योजना की तरह ही ढिंढोरेबाज मुख्यमंत्री खट्टर की चिरायु योजना भी जनता को धोखा देने वाली साबित हो रही है। चिरायु योजना का करीब तीन सौ करोड़ रुपये बकाया होने के कारण निजी अस्पतालों ने लाभार्थियों का इलाज करना बंद कर दिया है। सरकार मुफ्त इलाज दिलाने के नाम पर जनता से 1500 से 6000 रुपये तक प्रीमियम तो वसूल रही है, लेकिन पांच लाख रुपये की जगह बहुत ही कम खर्च कर रही है।

स्वास्थ्य सेवाओं के दिल्ली सरकार मॉडल से प्रदेश को बेहतर साबित करने की जुगत में लगे मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने नवंबर 2022 में चिरायु योजना की घोषणा की थी। इसके तहत 1.80 लाख सालाना से कम आय वाले परिवारों को प्रतिवर्ष पांच लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज दिया जाना था। चिरायु योजना ढिंढोरा ही साबित हुई क्योंकि अधिकतर लाभार्थी तो आयुष्मान योजना से ही कवर हो रहे थे। फजीहत छिपाने के लिए सरकार ने 1.80 से 3 लाख रुपये आय वर्ग के परिवारों को 1500 रुपये प्रीमियम पर प्रतिवर्ष पांच लाख रुपये तक का मुफ़्त इलाज देने की घोषणा की। इसके बाद छह लाख और दस लाख आय वालों के दो स्लॉट और बनाए गए।

छह लाख रुपये तक की आय वालों का प्रीमियम पांच हजार रुपये और दस लाख रुपये आय वालों का छह हजार रुपये प्रतिवर्ष रखा गया। स्वास्थ्य मामलों के जानकारों के अनुसार अन्य राज्यों में सरकारों ने ये काम बीमा कंपनियों को सौंप रखा है, लेकिन खट्टर सरकार को प्रीमियम से मोटी आय दिखी तो सरकार ने खुद ही वसूली शुरू कर दी। स्वास्थ्य सेवाओं के जानकारों में चर्चा है कि वसूली तो खूब की लेकिन इलाज कराने के नाम पर बिल कटौती और खर्च सीमा तय करने का खेल शुरू कर दिया गया। चर्चाओं के अनुसार ढिंढोरा तो पांच लाख रुपये तक मुफ्त इलाज का पीटा गया लेकिन निजी अस्पतालों के कान में चुपके से फूंक मार दी कि अधिकतम बीस हजार पच्चीस हजार रुपये तक का ही बिल बनाना है अन्यथा भुगतान नहीं किया जाएगा। यानी सरकार ने जनता को लूटा, लेकिन सुविधा देने में मुकर गई।

आईएमए के प्रधान डॉ. अजय महाजन ने बताया कि चिरायु योजना के तहत सरकार पर प्रदेश के निजी अस्पतालों के तीन सौ करोड़ बकाया हैं, भुगतान नहीं किए जाने पर निजी अस्पतालों मेें चिरायु के मरीजों को इलाज नहीं देने का निर्णय लिया गया है। योजना के तहत मरीज के डिस्चार्ज होने के पंद्रह दिन के भीतर सरकार द्वारा अस्पताल को भुगतान करना होता है लेकिन महीनों लटकाया जाता है।

आईएमए सूत्रों के अनुसार निजी अस्पताल में चिरायु के मरीजों की भर्ती और उसका इलाज सरकार से पूर्वानुमति लेने के बाद ही शुरू किया जाता है। पहले तो अघोषित आदेश लागू है कि पच्चीस हज़ार से अधिक का इलाज न किया जाए। इसके बावजूद जो भी दस पंद्रह हज़ार रुपये बिल बनता है, उसके भुगतान में तीस से चालीस प्रतिशत तक कटौती कर ली जाती है। पूर्वानुमति होने के बावजूद ये कटौती किस आधार पर की गई? पत्राचार करने पर भी नहीं बताया जाता। स्वास्थ्य सेवाओं के जानकारों के अनुसार सरकार पर चिरायु योजना के तहत निजी अस्पतालों का तीन सौ करोड़ रुपये बाकी है जबकि सरकार का कहना है कि यह धनराशि समायोजित हो गई है। यानी अस्पतालों ने जो बिल लगाया है उसमें जो तीस से चालीस प्रतिशत कटौती कर भुगतान किया गया है वही पूरा भुगतान है।

निजी अस्पताल सेवार्थ नहीं व्यापारिक उद्देश्य से चलाए जाते हैं, बावजूद इसके सरकार की योजना को सफल बनाने में योगदान देने के लिए सरकार द्वारा निर्धारित दर पर इलाज करते हैं, यदि उसमें भी तीस से चालीस प्रतिशत कटौती कर ली जाएगी तो अस्पतालों का संचालन संभव नहीं हो पाएगा।

