फरीदाबाद (मजदूर मोर्चा) संघ से प्रशिक्षित हरियाणा के मुख्यमंत्री खट्टर का दृढ़ विश्वास है कि काम करने की बजाय उसका ढोल बजाना ही काफी रहता है। इसी विश्वास के बूते खट्टर बीते डेढ़-दो साल से एफएनजी यानी फरीदाबाद-नोएडा-गाजियाबाद सडक़ बनाने का ढोल गोदी मीडिया के माध्यम से पीट रहे हैं।
अपने इस प्रोपेगंडा में खट्टर बताते हैं कि फरीदाबाद से नोएडा होकर गाजियाबाद जाने के लिये दिल्ली से नहीं गुजरना पड़ेगा। इससे लाखों लोगों को होने वाले लाभ को गिनाना न तो कभी खट्टर भूलते हैं और न ही स्थानीय सांसद एवं केन्द्रीय मंत्री कृष्ण पाल गूजर। लेकिन इसके न बनने से बीते अनेकों वर्षों में जनता को हो चुके करोड़ों अरबों के नुकसान पर ये नेता खामोश रहते हैं। एफएनजी की घोषणा में बताया जा रहा है कि फरीदाबाद के लालपुर गांव के निकट यमुना नदी पर 600 मीटर लम्बा पुल बनाया जायेगा। इस पुल तक पहुंचने के लिए फरीदाबाद की ओर नौ किलोमीटर लम्बी सडक़ का निर्माण किया जायेगा जिस के लिए अभी तक जमीन का अधिग्रहण भी नहीं हुआ है, यही स्थिति यमुना पार के नोएडा की भी है। अर्थात सारा काम हवा-हवाई ही है।
इसी तरह का हवा-हवाई प्रोग्राम भाजपा सरकार ने 15 अगस्त 2014 को मंझावली गांव में यमुना पुल बनाने का शुरू किया था। उस वक्त कृष्णपाल गूजर की मौजूदगी में केन्द्रीय सडक़ मंत्री नितिन गडकरी ने इस पुल का शिलान्यास करते हुए कहा था कि दो साल में इस पुल पर यातायात शुरू हो जायेगा। उस वक्त भी ये नेतागण इस पुल से जनता को होने वाले भारी-भरकम लाभ को गिनाना नहीं भूले थे, इतना ही नहीं पिछले दस वर्ष में अनेकों बार इस पुल का गुणगान व इससे होने वाले लाभ मीडिया के द्वारा प्रचारित किये जाते रहे। लेकिन इसके न चालू होने से जनता को होने वाली हानि के लिये जिम्मेदारी लेने को ये नेता तैयार नहीं।
तथाकथित एफएनजी को बनाने का जिम्मा बीते दो साल से एफएमडीए के पास था, लेकिन अब यकायक एनएचएआई के हवाले करने की घोषणा कर दी गई है। समझा जा सकता है कि इन भ्रमित नेताओं को यही समझ नहीं आ रहा कि यह काम करेगा कौन? जब यही नहीं पता तो समझा जा सकता है कि इनका काम करने का कोई इरादा नहीं है। वैसे काम करने की जरूरत ही क्या है जब झूठ बोलने, प्रोपेगंडा करने व राम मंदिर बनाने से जनता को बहकाया जा सकता हो।