फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) प्रॉपर्टी आईडी के झूठे आंकड़े फीड कर नगर निगम को चकमा देने वाली सिंप्लेक्स ई सोल्यूशंस का रोका गया भुगतान जारी करने का आदेश मुख्यमंत्री के मुख्य प्रधान सचिव सलाहकार राजेश खुल्लर ने दिया है। निगम में चर्चा है कि खुल्लर द्वारा फोन पर मौखिक आदेश मिलने के बाद निगमायुक्त मोना ए श्रीनिवास ने सभी जोनल टैक्सेशन ऑफिसर (जेडटीओ) से रिपोर्ट तलब की है।
ई गवर्नेंस के तहत नगर निगम का वेब पोर्टल बनाने, ऑनलाइन सेवाएं उपलब्ध कराने और नगर निगम क्षेत्राधिकार में आने वाली प्रॉपर्टी को डिजिटाइज करने के लिए सरकार ने वर्ष 2017-18 में सिंप्लेक्स ई सोल्यूशंस नाम की कंपनी को ठेका दिया था। निगम सूत्रों के अनुसार पूर्व उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के करीबी रिश्तेदार के प्रबंधन वाली इस कंपनी ने नगर निगम का वेब पोर्टल बना कर ऑपरेट करना शुरू किया लेकिन पोर्टल पर आम जनता की सुविधाएं जैसे गृहकर, जलकर जमा करने की सुविधा आदि की व्यवस्था नहीं थी, यानी नगर निगम का पोर्टल केवल देखने और छोटी मोटी सूचना पाने तक की सीमित था। निगम सूत्रों के अनुसार कंपनी ने प्रॉपर्टी डिस्ट्रीब्यूशन का काम हवा हवाई किया। बिना भौतिक सत्यापन किए कंपनी के कर्मचारियों ने घर बैठे ही प्रॉपर्टी आईडी बना डालीं। आंकड़े इतने गलत थे कि जहां मैदान था वहां भी मकान दिखा दिए गए और उनकी प्रॉपर्टी आईडी तक दे दी गई। गृहकर, जलकर के बिल भेजे जाने पर कंपनी की यह धोखाधड़ी पकड़ में आई। निगम अधिकारियों ने कंपनी पर शिकंजा कसा तो कंपनी के कर्मचारियों ने काम करना बंद कर दिया। इस पर निगम की ओर से कंपनी को किया जाने वाला एक करोड़ रुपयों से अधिक का भुगतान रोक दिया गया। अधिकारियों ने कंपनी के काम पर असंतुष्टि जताते हुए रिपोर्ट भी चंडीगढ़ स्थित मुख्यालय भेजी थी।
नगर निगम को धोखा देकर भागने वाली सिंप्लेक्स ई सोल्यूशंस कंपनी का समर्थन अब भ्रष्टाचार पर ज़ीरो टॉलरेंस का झूठा दावा करने वाले सीएम खट्टर के सीपीएस राजेश खुल्लर कर रहे हैं। ज़ाहिर है कि दागी कंपनी का बकाया एक करोड़ रुपये भुगतान करने का आदेश उन्होंने मुफ्त में तो किया नहीं होगा। कंपनी से चुग्गा मिलने पर ही वफादारी निभाते हुए निगमायुक्त को फोन पर भुगतान कराने का मौखिक आदेश सुनाया होगा।
खुल्लर को ऐसा करने की प्रेरणा सीएम खट्टर से ही मिली होगी। खट्टर ने तो प्रॉपर्टी आईडी बनाने के नाम पर गुडग़ोबर करने वाली याशी कंसल्टेंसी कंपनी को 57 करोड़ रुपये का भुगतान यह जानते हुए भी करवा दिया था कि कंपनी ने 90 प्रतिशत प्रॉपर्टी आईडी फर्जी बनाई हैं। दरअसल याशी कंसल्टेंसी प्रबंधन भी संघ और सत्ता का करीबी था, ऐसे में ‘ईमानदार’ खट्टर ने भाईचारा निभाया और जिस कंपनी पर काम नहीं करने के कारण जुर्माना लगना चाहिए था, ब्लैकलिस्ट कर उससे रिकवरी की जानी चाहिए थी, उसे करोड़ों रुपये का भुगतान कर दिया गया। अब खुल्लर भी सीएम की राह पर चल कर सत्ता सुख भोगने वालों के रिश्तेदारों की कंपनी का भुगतान करवा रहे हैं तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। इस संबंध में नगर निगम के एक्सईएन आईटी नितिन कादयान ने बताया कि सिंप्लेक्स ई सोल्यूशंस कंपनी को नगर निगम का वेब पोर्टल चलाने, प्रॉपर्टी डिस्ट्रीब्यूशन डेटा तैयार करने सहित तीन काम का ठेका दिया था। प्रॉपर्टी डिस्ट्रीब्यूशन डेटा तैयार करने में कंपनी की कार्यशैली असंतुष्टिकारक थी।
सवाल तो निगमायुक्त मोना ए श्रीनिवास पर भी बनता है कि वे केवल एक फोन पर दागी कंपनी का भुगतान कराने पर क्यों उतारू हो गईं? वो केवल खुल्लर के कहने पर ही ऐसा कर रही हैं या फिर उनकी भी हिस्सा पत्ती है। यदि ऐसा नहीं है तो उत्तरदायी अधिकारी होने के नाते उन्हें पहले प्रॉपर्टी आईडी का छूटा हुआ काम कंपनी से पूर्ण कराना चाहिए इसके बाद ही भुगतान किया जाए, अन्यथा बिना काम भुगतान किया जाना भ्रष्टाचार ही माना जाएगा।