टेंडर में खेल कर नगर निगम में लूट कमाई कर रहा मंत्री गूजर का ‘बेटा’ ओमदत्त

टेंडर में खेल कर नगर निगम में लूट कमाई  कर रहा मंत्री गूजर का ‘बेटा’ ओमदत्त
February 13 11:29 2024

फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) भ्रष्टाचार के प्रति ज़ीरो टॉलरेंस का ढिंढोरा पीटने वाले सीएम खट्टर के राज में नगर निगम का फर्जी डिग्री वाला भ्रष्ट एक्सईएन ओमदत्त ई टेंडरिंग प्रक्रिया में हेराफेरी कर चहेते सागर गर्ग को करोड़ों के ठेके दिला मोटी कमाई करता है। सडक़ पैचवर्क के फर्जी नाम से डाले गए करीब डेढ़ करोड़ रुपये कीमत के दो टेंडर पकड़े जाने पर एक्सईएन की धोखाधड़ी सामने आई तो निगम कमिश्नर मोना ए श्रीनिवास ने टेंडर रद्द कर पल्ला झाड़ लिया। धोखेबाज ओमदत्त के खिलाफ उन्होंने न तो विभागीय कार्रवाई की संस्तुति की और न ही एफआईआर दर्ज करवाई, माना जा रहा है कि ऐसा न करने के लिए उन पर केंद्रीय मंत्री किशनपाल गूजर का दबाव था।

सरकार ने टेंडर प्रक्रिया पारदर्शी बनाने के लिए ऑनलाइन ई टेंडरिंग प्रक्रिया चला रखी है। सरकार के हरियाणा इंजीनियरिंग वर्क्स पोर्टल (एचईडब्ल्यूपी) पर सभी विभागों के विकास कार्यों के ई टेंडर प्रकाशित किए जाते हैं। ई पोर्टल पर होने के कारण कोई भी ठेकेदार इसे खोल कर देख सकता है और अपनी बिड डाल सकता है। भ्रष्ट ओमदत्त चहेते ठेकेदार को लाभ पहुंचाने के लिए टेंडर कार्य का शीर्षक गुमराह कर ई पोर्टल पर डालता। अधिक ठेकेदार प्रक्रिया में शामिल न हो पाएं तो बिड प्रक्रिया का समय भी पांच छह दिन ही रखता, सामान्यतया कम से कम 15 दिन का समय होता है।

ओमदत्त की ओर से 30 जनवरी को एचईडब्ल्यूपी पर [202431 AEEB181 EF48407 DC22 F56EE404 B3284LB] [2024_HRY_348772_1]  पैच वर्क फ्रॉम भूरा चौक टू सूरजकुंड रोड इन वार्ड नंबर 20 और [202467E5C513 4928 44DBBE118 B_FB54677 C284LB] [2024_HRY_348766_1348772] पैच वर्क फ्रॉम रेड लाइट टू देवी चौक सेक्टर 46 टेंडर आमंत्रित किए। ई टेंडर खोलने पर इनका शीर्षक पैच वर्क से बदल कर सीएम अनाउंसमेंट कोड 20949 दिखता है, इसके तहत करीब अस्सी लाख रुपये कीमत से वार्ड नंबर 12 के 1 ए, 1 बी, 1 एच पार्क का रेनोवेशन किया जाना बताया गया। किसी भी टेंडर के लिए अर्नेस्ट मनी दो प्रतिशत होती है लेकिन अन्य ठेकेदारों को अंधकार में रखने के लिए करीब अस्सी लाख रुपये के इस टेंडर के लिए महज 13 हजार रुपये अर्नेस्ट मनी रखी गई। महज 13 हजार रुपये अर्नेस्ट मनी देख बड़ा ठेकेदार दस लाख रुपये तक का काम समझ कर टेंडर नहीं डालता। छोटा ठेकेदार यदि अर्नेस्ट मनी देख कर टेंडर खोलता है तो अंदर अस्सी लाख का काम देख कर टेंडर प्रक्रिया से बाहर हो जाता है। इसी तरह दूसरे टेंडर में भी सीएम अनाउंसमेंट के तहत करीब सत्तर लाख रुपये से चार पार्कों का रेनोवेशन करना बताया गया।

केंद्रीय मंत्री किशनपाल गूजर का वरद्हस्त होने के कारण फर्जी डिग्री के बावजूद एसडीओ से एक्सईएन पद हासिल करने वाला ओमदत्त अपने पद का भरपूर दुरुपयोग कर रहा है। मज़दूर मोर्चा ने अपने दिसंबर 23 के अंक में ‘नगर निगम को लूट रहा गूजर का बेटा’ शीर्षक से खबर प्रकाशित कर उसके भ्रष्ट आचरण का चि_ा खोला था। समाचार में बताया गया था कि वह अपने चंद ठेकेदारों को ही सारे ठेके दिला रहा है। एक चहेते ठेकेदार सागर गर्ग को करीब डेढ़ करोड़ रुपये के टेंडर दिलाने के लिए उसने प्रक्रिया में गड़बड़ी की ताकि अन्य ठेकेदार इसमें बोली न लगाएं।

