डाक विभाग को बर्बाद करने की मुहिम में जुटी मोदी सरकार

डाक विभाग को बर्बाद करने की मुहिम में जुटी मोदी सरकार
February 05 16:30 2024

फऱीदाबाद (मज़दूर मोर्चा) आत्मनिर्भर भारत के पाखंड की आड़ में अदाणी-अंबानी जैसे धनपशुओं को सरकारी उपक्रम सौंपने वाली मोदी सरकार की काली नजर अब डाक विभाग पर है। इस महत्वपूर्ण विभाग के संसाधनों में कटौती कर इसकी कार्यक्षमता प्रभावित की जा रही है ताकि अक्षम और घाटे का सौदा बता कर इसका भी निजीकरण किया जा सके। सरकार की यह रणनीति परिणाम दिखाने लगी है, देश के किसी कोने में 24 से 36 घंटे में डिलीवर होने वाली स्पीड पोस्ट एक सप्ताह में भी नहीं पहुंच पा रही है, साधारण डाक की तो कोई पूछने वाला ही नहीं है।

देश की अखंडता के लिए रक्षा विभाग की ही तरह डाक विभाग की अहम भूमिका है। सेना को अग्निवीर व्यवस्था के जरिए चौपट करने वाले प्रधानमंत्री मोदी ने अब कुछ ऐसे ही प्रयोग डाक विभाग की रेलवे मेल सर्विस (आरएमएस) में शुरू किए हैं। पहले प्रत्येक जिले में अपना सॉर्टिंग ऑफिस (एसओ) होता था लेकिन मोदी सरकार इनकी जगह दो से तीन जिलों के एसओ का काम एक ही जिले में समेट रही है। अब फरीदाबाद आरएमएस में गुडग़ांव और रेवाड़ी आरएमएस को शामिल कर लिया गया है। बताया जा रहा है कि 15 फरवरी के बाद गुडग़ांव आरएमएस स्पीड पोस्ट छंटाई का काम भी पूरी तरह से फरीदाबाद में शिफ्ट कर दिया जाएगा। इसी तरह कुरुक्षेत्र और पानीनत जिलों के सॉर्टिंग ऑफिसों को करनाल जिले में और भिवानी जिले को रोहतक में मिला दिया गया है।

सरकार ने अगस्त 2023 में गुडग़ांव आरएमएस की साधारण मेल सॉर्टिंग का काम वहां से हटा कर फरीदाबाद सॉर्टिंग ऑफिस (एसओ) में शिफ्ट कर दिया। दिसंबर 2023 में रेवाड़ी आरएमएस की साधारण डाक और स्पीड पोस्ट सॉर्टिेंग का काम पूरी तरह फरीदाबाद में शामिल कर दिया गया। बताया जा रहा है कि 15 फरवरी से गुडग़ांव स्पीड पोस्ट का काम भी पूरी तरह यहीं शिफ्ट कर दिया जाएगा। काम तो तीन जिलों का शामिल कर दिया है लेकिन न तो आवश्यक मानव संसाधन उपलब्ध कराए गए और न ही आधारभूत सुविधाएं।
फरीदाबाद एसओ में 25 सॉर्टिंग असिस्टेंट (एसए), 12 मल्टी टास्किंग स्टाफ (एमटीएस), दो मेल गार्ड व एक सब रिकॉर्ड ऑफिसर (एसआरओ) केे पद स्वीकृत हैं। इसके विपरीत यहां कई वर्ष से केवल 15 एसए, दस एमटीएस और एक मेल गार्ड से ही काम चलाया जा रहा था। यानी यहां पहले ही लगभग आधी स्टाफ क्षमता से पूरा काम लिया जा रहा था। गुडग़ांव एसओ तो यहां शिफ्ट कर दिया गया लेकिन वहां से पर्याप्त स्टाफ नहीं भेजा गया। वहां से महिला एसए ही भेजी गईं इनसे रात ड्यूटी नहीं कराई जा सकती। रेवाड़ी में दस एसए, दस एमटीएस, तीन मेल गार्ड और एसआरओ के पद थे लेकिन वहां से केवल चार एसए और चार एमटीएस ही भेजे गए हैं।

सरकारी नियमों के अनुसार एक एसओ को आठ घंटे की ड्यूटी के दौरान 1400 मेल छांटनी होती हैं। आला अधिकारियों का सख्त आदेश है कि सभी मेल छांटने के बाद ही जाना है। ऐसे में एसओ व अन्य स्टाफ 12 से 13 घंटे तक ड्यूटी करने को मजबूर है। एक-एक एसओ रोजाना 2100-2200 मेल की छंटाई करता है बावजूद इसके मेलों का अंबार लगता जाता है। कुछ कर्मचारियों ने बताया कि काम के दबाव के कारण बीते एक डेढ़ माह से वो लोग साप्ताहिक छुट्टी के दिन भी काम करने को मजबूर हैं। बावजूद इसके काम नहीं सिमट पा रहा।

समस्या नाइट ड्यूटी में स्टाफ की कमी की भी है। महिला कर्मचारियों को रात शिफ्ट नहीं कराई जाती। गुडग़ांव एसओ से सारी महिला कर्मचारी ही भेजी गई हैं। सबसे ज्यादा मेल भी गुडग़ांव की आती हैं। चौबीस घंटे छंटाई न होने के कारण गुडग़ांव की मेल का भी अंबार बढ़ता जा रहा है। भरोसेमंद सूत्रों के अनुसार छंटाई न होने से गुडग़ांव की 35 हजार से अधिक मेल दो सप्ताह तक पड़ी रही थीं। फरीदाबाद के कर्मचारी पहले ही अपनी मेल से ओवरलोड हैं फिर उन्हें गुडग़ांव का भी बोझ साझा करना पड़ रहा है। रेवाड़ी का हाल तो और भी बुरा है। यहां दिसंबर के आखिरी सप्ताह में एक लाख मेल बिना छांटे हुए पड़ी रह गई थीं।

