विदेश में रोज़गार दिलाने का ढिंढोरा पीटने वाले खट्टर प्रदेश के युवाओं को मौत के मुंह में धकेल कर जनता को गुुमराह कर रहे हैं। इज़राइल में काम करने वाले मज़दूर गज़ा से आते थ। हमास से युद्ध के कारण उनमें से अधिकतर की मौत हो गई, और नए लोग आने की स्थिति में छोड़े नहीं। युद्ध के हालात में कोई भी इज़राइल मेें काम करने का इच्छुक नहीं है। ऐसे मेें प्रतिवर्ष दो करोड़ रोज़गार देने का दावा करने वाली मोदी-खट्टर की डबल इंजन सरकारें देश के युवाओं को नौकरी के नाम पर युद्ध की बलिवेदी पर चढ़ा रही है। जिस इज़राइल में तीसरी दुनिया यानी अफ्रीका के $गरीब देशों ने भी अपने युवाओं को भेजने से इनकार कर दिया, वहां भारत अपने बेरोजगार युवाओं को भेज रहा है। खास बात ये है कि वहां काम करने जा रहे युवाओं की सुरक्षा की कोई गारंटी सरकार नहीं ले रही, उनका बीमा तक नहीं कराया गया, यानी यदि युद्ध के दौरान उनकी मृत्यु होती है या स्थायी रूप से अपंग होते हैं तो वो इज़राइली सरकार की अनुकंपा पर होंगे खट्टर कुछ नहीं देने वाले।