ई-टेंडरिंग प्रक्रिया लॉक कर अपने चहेते ठेकेदार को ठेका दिलाने के आरोप में जांच में घिरे एक्सईएन ओमदत्त को बचाने के लिए उसके ही कार्यालय के एक कच्चे कर्मचारी की बलि चढ़ाई जाएगी। मालूम हो कि डिवीजन दो, तीन और 24 गांवों का चार्ज एक्सईएन भ्रष्टाचारी ओमदत्त के पास थे। इनमें विकास कराने के लिए ओमदत्त की ओर से हरियाणा इंजीनियरिंग वर्क्स पोर्टल (एचईडब्ल्यूपी) की साइट पर ईं टेंडर जारी किए गए थे। चहेते ठेकेदार को टेंडर दिलाने के लिए ओमदत्त ई टेंडरों के पेज को राइट प्रोटेक्ट (लिखने योग्य नहीं) कर दिया जाता है, इससे जब कोई व्यक्ति टेंडर खोल कर अपनी बिड राशि आदि भर कर सब्मिट करता है तो कंप्यूटर उसे लेने से इनकार कर देता।
बताया जाता है कि ओदत्त के चहेते ठेकेदार बलदेव, सागर गर्ग आदि की छद्म कंपनियों से ई टेंडर प्रक्रिया करवाने के बाद पेज राइट प्रोटेक्ट कर दिया जाता ताकि कोई दूसरा टेंडर नहीं डाल सके। इसकी शिकायत एक ठेकेदार ने की थी। केंद्रीय मंत्री किशनपाल गूजर ने अपने बेटे को बचाने की पूरी ताकत झोंक दी। बताया जा रहा है कि बेटे को बचाने के लिए उसके कार्यालय के एक कच्चे कर्मचारी से लिखवा लिया गया है कि टेंडर का पेज उसने लॉक यानी राइट प्रोटेक्ट किया था, इस आधार पर उसकी सेवा समाप्त कर ‘मंत्री पुत्र’ को बचाया जाएगा। सवाल है कि कच्चे कर्मचारी ने किसके कहने पर पेज को राइट प्रोटेक्ट किया था, यदि उसने गलती से ये कर दिया था तो उसके ऊपर बैठे एक्सईएन ओमदत्त ने पोर्टल पर डाले जाने से पहले उसकी स्वयं जांच क्यों नहीं की। ये सवाल तो तब बनते हैं जब उस कर्मचारी की गलती हो, काम तो सारा ओमदत्त ने ही किया था लेकिन बलि उस कर्मचारी की चढ़ाई जा रही है।