नगर निगम में चर्चा है कि ओमदत्त के चहते ठेकेदार सागर गर्ग ने डीपी इंडिया सहित दो अन्य नामों से कंपनियां पंजीकृत करवा रखी हैं। जिन टेंडरों में खेल करना होता है उनमें यही तीनों कंपनियां विभिन्न दरों पर टेंडर डालती हैं और सबसे उचित रेट होने के कारण डीपी इंडिया को टेंडर मिल जाता है। यही खेल इन दोनों टेंडरों में किया जा रहा था लेकिन चोरी खुल गई। नगर निगम के अन्य ठेकेदारों में चर्चाएं होने लगीं। ठेकदारों का आरोप था कि पार्क रेनोवेशन इमरजेंसी कार्य तो है नहीं, ऐसे में टेंडर प्रक्रिया केवल छह दिन की क्यों रखी गई, पंद्रह दिन क्यों नहीं। जब पार्क रेनोवेशन कार्य था तो पैच वर्क का नाम देकर गुमराह क्यों किया गया। टेंडर प्रक्रिया में सागर गर्ग की ही तीनों कंपनियों की ही बिड डाला जाना निगम अधिकारियों की मिलीभगत साबित करता है। ठेकेदारों में रोष होने की जानकारी निगमायुक्त मोना ए श्रीनिवास तक पहुंची तो उन्होंने ये दोनों टेंडर रद्द कर दिए। होना तो ये चाहिए था कि निगमायुक्त इस पूरे प्रकरण की जांच करातीं और एक्सईएन ओमदत्त के पेंच कसतीं लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया।

ओमदत्त के भ्रष्टाचार का यह कोई नया कारनामा नहीं है। इसी नगर निगम में सहायक अभियंता रहते हुए रिश्वत लेते उसे विजिलेंस ने रंगे हाथ पकड़ा था लेकिन किशनपाल गूजर ने न सिर्फ उसे बचाया बल्कि फर्जी डिग्री होने के बावजूद एसडीएओ और एक्सईएन पद तक पहुंचाने में अपनी ताकत का भी इस्तेमाल किया। एक बार रंगेहाथ पकड़े जाने के कारण ओमदत्त स्वयं लेनदेन नहीं करता बल्कि इसके लिए उसने कलेक्शन एजेंट भी बना रखे हैं। बताया जा रहा है कि वर्तमान में उसका मातहत क्लर्क मुकेश वसूली का काम कर रहा है। मुकेश इससे पहले पूर्व एडिशनल कमिश्नर वैशाली शर्मा के लिए यही काम करता था,यही कारण है कि ठेकेदार कोईकाम पाने के लिए मुकेश को ही चढ़ावा चढ़ाते हैं।

एक्सईएन पद पर मोटी कमाई के लिए ओमदत्त को बडख़ल विधानसभा सहित तिगांव विधानसभा और हाल ही में निगम क्षेत्र में शामिल हुए 26 गांवों का चार्ज भी सौंपा गया है। निगम अधिकारी नाम न छापने की शर्त पर बताते हैं कि करीब डेढ़ करोड़ की यह हेराफेरी तो बानगी है, यदि जांच की जाए तो ओमदत्त अपने चहेते सागर गर्ग को सौ करोड़ रुपये से अधिक के ठेके दिला चुका है। तिगांव विधानसभा क्षेत्र में जारी होने वाले 90 फीसदी ठेके केवल सागर गर्ग को ही मिलते हैं। यदि सभी ठेकों और विकास कार्यों की जांच कराई जाए तो दो सौ करोड़ की ही तरह बड़ा एक और घोटाला सामने आएगा।

मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ज़ीरो टॉलरेंस ढिंढोरा पीटते तो जरूर हैं लेकिन भ्रष्ट अफसरों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करते। करें भी कैसे, भ्रष्ट अधिकारी को उन्हीं के नेता, मंत्री, विधायक की सिफारिश पर ही तो लूट कमाई वाले पद पर बैठाया गया है। ये भ्रष्ट अधिकारी खुद तो कमाते हैं और अपने आकाओं तक भी हिस्सा पहुंचाते हैं। किशनपाल गूजर तो ओमदत्त को अपना बेटा जैसा बताते हैं। ऐसे में यदि वो सीना तान कर भ्रष्ट आचरण कर रहा है तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए। इतना बड़ा राजनीतिक संरक्षण मिलने के कारण ही निगमायुक्त मोना ए श्रीनिवास उसके खिलाफ क्या कार्रवाई करेंगी समझा जा सकता है।

  Article "tagged" as:
  Categories:
view more articles

About Article Author

Mazdoor Morcha
Mazdoor Morcha

View More Articles