फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) हरामखोरी पर उतारू भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) अधिकारियों की देखरेख में जिले में नकली, मिलावटी और घटिया खाद्य सामग्री धड़ल्ले से बेची जा रही है। नकली खाद्य सामग्री से होने वाली अंधी कमाई में से बढिय़ा हिस्सा मिलने के कारण इन अधिकारियों ने मिलावटख़ोरों को जनता की सेहत से खिलवाड़ करने की खुली छूट दे रखी है। मोटी कमाई के कारण ही ये अधिकारी शिकायत करने के बावजूद जांच करने की जहमत करना पसंद नहीं करते। इनका काम सीएम फ्लाइंग को करना पड़ता है।
सीएम फ्लाइंग ने रविवार को बल्लभगढ़, अग्रसेन चौक स्थित गोपाल किराना स्टोर में छापा मार कर पतंजलि ब्रांड की नकली पैकिंग में 154 डिब्बा घटिया घी पकड़ा। दुकान पर नैस्केफे ब्रांड की नकली कॉफी की पैकिंग भी बड़ी मात्रा में जब्त की गई। हालांकि सीएम फ्लाइंग दस्ता अपने साथ एफएसओ डॉ. सचिन को भी लेकर गया था लेकिन कहां और किस दुकान पर कार्रवाई की जानी है, उन्हें इसकी जानकारी नहीं दी गई थी। जानकारों के अनुसार यह चोरी भी नहीं पकड़ी जाती यदि सीएम फ्लाइंग अधिकारी एफएसएसएआई अधिकारियों को कार्रवाई की पूरी जानकारी पहले दे देते। अमूमन एफएसएसएआई कार्यालय से यह जानकारी तुरंत ही दुकानदार को इस हिदायत के साथ दी जाती है कि नकली माल हटा लो, जांच टीम पहुंचने वाली है, आस पड़ोस के दुकानदारों को भी बता दो। सुधी पाठक जान लें कि सैंपल भरने और रिकॉर्ड मेनटेन करने के लिए एफएसएसएआई अधिकारी यही प्रक्रिया अपनाते हैं, यानी जांच करने से पहले दुकानदार को आगाह कर दिया जाता है और सैंपल भी अपनी नहीं बल्कि दुकानदार की मर्जी से भरा जाता है।
आरटीआई कार्यकर्ता रवींद्र चावला कहते हैं कि यह कार्रवाई भी इसलिए हुई कि नकली घी पीएम मोदी और सत्ता के खास उद्यमी रामदेव की ब्रांड के नाम से बेचा जा रहा था, शायद ही कोई ऐसा नामी ब्रांड हो जिसके नाम पर बाजार में नकली खाद्य सामग्री नहीं बेची जा रही हो। कार्रवाई नहीं किए जाने के लिए स्टाफ की कमी का बहाना बनाया जाता है। यदि देखा जाए तो नकली-घटिया खाद्य सामग्री को सीएम फ्लाइंग ही पकड़ती है, एफएसएसओ ने इस तरह की आज तक कोई कार्रवाई नहीं की है।
जिले में बड़ी-बड़ी नामी दुकानों पर ब्रांडेड कंपनियों की नकली पैकिंग में घटिया खाद्य सामग्री धड़ल्ले से बेची जा रही है। मिष्ठान भंडार, रेस्टोरेंट, ढाबों में भी नकली और घटिया खाद्य सामग्री बेरोकटोक बेची जा रही है। लेकिन हरामखोरी पर उतरे एफएसएसएआई अभिहित अधिकारी पृथ्वी सिंह और खाद्य सुरक्षा अधिकारी (एफएसओ) डॉ. सचिन कोई कार्रवाई नहीं करते। खुलेआम हो रहे इस गोरखधंधे की जानकारी अधिकारियों को न हो ये मुमकिन नहीं है लेकिन मजाल है कि टीम किसी मिलावटखोर को पकड़ ले, जनता की सेहत बर्बाद होती रहे इन्हें तो मोटी कमाई से मतलब है। कार्रवाई तभी होती है जब कोई सुविधा शुल्क अदा करने में आनाकानी करता है।
काम नहीं, काम का ढिंढोरा पीटने वाले पीएम मोदी ने विदेशों की नकल करके खाद्य सुरक्षा विभाग का नाम तो बदल कर भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण कर दिया लेकिन विदेश की तर्ज पर इसका आधुनिकीकरण नहीं किया। सेवानिवृत्ति के बाद खाली हुए पदों को भी नहीं भरा गया न ही जांच लैब उन्नत की गईं और न ही इनकी संख्या बढ़ाई गई। प्रधानमंत्री के झूठे भाषणों से प्रेरित एफएसएसएआई के अधिकारियों ने भी उनकी तर्ज पर काम नहीं, लेकिन काम की रिपोर्टें बना रिकॉर्ड ओके करने की कला में महारत हासिल कर ली। मिलावटखोरों, घटिया और नकली खाद्य सामग्री बनाने-बेचने वालों से मिलीभगत कर लाखों रुपये की काली कमाई करने वाले ये अधिकारी हर महीने सब कुछ ओके होने की रिपोर्ट के साथ ही कमाई का एक हिस्सा भी ऊपर पहुंचाते हैं, इसी कारण लंबे अर्से से अपनी कुर्सी पर डटे हुए हैं।