स्वास्थ्य मामलों के सूत्र तो यहां तक बताते हैं कि दरअसल सरकार ने चिरायु योजना की घोषणा तो कर दी लेकिन अब खर्च देख कर इसको चलाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही। बदनामी के डर से सरकार खुद इसे बंद करने की घोषणा भी नहीं कर पा रही, ऐसे में अस्पतालों का भुगतान रोकने की तरकीब निकाली गई है। भुगतान नहीं होने पर निजी अस्पताल इलाज देना बंद कर देंगे तो सरकार उन पर इसका ठीकरा फोड़ कर योजना को बंद करने की फिराक में है। दरअसल योजना शुरू करने के समय से ही सरकार की नीयत में खोट थी, अन्यथा वह मरीजों के प्रीमियम के स्लॉट नहीं तय करती। यदि प्रीमियम तय किया भी था तो अन्य राज्यों की तरह ही किसी स्वास्थय बीमा कंपनी को ठेका दे देती। इसके बाद मरीजों के इलाज का भुगतान उसके जिम्मे नहीं आता लेकिन सरकार को तो प्रीमियम की मलाई नजऱ आ रही थी। हुआ ये कि प्रीमियम राशि ज्यादा होने और केवल पांच लाख रुपये तक इलाज मिलने के कारण अधिक आय स्लॉट वालों ने इस योजना में रुचि नहीं दिखाई। आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया देख सरकार अब भुगतान नहीं करने के पैंतरे खेल रही है।

मोदी-खट्टर की डबल इंजन सरकारों की नीयत किसी योजना को जनता के हित के लिए नहीं बल्कि झूठी वाहवाही लूटने की रहती है। बिना किसी तैयारी के लागू की गई आयुष्मान योजना शुरू होने से ही विवाद में रही। अपात्रों के तो आयुष्मान कार्ड बन गए और लाखों बीपीएल, अंत्योदय परिवार मुफ्त इलाज को तरसते रहे। फजीहत होने पर बाद में बीपीएल और अंत्योदय कार्ड धारकों को भी शामिल करने की घोषणा की गई। यहीं खेल शुरू हुआ, एक ही फोन नंबर पर 7.49 लाख आयुष्मान कार्ड बना दिए गए। काफी पहले मर चुके लोगों को अस्पताल में भर्ती दिखा कर भुगतान कराया गया। हजारों मरीजों का एक ही समय कई अस्पताल में भर्ती होना भी पाया गया, जिनका भुगतान किया गया था।

इतना बड़ा घोटाला करने की किसी एक अधिकारी या कर्मचारी में हिम्मत नहीं होती। एक ही नंबर पर साढ़े सात लाख कार्ड सत्ताधारियों की मिलीभगत से ही बने और उन पर इलाज कराकर भुगतान कराने की बंदरबांट की गई। चिरायु योजना की भी यदि गंभीरता से जांच की जाए तो इस तरह के हजारों मामले सामने आएंगे, जिनमें सत्ताधारी और अधिकारियों की मिलीभगत से बंदरबांट की गई होगी, जबकि गरीब और सच्चे पात्र आज भी बिना सुविधा वाले सरकारी अस्पतालों में चप्पलें घिसने को मजबूर हैं।

मोदी-खट्टर यदि स्वास्थ्य सेवाओं का बुनियादी ढांचा और सरकारी अस्पतालों में गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाएं देते तो आयुष्मान या चिरायु योजनाओं की जरूरत ही नहीं पड़ती। लेकिन सरकार की नीयत स्वास्थ्य सेवाएं सुधारने के बजाय पूंजीपति बीमा कंपनियों और निजी अस्पतालों को लूट कमाई के मौके देने की रही है। सरकारी अस्पतालों में घटिया इलाज मिलने के कारण आम आदमी निजी अस्पताल का रुख करने को मजबूर होता है। इन अस्पतालों में इलाज इतना महंगा होता है कि चंद दिन में ही लाखों के वारे न्यारे हो जाते हैं, ऐसे मेें लोग स्वाथ्य बीमा कराने को मजबूर हैं।

इस सबमें सरकार को जीएसटी के रूप में मोटा राजस्व भी प्राप्त होता है, इसके विपरीत सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर, दवाएं, उपकरण आदि देने में खर्च होता है। पूंजीपतियों की कठपुतली बनी डबल इंजन सरकारें इसी पैटर्न पर हर जन कल्याणीकारी योजना को पलीता लगा रही हैं, चिरायु योजना भी सरकार केवल वाहवाही के लिए चला रही है न कि जनता को स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराने के लिए।

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Mazdoor Morcha
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