चुनाव की बेला में याद आया महिला कॉलेज

चुनाव की बेला में याद आया महिला कॉलेज
March 03 16:28 2024

मानेसर (मज़दूर मोर्चा) चुनाव भी बड़ी गजब की चीज़ है। इसके आते ही नेताओं को भूले हुए वायदे एवं किये हुए शिलान्यास याद आने लगते हैं। आश्वासन भले ही कभी पूरा न हो परन्तु चुनावी बेला में आश्वासनों का नवीनीकरण जरूर कर दिया जाता है।

करीब नौ वर्ष पूर्व राज्य के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने क्षेत्र की जनता को बहलाने के लिये एक महिला कॉलेज का शिलान्यास किया था। इतने लम्बे समय में कॉलेज भवन के निर्माण हेतु एक ईंट भी खट्टर सरकार से न रखी गई। ईंट रखना तो दूर, अभी तक इसके लिये भूखंड तक भी निश्चित नहीं किया जा सका है। अब क्योंकि जनता से वोट मांगने का समय सिर पर आ चुका है इसलिये उन्हें फिर से बहलाने के लिय इसी कॉलेज का झुनझुना उन्हें थमाने का प्रयास खट्टर ने किया है।

झूठ बोलने में माहिर एवं जुमलेबाज़ खट्टर ने जनता के बीच अपनी बात को विश्वसनीय बनाने के लिये कहा है कि 16 फरवरी को इसके लिये टेंडर जारी कर दिया जायेगा। इसके लिये तमाम औपचारिकताएं भी पूरी हो चुकी हैं और अधिक विश्वसनीय बनाने के लिये उन्होंने इस पर होने वाला कुल खर्च 25 करोड़ रुपये भी बता दिया है। इस कार्य में होने वाली देरी के लिये उन्होंने जो बहाना बनाया है वह तो बहुत ही खूबसूरत है। वे कहते हैं कि इसके लिये चयनित भूखंड पर कुछ विवाद रहा था जो अब दूर हो चुका है। बताया जा रहा है कि अभी भी वहां कुछ कच्चे-पक्के मकान कायम हैं। इसी से समझा जा सकता है कि विवाद अभी भी है जिसका खुलासा अगले कुछ सालों बाद ही हो पायेगा। वैसे खट्टर ने निर्माण कार्य डेढ़ साल में पूरा होने की बात कही है जबकि उनके कार्य-काल के बचे हैं केवल आठ महीने। समझने वाली बात यह है कि जिस ज़मीन पर खट्टर कोई स्कूल, कॉलेज, अस्पताल आदि बनाने का शिलान्यास करते हैं वहीं कोई न कोई विवाद क्यों निकल आता है? क्या इनकी सरकार इतनी नालायक है जो उसे उक्त विवाद पहले से दिखाई नहीं देते? विदित है कि वर्षों पूर्व नारनौल जि़ले में ‘एम्स’ बनाने के लिये कब्जाई गई ज़मीन में जब विवाद प्रकट हुआ तो दूसरी जगह ज़मीन कब्जाने की कार्रवाई शुरू की गई जो अभी तक चल रही है।

भिवानी जि़ले के गांव प्रेम नगर की करीब 30 एकड़ पंचायती ज़मीन पर मेडिकल कॉलेज बनाने के लिये आठ वर्ष पूर्व शिलान्यास करके छोड़ दिया गया और मेडिकल कॉलेज का निर्माण किसी अन्य स्थान पर करने का नाटक चल रहा है। दरअसल संघ-प्रशिक्षित एवं दीक्षित खट्टर अपने आप को बहुत चतुर-चालाक व जनता को महामूर्ख समझते हैं। लेकिन वास्तव में अब ऐसा रहा नहीं। बीते 9-10 सालों में जनता ने खट्टर के झांसे को खूब अच्छी तरह से जांच परख लिया है।

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Mazdoor Morcha
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