डाक विभाग का नियम है कि सभी मेल उसी दिन संबंधित जिलों को डिस्पैच कर दिए जाएं लेकिन छंटाई नहीं होने के कारण बैग कई कई दिन तक डिस्पैच नहीं किए जा रहे। यह हालात तो स्पीड पोस्ट के हैं साधारण डाक को तो कई सप्ताह तक देखा ही नहीं जाता, भेजना तो दूर की बात।

एनआईटी चार स्थित एसए में तीन जिलों की मेल आने से जगह कम पड़ी तो छंटाई का काम पहली मंजिल पर शिफ्ट कर दिया गया। इन जिलों से आने वाले मेलों के भारी बंडल पहली मंजिल पर पहुंचाने वाली लिफ्ट पिछले छह महीनों से खराब पड़ी है लेकिन उसे सही नहीं कराया जा रहा। मजबूरी में यह भारी बंडल एमटीएस को खुद ही उठा कर ऊपर पहुंचाना पड़ता है। सूत्रों के अनुसार इस लिफ्ट को सही करवाने के लिए आला अधिकारियों को अनेकों बार पत्र लिखे गए लेकिन ठीक कराने के बजाय नई लिफ्ट लगवाने की बात कह टालते जा रहे हैं।

डाक कर्मचारियों के अनुसार ब्रिटिश काल से चली आ रही जिलावार एसए की व्यवस्था समाप्त करने से आरएमएस डाक व्यवस्था पटरी से उतर चुकी है। जो चि_ियां और पैकेट पहले जिला स्तर पर ही छांट कर संबंधित जिलों को भेजे जाते थे अब उन्हें पहले समेकित एसओ में भेजने में समय बर्बाद किया जाता है, फिर स्टाफ की कमी के कारण एसए में ये मेल कई दिन तक छंटाई के इंतजार में पड़ी रहती हैं। अभी पहले वाली मेल पूरी तरह से छंट नहीं पातीं कि दूसरा लोड फिर आ जाता है। आरएमएस व्यवस्था अब अव्यवस्थित स्थिति में आ गई है। यदि ऐसे ही चलता रहा तो उपभोक्ता इस सेवा का इस्तेमाल करना ही बंद कर देंगे।

कर्मचारियों से काम तो 12 से 13 घंटे लिया जा रहा है लेकिन उनकी सुविधा के लिए न तो पर्याप्त शौचालय की व्यवस्था है न रेस्ट रूम की। हाल ही में एक कर्मचारी की रात में तबीयत खराब हो गई, रेस्ट रूम नहीं होने के कारण उसे रात भर परेशान होना पड़ा। इन विपरीत हालात में काम करने को कर्मचारी मजबूर हैं। चंद महीनों पहले जिस एसओ में एक भी चि_ी पेंडिंग नहीं रहती थी आज वहां चारों तरफ कई सप्ताह से छंटाई के इंतजार में पड़े मेल के बड़े बड़े बंडल नजर आते हैं।

सरकार डाक विभाग को भी बीएसएनएल की तरह घाटे का उपक्रम बना कर निजी हाथों में सौंपने की तैयारी करती नजर आ रही है। उपभोक्ताओं को स्पीड पोस्ट ही आठ दस दिन बाद मिल रही है और साधारण पोस्ट का तो कोई ठिकाना ही नहीं, ऐसे में उपभोक्ता डाक विभाग को छोडक़र दूसरी सेवाओं की ओर रुख करेगा। जैसे नेटवर्क खराब होने के कारण लोगों ने बीएसएनएल छोड़ दिया डाक विभाग की सेवाएं लेना भी छोड़ देंगे। इससे सरकार को विभाग निजी हाथों में सौंपने का बहाना मिल जाएगा।

रेलवे से आरएमएस बोगियां ही कर दीं खत्म
समय पर चिट्ठियाँ पहुंचाने के लिए ट्रेनों में एक बोगी आरएमएस की लगाई जाती है। इस बोगी में हर स्टेशन पर चि_ियों के बैग चढ़ाए व उतारे जाते हैं। बोगी में मौजूद स्टाफ चलती ट्रेन में छंटाई कर हर जिले का बैग तैयार करता है। डाक विभाग में बैठे मोदी सरकार के धूर्त सलाहकार-अधिकारियों ने लूट कमाई के लिए इस व्यवस्था को भी बर्बाद कर दिया। अब इक्का दुक्का ट्रेनों में ही आरएमएस बोगी लगाई जाती है। इसकी जगह इन भ्रष्ट अधिकारियों ठेके पर ट्रक लगा दिए हैं। निजी ट्रकों में चालक-क्लीनर के भरोसे भेजी गई यह कीमती पोस्ट सुरक्षित नहीं हैं।

आरएमएस बोगी में विभाग के कर्मचारी रहते हैं जिनकी जवाबदेही होती है जबकि ट्रक से कीमती पोस्ट, चिट्ठी गायब होने पर चालक की कोई जिम्मेदारी नहीं है। यह ट्रक रेलवे की बोगी से कहीं अधिक महंगे साबित होते हैं लेकिन खाऊ कमाई अधिकारी खुद ही ठेकेदार बन कर अपने ट्रक लगवा कर लूट कमाई कर रहे हैँ, उनकी जेबें भरती रहें जनता जाए भाड़ में। सरकार की इस नीति के कारण देश की ढाई सौ साल पुरानी डाक व्यवस्था इतिहास बन कर रह जाने वाली है।

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Mazdoor Morcha
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