चंडीगढ़, मज़दूर मोर्चा ब्यूरो झूठ बोलने व घोषणा दर घोषणा करने में जहां एक ओर प्रधानमंत्री मोदी का कोई मुकाबला नहीं वहीं खट्टर भी इस मुकाबले में कतई पीछे रहने को तैयार नहीं लगते। इसकी पुष्टि इसी सप्ताह उनके द्वारा की गई वह घोषणा है जिसके अनुसार हरियाणा सरकार के कर्मचारियों का इलाज निजी अस्पतालों में ‘कैशलेस’ हो सकेगा। मतलब यह है कि सरकारी कर्मचारी पैनल में दिये गये अस्पतालों में जाकर इलाज करा सकेंगे जिसका भुगतान खट्टर सरकार करेगी।
इस तरह की घोषणा खट्टर भैया पिछले कई वर्षों से तो करते आ ही रहे थे जिसे इन्होंने करीब दो माह पूर्व दोहराया था। जब योजना सिरे न चढ़ते दिखी तो इसे केवल मत्स्य विभाग तक सीमित कर दिया गया था। जानकारों के मुताबिक योजना इस छोटे से विभाग में भी कामयाब नहीं हो पाई थी। अपनी गिरती विश्वसनीयता को देखते हुए इस बार खट्टर ने यह घोषणा हरियाणा के राज्यपाल बंगारू दत्तात्रेय के श्रीमुख से कराई।
इस घोषणा के बावजूद, खबर लिखे जाने तक सरकार की ओर से अभी तक इस बाबत अधिसूचना जारी नहीं हुई है। इसका कारण यह है कि अधिसूचना में उन निजी अस्पतालों का विवरण देना अति आवश्यक होता है जो सरकार की इस योजना के अनुसार कर्मचारियों का इलाज करेंगे। जानकारों के मुताबिक सरकार की ओर से निजी अस्पतालों के साथ बातचीत करके अनुबंध करने के प्रयास जारी हैं।
सुनने में आ रहा है कि जिन शर्तों एवं इलाज की दरों पर सरकार अनुबंध करना चाहती है, उन पर अनुबंध तो क्या, निजी अस्पताल वार्ता तक करने को तैयार नही हैं। इस तरह के अनुबंध प्राय: सीजीएचएस (सेंट्रल गवर्मेंट हेल्थ सर्विसेज) द्वारा निर्धारित दरों पर ही होते आये हैं। लेकिन वे दरें भी अब पुरानी हो गई हैं। इसके बावजूद हरियाणा सरकार ‘आयुष्मान’ की दरों पर अनुबंध करने की कोशिश कर रही है जो कि सीजीएचएस से भी कम हैं। जाहिर है ऐसे में न तो कोई अनुबंध हो पायेगा और न ही कैशलेस इलाज की सुविधा।
दरअसल, असली समस्या तो सरकारी अस्पतालों के सत्यानाश होने की है। वर्षों पहले जो इलाज जि़ला स्तरीय अस्पतालों में आसानी से हो जाया करता था वही इलाज अब हरियाणा सरकार के मेडिकल कॉलेज अस्पतालों तक में भी सम्भव नहीं हो पा रहा। पहले जहां कोई इक्का-दुक्का कर्मचारी ही अति विशेष चिकित्सा के लिये ही बाहर रेफर किये जाते थे, अब इसका एकदम उल्टा हो गया है। यानी कि इक्का-दुक्का इलाज ही सरकारी अस्पतालों में हो पाता है, शेष सभी को निजी अस्पतालों की शरण में जाना पड़ता है। जून 2020 में जब राज्य के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज की टांग टूट गई थी तो राज्य के किसी सरकारी अस्पताल की अपेक्षा उन्हें मोहाली के एक निजी अस्पताल में भर्ती होना पड़ा। इतना ही नहीं उसके बाद अक्तूबर 2021 में जब इन्हें कोरोना हुआ तब हरियाणा के सभी अस्पतालों के चक्कर काट कर एम्स दिल्ली की शरण में जाना पड़ा।