मज़दूर मोर्चा ब्यूरो। हर साल दो करोड़ रोजग़ार देने का जुमला फेंक कर लाखों सरकारी नौकरियां खत्म करने वाले मोदी-खट्टर अब लोकसभा चुनाव से पहले युवाओं को कच्ची नौकरी देने का फिर से प्रलोभन दे रहे हैं। सीएम खट्टर इसके लिए हरियाणा कौशल रोजगार निगम (एचकेआरएन) के अधिकारियों के साथ बैठक कर लोकसभा चुनाव से पहले नौकरी देने का पाखंड कर रहे हैं। कुछ ही दिन में लोकसभा चुनाव की घोषणा होने वाली है, नौकरी के लिए आवेदन, परीक्षा, परिणाम और चयन की प्रक्रिया में पांच से छह महीने का समय लगता है, ऐसे में समझा जा सकता है कि खट्टर की यह कवायद युवाओं को नौकरी देने से ज्यादा नौकरी देने का प्रोपेगंडा से ज्यादा कुछ नहीं है।
मोदी और खट्टर उस संघ से आते हैं जो सरकारी नौकरियों में एसएसी, एसटी और ओबीसी का आरक्षण समाप्त करने की तगड़ी हिमायती है। संघ की इसी विचाराधारा के तहत मोदी-खट्टर सरकारों ने सरकारी विभागों में पक्के पद समाप्त करने और ठेके पर भर्ती करने का खेल शुरू किया। खट्टर के पिछले लगभग दस साल के कार्यकाल में प्रदेश में विभिन्न सरकारी विभागों में दो लाख पक्के पद खाली हुए। इन खाली पदों पर पक्की भर्ती तो दूर संविदा पर भी भर्ती नहीं की गई।
अब चुनाव करीब आए तो मोदी-खट्टर की समझ में आया कि धर्म की चाशनी चाटने के बावजूद बेरोजगार युवा उनका खेल बिगाड़ सकते हैं तो नौकरी देने का पाखंड किया जाने लगा। भले ही युवाओं को नौकरी नहीं मिली लेकिन मीडिया में प्रचारित-प्रसारित कर सुनहरे ख्वाब दिखाए जा रहे हैं कि हरियाणा लोक सेवा आयोग की ओर से पीजीटी अध्यापक के साथ क्लास-2 और क्लास-1 ऑफिसरों के करीब साढ़े चार हज़ार पदों पर भर्ती प्रक्रिया जारी है। एचकेआरएन भी शिक्षा विभाग के खाली पड़े 27 हज़ार पदों को भरने के लिए पीजीटी-टीजीटी की भर्ती निकाल चुका है।
राजनीतिक मामलों के जानकारों का मानना है कि यदि आज सरकारी नौकरियों की वैकेंसी घोषित कर भी दी जाएं तो आवेदन करने के लिए कम से कम चार सप्ताह का समय रखा जाता है। अभ्यर्थियों के आवेदन छांटने, पंजीकरण नंबर देने, परीक्षा केंद्र निर्धारित करने और प्रश्नपत्र बनाने में कम से कम तीन से चार महीने का समय लगता है।
परीक्षा के बाद परिणाम घोषित करने में अनिश्चित समय लगता है। इतने में तो लोकसभा चुनाव हो चुके होंगे, ऐसे में युवाओं को रोजगार देने की कवायद चुनावी ज्यादा नजऱ आ रही है। परीक्षा परिणाम आने के बाद युवाओं को नियुक्तिपत्र देने के लिए विधानसभा चुनाव तक घसीटा जाएगा। उसके बाद क्या होगा राम जाने। यदि सरकार सच में नौकरी देने के प्रति गंभीर होती तो दस साल में खाली होने वाले पद खाली होने के साथ साथ ही भरे भी जा सकते थे।