फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) शंकराचार्यों द्वारा खारिज किए जाने के बावजूद अपने अपूर्ण राम मंदिर के उद्घाटन पर अड़े इवेंटजीवी प्रधानमंत्री मोदी ने यह साबित कर दिया है कि यह निरा राजनीतिक कार्यक्रम है, इसका हिंदू धर्म की मान्यताओं और आम हिंदुओं की आस्था से कोई संबंध नहीं है। इसके लिए उन्होंने 22 जनवरी यानी उद्घाटन के दिन सरकारी कार्यालयों में सुबह से दोपहर बाद ढाई बजे तक छुट्टी की घोषणा कर यह संदेश भी दिया है कि कार्यक्रम उनकी सरकार का है न कि आम जनता का। यह छुट्टी इसलिए की गई है ताकि देश भर के सरकारी कर्मचारी भी राम मे नाम पर की जाने वाली मोदी की नौटंकी को लाइव देख सकें।
ज़ाहिर है कि जब मोदी ने आधे दिन की छुट्टी घोषित की है तो भाजपा शासित राज्यों में भी होनी ही है। इससे चाहे जन सेवाएं प्रभावित हों और लोगों को परेशानी हो लेकिन राम राज्य के उत्सव में डूबी इन संघी-भाजपाइयों की सरकारों को कोई फर्क नहीं पड़ेगा। इस दिन स्कूल-कॉलेज, अस्पताल, बैंक सहित आम जन सेवाओं से जुड़ी सारी सेवाएं छुट्टी के कारण ठप रहेंगी। सबसे ज्यादा परेशानी मरीजों और उनके तीमारदारों को उठानी पड़ेगी। रविवार की छुट्टी के बाद सोमवार को सरकारी अस्पतालों में मरीजों की भीड़ कुछ ज्यादा ही होती है, उस दिन छुट्टी होने से इन मरीजों को निराश लौटना पड़ेगा। केवल ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज में ही एक दिन की ओपीडी औसतन चार हज़ार तक होती है, एक दिन की दिहाड़ी छोड़ और किराया खर्च कर दूर-दूर से आने वाले मरीजों और उनके तीमारदारों को मोीदी की नाटकबाजी के चलते इलाज न मिलने से दोहरा नुकसान उठाना पड़ेगा। इसी तरह सरकारी अस्पतालों से भी बीमारों को निराश लौटने को मजबूर होना पड़ेगा। वैसे भी भाजपाइयों का मानना है कि राम मंदिर बन जाने के अस्पतालों की जरूरत नहीं पड़ेगी।
इधर, प्रधानमंत्री के 22 जनवरी को आधे दिन की छुट्टी घोषित करने और उनके प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने पर संविधानवेत्ताओं में चर्चाएं हैं। संविधान जानने वाले अनेक लोगों का कहना है कि मोदी सरकार ने संविधान की मूल भावना धर्मनिरपेक्षता पर प्रहार किया है। मोदी प्रधानमंत्री के रूप में ऐसा कर संविधान की मूल भावना को चोट पहुंचा रहे हैं। वहीं बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने संविधान रक्षक सर्वोच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया को पत्र लिख कर अनुरोध किया है कि वह 22 जनवरी को सभी न्यायालयों में छुट्टी का आदेश जारी करें। यहां यह जानना जरूरी है कि राम मंदिर के उद्घाटन का जोर शोर केवल संघ-भाजपा, उनके समथर्कों और गोदी मीडिया में ही दिखाई दे रहा है। मोदी के राज्य में महंगाई, बेरोजगारी, लचर स्वास्थ्य सेवाओं जैसी अनेक समस्या से जूझ रहा आम आदमी इससे दूर ही है।