खट्टर धड़ाधड़ मेडिकल कॉलजों की नींव तो रख रहे हैं लेकिन अगर ये बन कर तैयार हो गए तो इनमें छात्रों को पढ़ाएगा कौन। पहले से चल रहे सभी मेडिकल कॉलेजों में फैकल्टी का जबरदस्ट टोटा है। हालात ये हैं कि अधिकतर मेडिकल कॉलेज 40 प्रतिशत फैकल्टी से खींचे जा रहे हैँ।
मेडिकल कॉलेजों में सीट बढ़ाने के लिए नेशनल मेडिकल कमीशन ने सभी फैकल्टी की 75 प्रतिशत हाजिरी होना अनिवार्य कर दी थी। इसके लिए मेडिकल असेसमेंट एंड रेटिंग बोर्ड (एमएआरबी) द्वारा सभी मेडिकल कॉलेजों की फैकल्टी की हाजिरी की जांच की गई। किसी भी मेडिकल कॉलेज में फैकल्टी की हाजिरी का औसत चालीस प्रतिशत से अधिक नहीं पाया गया। जांचने पर सामने आया कि जो फैकल्टी हैं उनकी हाजिरी 75 प्रतिशत या उससे अधिक है लेकिन सभी पद नहीं भरे होने के कारण यह औसत घट जाता है।
फरवरी 2023 की रिपोर्ट के अनुसार हरियाणा के पीजीआईएमएस रोहतक में स्वीकृत 5144 पदों में 2385 रिक्त थे। इनमें असिस्टेंट प्रोफेसर के 200 पद और पैरामेडिकल स्टाफ के खाली पद शामिल हैं। इसी तरह केसीजीएमसी करनाल में स्वीकृत 944 में 459 रिक्त पद थे। एसएसकेएमजीएमसी नलहर में 1062 स्वीकृत पद से 670 रिक्त थे। बीपीएसजीएमसी सोनीपत में स्वीकृत 1019 के मुकाबले 473 रिक्त पद थे। ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज में पांच सौ फैकल्टी की कमी है। मज़दूर मोर्चा काफी पहले से प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसरों की कमी और इसके कारण स्वास्थ्य सेवाओं की गिरती गुणवत्ता के बारे में समाचार प्रकाशित कर सरकार को आगाह कर चुका है लेकिन खट्टर सरकार को काम तो करना नहीं है सिर्फ ढिंढोरा पीट कर जनता को सुनहरे सपने दिखा कर वोट एंठना होता है।